पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में जांच रिपोर्टो एवं एजेंसियों की मानें तो बड़ी संख्या में महिलाओं का यौन उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्जे का खेल सालों से चल रहा था। इसके आरोपियों पर टीएमसी एवं उसके गंडों के संरक्षण में सबकुछ धड़ल्ले से कर रहे थे। खास यह है कि उत्पीड़न की शिकार महिलाओं की चीख बाहर न जाएं इसके लिए बहुत ही सुनियोजित और संयोजित तरीके से माहौल को शांत रखा गया। मतलब साफ है हिन्दुस्तान की हद में होने के बावजूद पश्चिम बंगाल के संदेशखाली के इलाके में जुर्म की हुकूमत कायम है. टीएमसी के उन तीन नेताओं के इर्द गिर्द संदेशखाली का पूरा सच छुपा हुआ है, जिनमें से दो अंदर हैं जबकि एक लापता है। या यूं कहे पूरे घटनाक्रम का असली मास्टरमाइंड उत्तम सरकार, शिबू हजारा और शाहजहां शेख है. इनके दमन, शोषण और जुल्म की इंतहा का हाल यह है कि इलाके की महिलाओं का जीना हराम हो गया है. ’भाई’ शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और इलाके के बेलगाम गुंडे महिलाओं की इज्जत को तार तार करते आ रहे हैं. उनके साथ घिनौना अत्याचार करते रहे हैं. लेकिन ममता दीदी चुप रहने में न सिर्फ अपनी वोटबैंक बढ़ाने में मशगूल रही, बल्कि इन अत्याचारियों को खुली छूट दे रखी थी। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है भगोड़े गुनहगार को हरहाल में हाजिर करों, जैसे हाईकोर्ट आदेश बाद भी ममता दीदी आरोपियों को क्यों बचा रही है? दुसरा बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब गिरफ्तार होगा संदेशखाली का शाहजहां? संदेशखाली का खलनायक शाहजहां शेख कहां लापता है? क्यों इसका रसूख इतना ज़्यादा है कि बंगाल की सत्ताधारी पार्टी उसे बचाने पर आमादा है? संदेशखाली में पीड़ितों पर ही प्रश्न, दोषियों को बचाने में किसका हाथ?फिरहाल, पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले में स्थित बांग्लादेश की सीमा से सटे संदेशखाली क्षेत्र का नाम 5 जनवरी से पहले शायद ही किसी ने सुना होगा. अब संदेशखाली का नाम हर अखबार के पन्ने पर छाया हुआ है. संदेशखाली में तनाव को लेकर हालात गंभीर हैं. पूरा इलाका सुलग रहा है. पीड़ितों ने टीएमसी नेताओं पर जो आरोप लगाए हैं वो बेहद संगीन हैं. या यूं कहे आरोप के जो सुर उठे, उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। पीड़ित महिलाएं इंसाफ मांग रही हैं. लेकिन पीड़ित महिलाओं पर सवाल खड़ा कर दिया गया. जबकि महिलाओं से उनके साथ हुए अत्याचार की कहानियां सुन कर हर किसी की रोंगटे खड़े हो जा रहे है। संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं ने जो आपबीती सुनाई है, उसे सुनकर किसी का भी दिल दहल सकता है. महिलाओं ने शाहजहां शेख और उसके समर्थकों पर अत्याचार करने, यौन उत्पीड़न करने और जमीन कब्जाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. एक महिला ने तो यहां तक कहा है कि टीएमसी के लोग गांव में घूमकर घर-घर जाकर चेक करते हैं. सुंदर महिलाओं की तलाश करते हैं. इसके बाद घर में कोई सुंदर महिला या लड़की दिखती है तो टीएमसी नेता शाहजहां शेख के लोग उसे अगवा कर ले जाते हैं. उसे पूरी रात अपने साथ पार्टी दफ्तर या किसी अन्य जगह पर रखकर हवस का शिकार बनाते हैं. अगले दिन उसके घर के सामने लाकर छोड़ जाते हैं. आरोप लगाने वालों का कहना है कि इस इलाके में शेख शाहजहां का इतना खौफ था कि कोई आवाज नहीं उठाता था।
महिलाओं का प्रदर्शन
संदेशखाली कभी पश्चिम बंगाल का एक शांत गांव हुआ करता था. अब वहां आग धधक रही है, लेकिन ममता बनर्जी के अपने सपने राख हो रहे हैं. जो महिलाएं कल तक उन पर सबसे ज्यादा भरोसा करती थीं, आज उन्हीं की विरोधी बन गई हैं. दीदी से उनका भरोसा उठ चुका है. इसकी वजह पार्टी के भीतर अत्याचार है. इन लपटों ने ममता की पहचान को ही खाक कर दिया है, वह पहचान जो उन्हें दलितों का मसीहा बनाती थी. जो महिलाएं दीदी की कट्टर समर्थक थीं, अब उनके विरोध में खड़ी हैं. उनकी आवाज नंदीग्राम की चीखों की मानिंद है, जो ममता को अतीत की याद दिला रही हैं. इन महिलाओं की पुकार हर तरफ महसूस की जा रही है. महिलाओं का आरोप है कि शेख शाहजहां के गुर्गे जबरदस्ती करते थे और उनकी जमीनों को हड़प लेते थे। बेइज्जती और छेड़छाड़ के डर से सूर्यास्त के बाद अपने घरों से बाहर निकलने से डरती हैं, क्योंकि इस तरह की घटनाएं क्षेत्र में आम हो गई हैं। 8 फरवरी से संदेशखाली की स्थानीय महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन शुरू कर दिया. तब से लगातार हर दिन प्रदर्शन हो रहे हैं. ये विवाद तब बढ़ गया जब 9 फरवरी को प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां शेख के समर्थक हाजरा के स्वामित्व वाले तीन पोल्ट्री फार्म में आग लगा दी. महिलाओं ने आरोप लगाया कि ये फार्म ग्रामीणों से जबरदस्ती छीनी गई जमीन पर बनाए गए थे. प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां शेख और उसके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. दावा है कि शाहजहां शेख के गुर्गे रात में आकर जबरन उठाकर ले जाते थे और सुबह छोड़ दिया करते थे. उनसे रातभर काम कराया जाता था. सभी से कहा जाता था रात 12 बजे मीटिंग है जाना ही है. कोई भी पीड़ित महिला डर के चलते कैमरे के सामने नहीं बोलती थी. पुलिस से शिकायत की मगर कभी कोई मदद नहीं की. सरकार पर भी भरोसा नहीं है. एक दूसरी प्रदर्शनकारी महिला ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के लोग गांव में घर-घर जाकर सर्वे करते हैं. किसी घर में कोई सुंदर महिला या लड़की दिखती है तो उसे पार्टी ऑफिस ले जाया जाता है. फिर उस महिला को कई रातों तक वहीं रखा जाता है. महिलाओं ने शाहजहां शेख के करीबी माने जाने वाले टीएमसी नेता उत्तम सरदार और शिबप्रसाद हाजरा पर भी शामिल होने का आरोप लगाया है.जांच के घेरे में संदेशखाली
विवाद बढ़ने के बाद 12 फरवरी को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने संदेशखाली का दौरा किया. यहां की महिलाओं से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने मीडिया से कहा, ’मैंने संदेशखाली की माताओं और बहनों की बातें सुनी. मुझे विश्वास नहीं हुआ कि रबिन्द्र नाथ टैगोर की धरती पर ऐसा भी हो सकता है.’ 13 फरवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे ने घटना पर स्वतः संज्ञान लिया. कोर्ट ने ममता सरकार से मामले पर 20 फरवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. इसके बाद 14 फरवरी को हाईकोर्ट संदेशखाली में लागू की गई धारा 144 रद्द कर दी.
टीएमसी का गढ़ है संदेशखाली?
संदेशखाली विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. 2016 से टीएमसी इस सीट पर लगातार दो बार जीत चुकी है. 2021 विधानसभा चुनाव में टीएमसी के उम्मीदवार सुकुमार महता ने बीजेपी के उम्मीदवार को करीब 40 हजार वोटों से हराया था. 2016 से पहले तक इस सीट पर वाम मोर्चा मजबूत था. 1977 से 2011 तक संदेशखाली विधानसभा सीट पर लगातार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का कब्जा रहा था. बीजेपी ने अबतक एक बार यहां जीत हासिल नहीं की है.संदेशखाली सीट बशीरहाट लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आती है. लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी यहां कभी जीती नहीं है. लोकसभा में लगातार तीन बार से टीएमसी जीत रही है. 2019 चुनाव में टीएमसी नेता नुसरत जहां से करीब चार लाख वोटों से बीजेपी उम्मीदवार को हराया था. इससे पहले 1980 से 2004 तक सीपीएम का गढ़ रहा था.
महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य है बंगाल?
साल 2019 में गांव कनेक्शन के एक सर्वे में पाया गया कि देश में पश्चिम बंगाल की महिलाएं खुद को सबसे ज्यादा असुरक्षित महसूस करती हैं. 19 राज्यों के 18,267 परिवारों से सर्वे में पूछा गया था कि उनके घर की महिलाएं घर से बाहर निकलते वक्त खुद को कितना सुरक्षित महसूस करती हैं. सर्वे में सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल की 72.9 फीसदी लोगों ने कहा कि ऐसा माहौल ही नहीं है कि घर से बाहर निकलने पर सुरक्षित महसूस किया जाए. 23.4 फीसदी लोगों ने कहा कि दिन में फिर भी बाहर निकला जा सकता है लेकिन रात में बाहर निकलना बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े मानें तो वो भी कुछ यही तस्वीर बयान करते हैं. एसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के गुमशुदा (मिसिंग) होने के मामले में पश्चिम बंगाल दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. 2018 में जहां महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 33,964 महिलाओं के मिसिंग होने की रिपोर्ट दर्ज हुई, वहीं उससे कम जनसंख्या वाले राज्य पश्चिम बंगाल में 31,299 ऐसे मामले दर्ज हुए. इनमें कोलकाता, नादिया, बारासात, बराकपुर, मुर्शिदाबाद में सबसे ज्यादा मामले आए. इतना ही नहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध मामले में भी पश्चिम बंगाल अग्रणी राज्यों में शामिल है. एसीआरबी के अनुसार, 2020 में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा करीब 49 हजार मामले यूपी में देखे गए. इसके बाद दूसरे नंबर यूपी से आधी आबादी वाले राज्य पश्चिम बंगाल (36,439) में आए.
कैसे सामने आया ये मामला?
5 जनवरी की एक सर्द सुबह करोड़ों रुपए के राशन वितरण घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में ईडी ने तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख के संदेशखालि स्थित आवास पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान शाहजहां के समर्थकों ने न केवल ईडी अधिकारियों को उसके घर में प्रवेश करने से रोका, बल्कि केंद्रीय जांच एजेंसी की टीम के सदस्यों से शहर से लगभग 74 किमी दूर गांव से भागने तक मारपीट की। इसके बाद से शाहजहां फरार है। लेकिन उसके करीबियों का दावा है कि इलाके पर अब भी उसका काफी हद तक नियंत्रण है। ईडी की घटना के बाद बड़ी संख्या में महिलाएं सड़क पर उतरीं और आरोप लगाया कि शाहजहां और उसके आदमियों ने झींगे की खेती के लिए जबरन उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया और कई सालों से वे उनको प्रताड़ित कर रहे हैं और यौन उत्पीड़न कर रहे हैं। महिलाओं का कहना था कि शाहजहां के फरार होने से उन्हें पिछले कई सालों से जारी उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत मिली। महिलाओं का आरोप था कि इस मामले में केवल शाहजहां ही नहीं बल्कि उसका कथित साथी और तृणमूल के अन्य नेता उत्तम सरदार अैर शिवप्रसाद हजारा भी शामिल हैं। महिलाओं ने आरोप लगाया कि वो यहां रहने में असमर्थ हैं। अत्याचार या यौन उत्पीड़न का डर हमेशा बना रहता है। हम सुरक्षा चाहते हैं। हमारे ज्यादातर आदमी गांव छोड़ कर दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं।
सियासी संग्राम
संदेशखाली का मुद्दा पर राजनीतिक रंग रूप ले चुका है. बीजेपी और टीएमसी एकदूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. बीजेपी ने टीएमसी सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा में फेल होने का आरोप लगाया है. टीएमसी ने बीजेपी पर राजनीतिक फायदे के लिए विवाद को भड़काने का आरोप लगाया है.मतलब साफ है पश्चिम बंगाल में संदेशखाली मामले को लेकर सियासी जंग जारी है. बंगाल की पूरी सियासत अभी इस मुद्दे के ईर्दगिर्द भटक रही है. यहां महिलाओं ने जो आरोप लगाए हैं, वो बेहद संगीन और शर्मनाक हैं. अलग-अलग जांच बिठाई जा चुकी है, लेकिन आरोपियों का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है. इसके चलते पश्चिम बंगाल का संदेशखाली जंग का अखाड़ा बना हुआ है. पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में सियासी वार-पलटवार के बीच सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा सचिवालय और बंगाल टीएमसी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को नोटिस भेजकर चार हफ़्तों में जवाब मांगा है। वहीं सांसद लॉकेट चटर्जी ने ममता बनर्जी सरकार की तुलना मुग़ल काल से करते हुए कहा कि सदियों बाद एक बार फिर बंगाल में एक बार मुगलों का राज वापस आ गया है। इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने संदेशखाली पहुंचकर ममता बनर्जी पर महिलाओं का दर्द नहीं समझने का आरोप लगाया। एक महिला मुख्यमंत्री के राज्य में महिलाओं के साथ बलात्कार और अत्याचार की वीभत्स कर देने वाली घटनाओं का सामने आना और उन पर कोई कारवाई ना होना बेहद चिंताजनक है। आज पश्चिम बंगाल में गुंडों और अपराधियों को पुलिस का संरक्षण है और पुलिस को मुख्यमंत्री और सरकार का संरक्षण है। पश्चिम बंगाल की महिलाओं को कब तक यह अत्याचार सहना होगा? उन्हें न्याय कब मिलेगा? संदेशखाली का संदेश आज पश्चिम बंगाल के गली-गली जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। भाजपा का आरोप है कि ममता दीदी की सरकार पश्चिम बंगाल में स्वतंत्र मीडिया की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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