वाराणसी : ज्ञानवापी : कड़ी निगहबानी के बीच अदा हुई जुमे की नमाज - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

वाराणसी : ज्ञानवापी : कड़ी निगहबानी के बीच अदा हुई जुमे की नमाज

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट का ज्ञानवापी तहखाने में पूजा रोकने से इनकार 
  • सैकड़ों की संख्या में पहुंचे नमाजी, आस-पास के क्षेत्रों में पुलिस ड्रोन से निगरानी करती रही

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वाराणसी (सुरेश गांधी)  ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाने में चल रही पूजा-पाठ के बीच शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ज्ञानवापी मस्जिद में शांतिपूर्ण तरीके से जुमे की नमाज अदा की गयी। हालांकि रोजाना की तुलना में ज्ञानवापी में नमाजियों की संख्या ज्यादा देखी गयी। भीड़ व संवेदनशीलता को देखते हुए आस-पास के क्षेत्रों में पुलिस ड्रोन से निगरानी कर रही है। नमाजियों की संख्या को देखते हुए प्रशासन ने चौकसी बढ़ा दी है। जुमे की नमाज के मद्देनजर प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। उधर, ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाने से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। मुस्लिम पक्ष की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एडवोकेट जनरल को लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रखने का निर्देश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी। दावा है कि पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 2000 के करीब नमाजियों की संख्या रही। नमाज के बाद करीब 45 मिनट तकरीर चली। तकरीर में मुल्क में अमन और भाईचारे का संदेश दिया गया। बताते है कि जुमे की नमाज को लेकर ज्ञानवापी नमाजियों से पूरी तरह फुल हो गई थी। ऐसे में नमाजियों को काशी विश्वनाध धाम के गेट नंबर चार पर रोका गया। पुलिस प्रशासन द्वारा लोगों से यह बोलकर रोका गया कि अंदर बहुत ज्यादा लोगों की भीड़ हो गई है। लोगों से कहा गया कि शहर के अन्य मस्जिदों में नमाज अदा करें। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वॉइंट सेक्रेटरी यासीन ने शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हमें कोई नाराजगी नहीं है।


मंदिर की तरह ही होगा तहखाने में भी पूजन

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काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह ही ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाने में भी विग्रहों का पूजन किया जाएगी। तहखाने का झांकी दर्शन शुपू होने के साथ ही हर-हर महादेव के जयकारे गूंजते रहे। तहखाने का नामकरण ज्ञान ताल गृह हुआ है। यहां अखंड रामायण भी शुरू हो गया है। व्यासजी के तहखाने में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक ही रोटेशन के आधार पर पूजा, राग-भोग और आरती कराएंगे। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से इसके लिए सारे इंतजाम कर दिए गए हैं। मंगला आरती से शयन आरती तक होने वाली नियमित पूजन की शुरूआत गुरुवार से हुई। तहखाने का नामकरण हो गया है। काशी विद्वत परिषद ने इसका नाम ज्ञान ताल गृह रखा है। उन्होंने भीतर अखंड रामायण शुरु कर दी है। गुरुवार की शाम को व्यासजी के तहखाने को आम श्रद्धालुओं के लिए भी खोल दिया गया। अपराह्न की आरती के बाद शाम चार बजे से बैरिकेडिंग के बाहर से श्रद्धालुओं ने तहखाने में रखे विग्रहों के दर्शन किए। पूरा परिसर हर-हर महादेव के जयकारे से गूंजता रहा। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर व्यासजी के तहखाने में पूजन होगा। मंदिर की पूजा पद्धति के अनुसार ही राग-भोग, शृंगार और आयोजन होंगे। फिलहाल मंदिर के पुजारियों को रोटेशन के आधार पर तैनात किया गया है।


सब कुछ कानूनी दायरे में हो रहा : विष्णुशंकर जैन

जिस तरह से 30 साल पहले रातों-रात बिना किसी लिखित आदेश के पूजा रोकी गई थी। बैरिकेडिंग लगा दी गई थी। एक बड़ा अन्याय हुआ था। उस अन्याय की जगह अब अदालत के आदेश का अनुपालन राज्य सरकार ने कानूनी तरीके से कराया है। यह बातें ज्ञानवापी प्रकरण में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहीं। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी हुआ है अदालत के आदेश से हुआ है।


सरकार हर मस्जिद को छीनना चाहती है’ः ओवैसी

लोकसभा में एएआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पुजारी सम्राट की तरह काम कर रहे हैं. ओवैसी ने कहा कि मुस्लिमों को दबाने की कोशिश हो रही है. सरकार हर मस्जिद छीना चाहती है। किसी में हिम्मत नहीं है कि 6 दिंसबर की बात करे. ओवैसी ने सदन में कहा कि 22 जनवरी की बुनियाद 6 दिसंबर को 1992 को रखी गई थी, इसकी बुनियाद 1986 में ताले खोलकर रखी गई थी. 22 जनवरी की बुनियाद जीबी पंत ने रखी थी. ओवैसी ने लोकसभा में कहा कि मुझे आज भी संविधान और कानून पर भरोसा है, उन्होंने कहा कि 600 साल की मेहरौली की मस्जिद को बगैर नोटिस दिए डेमोलिश कर दिया. उन्होंने कहकहा कि केंद्र सरकार हर मस्जिद को छीनना चाहती है. केंद्र बताए कि आप 17 करोड़ मुसलमानों को क्या पैगाम दे रहे हैं. ओवैसी ने कहा कि अगर आप हर मस्जिद को छीन लेंगे तो मेरा वजूद क्या मायने रखेगा. उन्होंने कहा कि सरकार 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर क्यों नहीं बोलती. आप 500 साल की बात करते हैं, मैं कह.हता हूं कि इस देश को 1947 में आजादी मिली. संविधान में बराबरी का हक मिला. पहले राजा-रजवाड़े थे. जम्हूरियत नहीं थी.


मुस्लिमों द्वारा बंदी गलत : जीतेन्द्रानंद

वाराणसी परिसर में हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार मिलने के कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष ने बनारस बंद का एलान किया है। जिस पर संत समाज ने विरोध करते हुए इसे न्यायालय की अवहेलना बताया। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि संविधान को बंधक बनाने, कोर्ट को धमकी देने के रवैये से बाज आए मुस्लिम समाज। आपको जो कहना है कोर्ट कहें। शुक्रवार को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान के बाद संत समाज की बैठक में एक स्वर से कहा गया कि यह देश संविधान से चलेगा शरिया से नहीं। महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि श्री राम जन्म भूमि किसी के कृपा से नहीं मिली है। हमने संविधान से और कोर्ट से प्राप्त किया है। कृष्ण जन्मभूमि और श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी भी हम कोर्ट से ही प्राप्त करेंगे। हमारी आस्था संविधान में है और रही बात यह कि कोर्ट और प्रशासन हमारा साथ दे रहा है तो 2014 से पहले यही आरोप तो आप पर भी लगाए जा सकते थे। हमने तो यह आरोप कभी नहीं लगाए। जन्मभूमि श्रीराम की है और उसको तीन टुकड़े में बांट दिया जाए कि आप लोगों की धमकी का परिणाम था। बैठक में स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, डॉ. रामकमल दास वेदांती, महंत बालक दास समेत काफी संख्या में संत मौजूद रहे।


प्रतिष्ठापित हुए विग्रह, फिर शुरू हुई पूजा

व्यासजी के तहखाने में हनुमान की दो, विष्णु और गणेश की एक, दो शिवलिंग और एक मकर प्रतिमा प्राप्त हुई हैं। इन मूर्तियों को काफी मशक्कत के बाद तहखाने में प्रतिष्ठापित कराया गया। शांति बनाए रखने के लिए रात में ही काम पूरा किया गया। ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा के आदेश के बाद वादी शैलेंद्र पाठक ने जिलाधिकारी एस राजलिंगम से मुलाकात की और देवी-देवताओं के राग-भोग की तत्काल अनुमति मांगी। तहखाने के रिसीवर जिलाधिकारी ही हैं। लिहाजा, तहखाने में विग्रह को प्रतिष्ठित करके पूजा-अर्चना शुरू करा दी गई। विग्रह चयन के लिए प्रशासन ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट का अध्ययन कराया, फिर कोषागार में बंद तहखाने से मिले विग्रह को दो घंटे में तहखाने में प्रतिष्ठित कराया। एएसआई ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया कि तहखाने में हनुमान की दो, विष्णु और गणेश की एक, दो शिवलिंग और एक मकर प्रतिमा प्राप्त हुई हैं। इन विग्रहों के साथ ही 259 सामग्रियों को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दिया गया था। इसे बतौर प्रमाण कोषागार में रखवाया गया है। जिला जज की अदालत से आदेश जारी होने के बाद वादी जिलाधिकारी के पास पहुंचे और जिला जज के आदेश का अनुपालन कराने की मांग रखी। प्रशासन ने इस मामले में अधिवक्ताओं से विधिक राय लेने के बाद सबसे पहले तहखाने से विग्रह का चयन कराया। इसके साथ ही काशी विश्वनाथ धाम से व्यासजी के तहखाने के बीच रास्ता बनाने के लिए विशेषज्ञों की टीम को भेजा। टीम ने चार फीट के बैरिकेडिंग को काटने और यहां गेट लगाने की सलाह दी। इसके बाद प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों की निगरानी में व्यासजी के तहखाने तक पहुंचने के लिए ज्ञानवापी की बैरिकेडिंग को काटकर हटाया गया। 


शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए रात में किया काम

जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा कि व्यासजी के तहखाने में पूजा पाठ और राग भोग के आदेश के अनुपालन के साथ प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी प्रयासरत रहा। यही कारण है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में शयन आरती के श्रद्धालुओं के निकलने के बाद व्यासजी के तहखाने के रास्ते का निर्माण शुरू कराया गया। वादी ने न्यायालय के आदेश का अनुपालन तत्काल करने का आग्रह किया। विधिक सलाह के बाद प्रशासन ने जिला जज के आदेश को लागू किया है।


विवादित तकरीर

ज्ञानवापी मस्जिद में आज जुमे की नमाज के दौरान विवादित तकरीर की गई. शहर मुफ्ती मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने विवादित तकरीर की. जुमे की नमाज से पहले मस्जिदों में खुतबा यानी तकरीर होती है. खुतबे में मस्जिद में मौजूद नमाजियों व दूसरे लोगों के लिए संदेश जारी किए जाते हैं. नमाज से पहले शहर मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने तकरीबन 20 मिनट तक तकरीर की. मौलाना नोमानी ने अपनी तकरीर में केंद्र और यूपी की सरकारों पर जमकर निशाना साधा. कहा, मुल्क में इन दिनों बदले की भावना रखने वाली हुकूमतें काम कर रही हैं. एक खास तबके को निशाना बनाकर उन पर जुल्म किए जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों से एक खास तबके को टारगेट किया जा रहा है. उनकी मस्जिदों और दूसरे इबादतगाहों को निशाना बनाया जा रहा है.उन्होंने कहा कि अदालतें भी हमें सुने बिना ही मनमाने तरीके से जल्दबाजी में फैसले सुना रही हैं. तमाम मामले बरसों बरस से लटके हुए हैं लेकिन मुसलमानों की इबादतगाहों के मामले में 2 दिन में ही फैसले सुना दिए जाते हैं. महज़ सियासी फायदे के लिए एजेंडे के तहत हमें यानी मुसलमानों को टारगेट कर परेशान किया जा रहा है.

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