आलेख : भगवान विष्णु का ही होगा कल्कि अवतार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

आलेख : भगवान विष्णु का ही होगा कल्कि अवतार

जैसे-जैसे कलयुग का समय बीतेगा, पृथ्वी पर अत्याचार और पाप बढ़ता जाएगा, व्यक्ति में संस्कारों की कमी आ जाएगी, शिष्य गुरु के उपदेशों का पालन नहीं करेंगे, हत्या और लूट की घटनाएं बढ़ जाएंगी और धर्म की नीतियां खत्म हो जाएंगी, तब भगवान कल्कि अधर्म का नाश करने के लिए और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अवतरित होंगे। श्रीमद्भागवत गीता के 12वें स्कंद में भी भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का उल्लेख है। कलयुग के आखिर और सतयुग के संधि काल में भगवान विष्णु कल्कि के तौर पर अवतार लेंगे. जब गुरु, सूर्य और चंद्रमा एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, तब भगवान कल्कि का विष्णुयशा नामक ब्राह्मण परिवार के घर में जन्म होगा. वह सफेद घोड़े पर सवार होंगे और 64 कलाओं से युक्त होंगे. श्रीमद्भागवत के 12वें स्कंद में लिखा है- शम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः। भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।। यानि भगवान कल्कि, विष्णु के 10वें अवतार होंगे, जिनका अवतरण अभी होना है. कल्कि पुराण के मुताबिक जब कलयुग में पाप बढ़ जाएगा, हर तरफ अंधेरा होगा और धर्म पर संकट मंडराएगा तब भगवान विष्णु कल्कि के रूप में धरती पर अवतार लेंगे. कल्कि पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु सावन माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को संभल में अवतार लेंगे। इसके बाद सतयुग की शुरुआत होगी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था. जब भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वीलोक से विदा लिया तब कलयुग का प्रथम चरण शुरू हो चुका था. कहा जाता है कि, पृथ्वी पर कलयुग का इतिहास 4 लाख 32 हजार वर्षों का होगा, जिसमें अभी प्रथम चरण चल रहा है. यानी 3102$2023= 5125 साल कलियुग के बीत चुके हैं और 426875 साल अभी शेष हैं

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कलियुग का अंत होने के बाद भगवान विष्णु धर्म की पुनर्स्थापना के लिए कल्कि के अवतार में जन्म लेंगे. श्रीहरि के दसवें अवतार भगवान कल्कि का नाता युगों पुराना है. पौराणिक ग्रंथों में संभल में इस अवतार के प्रादुर्भाव का उल्लेख है. दरअसल, कल्कि भगवान विष्णु के आखिरी अवतार माने जाते हैं. कल्कि पुराण और अग्नि पुराण के अनुसार, श्री हरि का ’कल्कि’ अवतार कलियुग के अंत में अवतरित होगा. उसके बाद धरती से सभी पापों और बुरे कर्मों का विनाश होगा. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतार बताए जाते हैं, जिनमें नौ का जन्म हो चुका है और दसवें अवतार का जन्म अभी बाकी है। दसवें अवतार के रूप में भगवान कल्कि जन्म लेंगे, जो कलयुग के अंत में सफेद घोड़े पर सवार होकर दुष्टों का संहार करेंगे। यानी कलियुग की समाप्ति भगवान विष्णु के कल्कि अवतार से होगी। पुराणों के अनुसार भगवान कल्कि का जन्म सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को संभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नाम के एक ब्राह्मण परिवार में होगा। भगवान कल्कि के पिता भगवान विष्णु के भक्त होंगे। साथ में वह वेदों और पुराणों के ज्ञाता भी होंगे। रामजी की तरह भगवान कल्कि के भी चार भाई होंगे और सभी मिलकर धर्म की स्थापना करेंगे. भगवान कल्कि का दो विवाह होगा. उनकी पत्नियों का नाम लक्ष्मी रूपी पद्मा और वैष्णवी रूपी रमा होगा. भगवान का यह स्वरूप 64 कलाओं से परिपूर्ण होगा। इनके गुरु चिरंजीवी भगवान परशुराम होंगे जिनके इनके निर्देश पर कल्कि भगवान शिव की तपस्या करेंगे और दिव्यशक्तियों को प्राप्त कर अधर्म का अंत करेंगे.


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अग्नि पुराण के 16वें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया गया है. इसमें भगवान कल्कि के घोड़े का नाम देवदत्त बताया गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कलियुग 432000 वर्ष का है, जिसका अभी प्रथम चरण चल रहा है. जब कलयुग का अंतिम चरण शुरू होगा, तब कल्कि अवतार लेंगे. कल्कि पुराण के मुताबिक, भगवान कल्कि का जन्म भी उत्तर प्रदेश के संभल में ही होगा. कल्कि का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में ही होगा. भगवान कल्कि एक महान योद्धा होंगे. जिनका जन्म कलियुग के अंत में सभी बुराइयों को दूर करने के लिए होगा. महाभारत और कई धर्म ग्रंथों के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी ने हजारों वर्ष पहले भविष्यवाणी की थी कि, जैस-जैसे कलयुग का समय बीतता जाएगा, धरती पर अत्याचार और पाप भी बढ़ते जाएंगे. व्यक्ति में संस्कारों का नाश हो जाएगा, कोई गुरुओं के उपदेशों का पालन नहीं करेगा, वेदों को मानने वाला कोई नहीं होगा और अधर्म अपने चरम पर होगा. तब भगवान कल्कि अपने गुरु भगवान परशुराम के निर्देश पर भगवान शिवजी की तपस्या करेंगे और दिव्यशक्तियों को प्राप्त करेंगे. दिव्यशक्तियों को प्राप्त करने के बाद भगवान कल्कि देवदत्त घोड़े पर सवार होकर पापियों का संहार करेंगे और पुनः धर्म का पताका लहराएंगे. इस तरह से कल्कि के जन्म के बाद कलयुग का अंत हो जाएगा और पुनः सतयुग की शुरुआत होगी. सिख गुरु गुरु गोविन्द सिंह ने भी भावी कल्कि अवतार और उनकी शक्ति को स्वीकार करते हुए दशम ग्रंथ में कहा है कि भगवान विष्णु का दशम अवतार कल्कि अवतार 100 सिखों का अवतार होंगे, जो इस युग की समाप्ति पर श्वेत घोड़े पर सवार होकर पापियों और दुष्टों का संहार करने आएंगे। पौराणिक व सिख ग्रंथों में कल्कि का उल्लेख होने के कारण लोग इन्हें पूर्ण सत्य मानकर भक्ति और साधना के साथ भविष्य के भगवान कल्कि अवतार का जन्म का इंतजार  सदियों से करते आ रहे हैं।


भगवान विष्णु के 10 अवतार

मत्स्य : मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का पहला अवतार है. इस अवतार में विष्णु जी मछली बनकर प्रकट हुए. मान्यतानुसार, एक राक्षस ने वेदों को चुरा कर समुद्र की गहराई में छुपा दिया था, तब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर वेदों को पाया और उन्हें फिर स्थापित किया।

कूर्म : कूर्म अवतार को ’कच्छप अवतार’ भी कहते हैं. इसमें भगवान विष्णु कछुआ बनकर प्रकट हुए थे. कच्छप अवतार में श्री हरि ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन में.मंदर पर्वत को अपने कवच पर रखकर संभाला था.

वराह : वराह अवतार हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से तीसरा अवतार है. इस अवतारमें भगवान ने सुअर का रूप धारण करके हिरण्याक्ष राक्षस का वध किया था.

नरसिंह : ग्रंथों के अनुसार, नरसिंह भगवान विष्णु के चौथा अवतार हैं. इसमें भगवानका चेहरा शेर का था और शरीर इंसान का था. नृसिंह अवतार में उन्होंने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए उसके पिता राक्षस हिरणाकश्यप को मारा था.

वामन : भगवान विष्णु पांचवां अवतार हैं वामन. इसमें भगवान ब्राम्हण बालक के रूप में धरती पर आए थे और प्रहलाद के पौत्र राजा बलि से दान में तीन पद धरती मांगी थी.

परशुराम : दशावतारों में से वह छठवां अवतार थे. वह शिव के परम भक्त थे. भगवान शंकर ने इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर परशु शस्त्र दिया था.

श्रीराम : भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम हैं. रामचरितमानस और रामायण दोनों में ही श्रीराम का जिक्रमिलता है.

श्रीकृष्ण : श्री कृष्ण भी विष्णु के अवतार थे. भागवत ग्रंथ में भगवान कृष्ण की लीलाओं की कहानियां है. इनके गोपाल, गोविंद, देवकी नंदन, वासुदेव, मोहन, माखन चोर, मुरारी जैसे अनेकों नाम हैं. साथ ही इन्होंने युद्ध से पहले अर्जुन को गीता उपदेश दिया था.

भगवान बुद्ध : भगवान विष्णु के दशावतारों में से एक बुद्ध भी हैं. इनको गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध भी कहा जाता है. वह बौद्ध धर्म के संस्थापक माने जाते हैं. 


500 साल पहले था कल्कि मंदिर, जिसे आक्रांताओं ने तोड़ा 

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संभल में 500 साल पहले से भगवान कल्कि का मंदिर हुआ करता था, लेकिन उस मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनवा दी गई. इस मस्जिद का निर्माण भारत में मुगल वंश की नींव रखने वाले बाबर ने करवाया था. बहुत कम लोगों को पता है कि मुगल शासक बाबर ने अपने जीवन काल में कुल तीन मस्जिदों का निर्माण करवाया. जिसमें अयोध्या में बाबरी मस्जिद, पानीपत में काबुली बाग मस्जिद और संभल की शाही जामा मस्जिद शामिल है. इतिहासकारों के मुताबिक बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी पर अपनी जीत की तारीख या याद के तौर पर वहां काबुली बाग मस्जिद का निर्माण कराया. इस मस्जिद का नाम अपनी पत्नी काबुली बेगम के नाम पर रखा. इसी तरह अयोध्या में राम मंदिर को तोड़कर वहां बाबरी मस्जिद बनवाई. तीसरी मस्जिद संभल में बनवाई. संभल में जिस जगह शाही जामा मस्जिद का निर्माण करवाया, वहां कभी भगवान कल्कि का मंदिर हुआ करता था. इतिहासकारों के मुताबिक साल 1528 में बाबर के आदेश पर उसके वफादार मीर बेग ने कल्कि मंदिर को तहस-नहस कर दिया और मंदिर के अवशेष पर ही मस्जिद की तामीर कराई. आज भी कल्कि मंदिर की दीवार और दूसरी चीजों पर मंदिर के अवशेष नजर आ जाते हैं.


राम मंदिर जैसा भव्य व दिव्य होगा कल्कि मंदिर

श्री कल्कि धाम के निर्माण का शुभारंभ हो चुका है. पीएम नरेन्द्र मोदी ने कल्कि मंदिर का शिलान्यास किया. कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने संभल में भव्य कल्कि मंदिर बनवाने का संकल्प लिया था. अब कल्कि पीठ मंदिर निर्माण करवा रहा है. संभल में बन रहे कल्कि मंदिर और अयोध्या राम मंदिर के बीच कई समानताएं हैं. मसलन- कल्कि मंदिर का निर्माण भी उसी गुलाबी पत्थरों से होगा जिससे अयोध्या में रामलला का मंदिर बना है. भगवान कल्कि का मंदिर 5 एकड़ में फैला होगा. शिखर की ऊंचाई 108 फीट होगी और 11 फीट की ऊंचाई पर मंदिर का चबूतरा बनेगा. 


कल्कि धाम में होंगे 10 गर्भगृह

कल्कि धाम मंदिर का निर्माण भी उन्हीं गुलाबी पत्थरों से किया गया है, जिससे अयोध्या का राम मंदिर और सोमनाथ मंदिर बनाया गया है। इस कल्कि धाम मंदिर की खासियत ये है कि इस मंदिर में एक नहीं, बल्कि 10 गर्भगृह होंगे। इस सभी गर्भगृहों में भगवान विष्णु के सभी 10 अवतारों को स्थापित





 

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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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