बताया जाता है कि 08 फरवरी को दोपहर लगभग 1.30 बजे खुद को हिंदू जागरण मंच का सदस्य बताने वाले लोगों का एक समूह प्राचार्य कार्यालय में आया और प्राचार्य की अनुपस्थिति में स्कूल के उप-प्रिंसिपल से मुलाकात कर स्कूल में सरस्वती पूजा का आयोजन करने की मांग की. वाइस प्रिंसिपल ने विनम्रतापूर्वक उन्हें सूचित किया कि, हम ईसाई अल्पसंख्यक संस्थान हैं और हम उन्हें स्कूल परिसर के भीतर ऐसा करने की अनुमति नहीं दे सकते क्योंकि भारत के संविधान ने भारत के अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार दिया है और हम ऐसा नहीं कर सकते. उनके द्वारा भारत के संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकार से परे कार्य करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.उन लोगों ने उसी क्षण वाइस प्रिंसिपल को धमकी देकर लौट गए. ऐसा प्रतीक हो रहा है कि वे लोग अल्पसंख्यक संस्थान और स्कूल परिसर में सरस्वती पूजा का आयोजन करने के लिए मजबूर कर देंगे. 09 फरवरी को प्रातः 11.00 बजे प्रतीम दत्ता खुद को सनातन धर्म‘ के सदस्य के रूप में पहचान देते हुए आए.उनके नेतृत्व में बहुत लोग आकर उसी मांग यानी अल्पसंख्यक संस्थान व स्कूल के अंदर सरस्वती पूरा का आयोजन करने फिर से स्कूल में आए थे.हमलोगों ने विनम्रतापूर्वक उन्हें अपनी पिछली बात बतायी और असहमति जताने पर उन्होंने वाइस प्रिंसिपल को धमकाया और चुनौती दी और यह कहते हुए चले गये कि वे स्थानीय लोगों को इकट्ठा करेंगे और लायेंगे.पंडित जी परिसर में आएंगे और विधि-विधान से सरस्वती पूजा का संचालन करेंगे. वे भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त अल्पसंख्यक ईसाई संस्थान के अधिकार को नहीं समझ पाए या नहीं समझना चाह रहे हैं.
आज 10 फरवरी को सुबह लगभग 11 बजे वे फिर से प्राचार्य के कक्ष में आये और स्कूल परिसर में सरस्वती पूजा का आयोजन नहीं करने की अनुमति नहीं देने पर परिणाम भुगतने की धमकी देने लगे. प्राचार्य ने फिर दोहराया कि हम सरस्वती पूजा और किसी भी धर्म के अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार अपना धार्मिक अधिकार और अपनी संस्था चलाने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं. लेकिन वे अड़े रहे और श्री प्रीतम दत्ता ने अहंकार पूर्वक स्कूल परिसर के भीतर सरस्वती पूजा का आयोजन करने के लिए संस्थान को चुनौती दी और स्कूल उन्हें ऐसा करने से नहीं रोक सकता. ऐसी स्थिति होने पर अब आशंका है कि ऊपर नामित व्यक्ति और समूह अवैध रूप से वह करने की कोशिश कर सकते हैं जो वे चाहते हैं और संपत्तियों और व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं. और कहा गया है कि अवैध कार्य निश्चित रूप से अनुच्छेद 30 के तहत धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थान को दिए गए भारत का संविधान का अधिकार का उल्लंघन करेंगे.अंत में सिस्टर प्राचार्य ने उपरोक्त परिस्थितियों के आलोक में स्कूल की ओर से विनम्रतापूर्वक कहा गया है कि ऐसे गैरकानूनी कृत्य को रोकने और संस्थान, उसकी संपत्ति और भारत के संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकार की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने की प्रार्थना की जा रही है. जिलाधिकारी को आभार व्यक्त किया गया.
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