आलेख : पशुपालन क्षेत्र में क्रांति लायेगी बनास डेरी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

आलेख : पशुपालन क्षेत्र में क्रांति लायेगी बनास डेरी

गुजरात के अर्ध शुष्क क्षेत्र बनासकांठा में पशुपालन की वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर जो सफलताएं मिली, उसका अमल अब यूपी सहित पूर्वांचल में भी होने लगा है। दावा है कि पशु पालन के क्षेत्र में यूपी का पूर्वांचल गुजरात का भी रिकार्ड तोड़ेगा। गुजरात में प्रति पशु दूध उत्पादन में औसतन उत्पादका 22 फीसदी है। इस रिकार्ड को पूर्वांचल में आसानी से बढ़ा पाना संभव होगा। इसकी बड़ी वजह है बनास डेरी का सराहनीय व सार्थक पहल। ’पूर्वांचल के विकास में सहकार का प्रयास’ थीम के तहत उत्पादकता बढ़ाने के क्षेत्र में उसका प्रयास बहुत हद तक सफल होता दिखने लगा है। या यूं कहे पूर्वांचल में सहकार से समृद्धि की ओर बनास डेरी न सिर्फ उत्पादकता बढाने के लिए अग्रसर है, बल्कि पूर्वांचल के 750 प्रत्यक्ष एवं 81,000 अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार भी दे रही है। बता दें, पूर्वांचल में विकास को एक नई गति प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को पांच लाख लीटर दूध उत्पादन क्षमता वाले बनास काशी संकुल की आधारशिला रखी थी। उत्तर प्रदेश  राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण फूड पार्क, कारखियां, वाराणसी में 30 एकड़ भूमि में फैले 475 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस डेयरी का निर्माण 2 साल में पूरा भी कर लिया गया है। दावा है कि ’बनास डेयरी संकुल’ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और क्षेत्र के किसानों के लिए नकदी कमाई का जरिया बनेगा। इसमें रोज़ाना 5 लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण की सुविधा होगी. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और क्षेत्र के किसानों को प्रगति के नए अवसर मिलेंगें 

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धर्म एवं आस्था की नगरी काशी की कायापलट करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हरसंभव कोशिश में जुटे है। इसी कड़ी में ’बनास डेयरी संकुल’ पूर्वांचल के लिए मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 फरवरी को अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्घाटन करेंगे। इस मौके को खास बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही है। दावा है कि मोदी के इस कार्यक्रम में वाराणसी सहित पूर्वांचल के एक लाख से अधिक गोपालक और किसान मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम की थीम ’पूर्वांचल के विकास में सहकार का प्रयास’ है। इसमे प्रधानमंत्री पूर्वांचल के विकास की कुछ अन्य परियोजनाओं की भी चर्चा एवं लोकार्पण करेंगे। दरअसल, बनास डेरी गुजरात के बाद पूर्वांचल में दुग्ध क्रांति लाने की तैयारी कर रही है. उसका मानना है कि दूध उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए नस्ल सुधार पर ध्यान देना होगा। यही वजह है कि बनास डेरी ने 7 गांवों में कृत्रिम गर्भाधान विधि की सुविधा शुरू की है। बनास डेरी ने हाल ही में बीबीबीआरसी (बनास बोवाइन ब्रीडिंग एंड रिसर्च सेंटर) का शिलान्यास किया है। यह बनास डेरी का बोवाइन प्रजनन और अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र है। बनास डेरी बीबीबीआइसी से गंगातीरी, लाल साहीवाल और लाल सिंधी के लिए भ्रूण तैयार करेगी। इस भ्रूण का प्रयोग स्थानांतरण के लिए होंगा।


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बनास डेरी ने किसानों के घर तक इटी तकनीक से भ्रूण स्थानांतरण के लिए 112 किसानों के 164 पशुओं को चुना है। ये सभी वाराणसी के  आराजिलाइन, काशीविद्यापीठ, पिंडारा तथा शेवपुरी ब्लॉक के 55 गावों से हैं। बता दें, इस क्षेत्र के 150 किसानों और गोपालकों के बीच 150 उच्च गुणवत्ता वाली गिर गाएं दी गईं थीं। मकसद है शीघ्रता से नस्ल सुधार कार्यक्रम का कार्यान्वयन कराना। इसके लिए बनासकांठा के पालनपुर के आएं पशुपालकों द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जागरूकता और पशुपालन ज्ञान गोपालकों में विकसित करने के लिए हाल ही में 6 दिवसीय तालीम और फील्ड प्रशिक्षण भी दिया गया। इस प्रशिक्षण में पूर्वांचल के 150 से अधिक किसानों के अलावा बनास डेरी से जुड़े सभी 250 गांवो में एआई सेवाएं देने के लिए 22 एआई कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण के बाद यह कर्मी प्रारंभिक उपचार, टीकाकरण और कृमि मुक्ति कर जैसे उपचार आसानी से करा पाएंगे। खास यह है कि वाराणसी के मोहन सराय में वेटरिनरी सेंटर भी शुरू किया गया है। इस केंद्र से अब तक 400 से अधिक पशुओं का इलाज किया जा चुका है। शीघ्र ही इस केंद्र से 1200 से अधिक पशुओं का इलाज किया जा सकेगा। पशु चिकित्सा सेवाएं 241 गांवों में शुरू की गई है और यह पशु चिकित्सक प्रतिमास अपने निर्धारित गांवों का दौरा करेंगे और रूट सिस्टम के माध्यम से किसानों से भी जुड़े रहेंगे।


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इसके अलावा किसानों में जागरूकता लाने के लिए न सिर्फ अभियान चलायेगी, बल्कि समय-समय पर बैठकें भी करेगी। इस दौरान वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन की पद्धति का प्रशिक्षण, चारे की मात्रा, गुणवत्ता, चारे का प्रकार (हरा चारा और सूखा चारा) के बैलेंस का ज्ञान, पशु आहार के प्रकार का प्रशिक्षण, पशु के दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का तरीका, निर्धारित टीकाकरण के साथ पशु रोग की रोकथाम का अभ्यास, एथनोवेट का ज्ञान और दूध में एंटीबायोटिक अवशेषों को न्यूनतम करना, कृमि मुक्ति कार्यक्रम और दवाओं की आपूर्ति, राज्य और केंद्र सरकार की सहायक योजनाओं के बारे में जागरूकता पर खास ध्यान दिया जायेगा। बता दें, बनास डेरी ने आराजी फार्म, वाराणसी में 33 गायों में भ्रूण स्थानांतरण किया है। इसमें 23 फीसदी की दर से सफलता मिली है। इनमें से 11 बछड़े पैदा हुए हैं, जिसमें 10 मादा मवेशी और एक नर मवेशी है। इस अभियान में यूपी पशु विकास बोर्ड का भी सहयोग हैं और स्थानीय ब्रीड्स के संरक्षण और विकास पर मिलकर काम कर रहे हैं। इसके अलावा,पशुओं के लिए कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण और पशुचिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जैसे बाँझपन शिविर, डीवर्मिंग, टीकाकरण इत्यादि। यह एक सामूहिक प्रयास है, ताकि स्थानीय ब्रीड्स को संजीवनी दे सकें। मकसद है पूर्वांचल को दुग्ध उत्पादक में आत्मनिर्भर बनाना।


बनारस की मिठाइयों को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान

बनास काशी संकुल में न सिर्फ़ दूध प्रोसेसिंग किया जाएगा बल्कि इस दूध से निर्मित लाल पेड़ा और लौंगलत्ता जैसी मिठाईयों को भी अमूल ब्रांड के नाम से बाजार में उपलब्ध होंगी। इससे बनारस की इन मिठाइयों को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी। बनास डेरी ने बनास काशी संकुल में प्रतिदिन 10,000 किग्रा क्षमता की पारंपरिक भारतीय मिठाइयों के निर्माण की अत्याधुनिक सुविधा स्थापित की है। इस संयंत्र में विभिन्न मिठाइयां, जैसे लाल पेड़ा, लौंगलता, बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, रसमलाई, रबड़ी, काजू कतली, मिल्क केक, रसगुल्ला और गुलाबजामुन को बनाया जाएगा। इन सभी मिठाइयों का निर्माण यथासंभव स्वचालित रूप से सबसे स्वच्छ वातावरण और उपकरणों में किया जाएगा, ताकि मिठाई की लगातार गुणवत्ता, सेल्फ लाइफ और पारंपरिक स्वादको सुनिश्चित किया जा सके। विभिन्न मिठाइयों की पैकिंग उपभोक्ता की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न एसकेयू में की जाएगी। मिठाइयों की ताजगी, सेल्फ लाइफ और उपभोक्ताओं की सुविधा बढ़ाने के लिए लाल पेड़ा, लड्डू, लौंगलता और काजू कतली के लिए सिंगल सर्व पैकिंग की शुरुआत इस प्लांट से की जा रही है। वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाईयों को अमूल ब्रांड के तहत राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाया जाऐगा।


750 प्रत्यक्ष एवं 81,000 अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार दे रही है : शंकर भाई चौधरी

बनास डेयरी के चेयरमैन शंकर भाई चौधरी के मुताबिक इस डेयरी से वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर और आजमगढ़ के 1000 गांवों के किसानो को फायदा होगा. इन किसानों को दूध के बदले, हर महीने दस हजार तक का मूल्य मिलेगा. वर्तमान में बनास डेरी पूर्वांचल के 750 प्रत्यक्ष एवं 81,000 अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार दे रही है। जिसमें दूध उत्पादक और किसान भी शामिल हैं। इस प्लांट में रोजाना 50 हजार लीटर आइसक्रीम, 20 टन पनीर, 75 हजार लीटर बटर मिल्क, 50 टन दही, 15 हजार लीटर लस्सी और 10 हजार किग्रा अमूल मिठाई का उत्पादन होगा. इसके साथ ही, प्लांट में एक बेकरी यूनिट भी होगी. प्लांट का लक्ष्य 5 लाख लीटर दुग्ध उत्पाद की क्षमता को 10 लाख लीटर तक ले जाना है. उनका कहना है कि छोटे एवं सीमांत किसानों की आय का स्तर बढ़ाने के लिए डेरी व्यवसाय एक उपयुक्त साधन है। उनका कहना है कि वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाईयां, लौंगलता और काशी का लाल पेड़ा भी इस संयंत्र में स्वचालन के साथ स्वच्छतापूर्वक निर्माण किया जाएगा और अमूल ब्रांड के तहत राष्ट्रीय बाजारों तक इसे पहुंचाया जाऐगा। इस संयंत्र से विभिन्न मिठाइयों को बेहतर शेल्फ-लाइफ, ताजगी और उपभोक्ता सुविधा के लिए सिंगल सर्व पैक में भी बनाया जा रहा है। किसानों और पशु-पालन श्रमिकों के बीच पशु-पालन ज्ञान और जागरूकता विकसित करने के लिए, पूर्वांचल के 150 से अधिक स्थानीय किसानों का पालनपुर गुजरात में 6 दिवसीय कक्षा और फील्ड प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। 150 उच्च गुणवत्ता वाली गिर गायें, पूर्वांचल के किसानों को उपहार में दी गईं और यूपी से साहीवाल, लाल सिंधी और गंगातीरी और गुजरात से गिर की सर्वोत्तम स्थानीय गाय की नस्लों से भ्रूण तैयार करके दिये गये।


पशु पालकों का प्रशिक्षण 

अपनी विस्तार सेवाओं के माध्यम से, बनास डेरी वैज्ञानिक पशुपालन, टीकाकरण और बीमारी की रोकथाम, एथनोवेट, पशु पोषण और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में स्थानीय पशुपालको को ज्ञान प्रदान कर रही है। वर्तमान में यूपी में बनास डेरी का दूध का कारोबार 47 जिलों (7 पूर्वाचल में) के 4,600 गांवों में फैला हुआ है। यह दूध संग्रहण अगले साल तक 70 जिलों के 7,000 गांवों तक विस्तारित हो जाएगा, जिसमें पूर्वाचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है। पूर्वांचल में 600 से ज्यादा समितियां चालू हैं, 1,300 से ज्यादा बन चुकी हैं। जो वर्ष के आखिर तक बढ़कर 2,600 समितियां हो जांएगी। बनास डेरी मौजूदा समय में यूपी में 3.5 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है। इनमें से 58 हजार दूध उत्पादक पूर्वांचल एंव वाराणसी के हैं। गांवों में व्यापक काम करके, बनास डेरी यूपी में 2 लाख अतिरिक्त दुग्ध उत्पादक परिवारों को जोड़ेगी, जिनमें से 1 लाख पूर्वांचल और वाराणसी के अन्य जिलों से आएंगे। मोदी के नेतृत्व मे पूर्वांचल में शुरू हुये विकास के अंतर्गत वर्तमान में ख़ुशीपुर, चोलापुर, मिर्ज़ापुर, ग़ाज़ीपुर और दूबेपुर में 5 चिलिंग सेंटर काम कर रही हैं। अगले महीने तक 8 और चालू हो जाएंगे। यूपी में कुल मिलाकर, 29 चिलिंग सेंटर चालू हैं। साल के अंत तक यह बढ़कर 50 हो जाएंगे। इस बुनियादी ढांचे के माध्यम से वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 19 लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है, जिसमें औसतन 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध पूर्वांचल और वाराणसी से आ रहा है। उत्तर प्रदेश में इस साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 25 लाख लीटर हो जाएगी, जिसमें 7 लाख लीटर प्रतिदिन वाराणसी और पूर्वांचल से आएगा। बनास काशी संकुल 30 एकड़ में फैला हुआ है, यह 8 एलएलपीडी (लाख लीटर प्रति दिन) का दूध प्रोसेसिंग संयंत्र है। इस परीयोजना को प्रधान मंत्री के मार्गदर्शन के साथ, 622 करोड रुपये की कुल लागत में स्थापित किया गया है़। सस्टेनेबिलीटी की दिशा में प्रयास करते हुऐ इस प्लांट मे 4 एलएलपीडी का एलटीपी और 1 एमडब्ल्यू का रूफटॉप सोलर प्लांट भी स्थापित किया गया है़।






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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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