- राष्ट्रीय फैडरेशनों के संयुक्त आह्वान पर आशा-ऊषा-आशा सहयोगी एकता यूनियन सीटू ने किया प्रदर्शन
आशा और पर्यवेक्षकों में है भारी आक्रोश
आशाओं के वेतन में केन्द्र सरकार के द्वारा 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,000 किया गया था, लेकिन पांच साल बीतने के बाद भी सरकार आशा एव पर्यवेक्षकों के वेतन में किसी तरह की वृद्धि नही कर रही है। दिन रात स्वास्थ्य सेवायें दे रही आशाओं के साथ सरकार का यह रवैया अन्यायपूर्ण एवं अमानवीय है। सरकार द्वारा आशाओं के प्रोत्साहन राशि का महीनों से भुगतान नहीं किया जा रहा और न ही प्रोत्साहन राशि का पूरा एवं समय पर भुगतान किया जाता है। कड़ी मेहनत करने के बाद भी केन्द्र एवं राज्य सरकार के द्वारा की जा रही उपेक्षा से जिले भर की आशा एवं पर्यवेक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
यह है आशा-ऊषा-आशा सहयोगी एकता यूनियन की मांग
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन स्थायी विभाग बनाया जावे एवं पर्याप्त बजट का आवंटन सुनिश्चित किया जाए। आशा कार्यकतां एवं पर्यवेक्षकों एवं अन्य योजना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी के रूप में नियमित किया जाए एवं सरकारी कर्मचारियों के रूप में सभी लाभों का वैधानिक भुगतान सुनिश्चित किया जाए।नियमितीकरण लॉबत रहने तक, 45वीं भारतीय श्रम सम्मेलन आईएलसी की सिफारिशों के अनुसार आशा एवं पर्यबेक्षकों को न्यूनतम वेतन दिया जावे एवं न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह से कम न हो, बेतन दिया जाये। 12,000 रुपये प्रति माह पेंशन, भविष्य निधि, ईएसआई, ग्रेच्युटी सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जाये। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आंगनवाडी कर्मियों को ग्रेच्युटी दिये जाने सम्बन्ध में दिये गये निर्णय के आधार पर आशा एवं पर्यवेक्षकों को सेवा निवृत्ति पर ग्रेच्युटी का भुगतान किया जावे। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत काम करने वाले सभी योजना कर्मियों के वेतन और सेवा शर्तो में सुधार और नियमितीकरण की प्रक्रिया पर विचार करने के लिए एक वेतन आयोग का गठन किया जाए। सभी राज्यों में विभिन्न श्रेणियों के योजना कर्मियों के लिए एक समान सेवा नियम बनाया जावे। आशा एवं पर्यवेक्षकों सहित योजना कर्मियों से गैर विभागीय कायज़् न कराया जावे। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) को वापस लिया जावे। चारों श्रम संहिताओं को वापस लिया जावे एवं सभी श्रम कानूनों का लाभ आशा एवं पर्यवेक्षकों को दिया जावे। सरकारी अस्पतालों सहित सार्वजनिक उद्योगों एवं सेवाओं का निजीकरण बंद किया जावे। महिलाओं और बच्चों पर हिंसा को रोकने के लिये ठोस कदम उठाया जावे। विभागीय अधिकारियों द्वारा आशाओं के सभी तरह के प्रताडऩा को रोका जावे और आर्थिक संसाधन जुटाने के लिये धन्ना सेठों पर अधिक कर लगाया जावे जैसी मांग समाहित है।
इन्होने दिया कलेक्ट्रेट पहुंच पीएम के नाम ज्ञापन
ज्ञापन देने वाली आशा-ऊषा-आशा पर्यवेक्षक सकून पाटिल,शिप्रा,बड़वा उकेज़्,राजमंडी,रीना,मनीषा मेहुरा,दुगाज़् यादव,शीला धुवेज़्,क्षमा यादव,किरण,इस्मिता,अमरवती,सीमा,पिंकी,राधा,रमेती, सुनिता ,छाया,सकून,अमरावती कुमेर,सुनीता,संगीता,बउआ,रीना,राज मंडी,सुनीता,कांति,समुद्रा,विनिशा,रेखा सहित आशा-ऊषा-आशा सहयोगी एकता यूनियन मध्य प्रदेश सीटू की समस्त सदस्य शामिल रही।
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