वास्तव में ग्रामीण क्षेत्र अपनी सुंदरता और अपनी हरियाली के लिए जाना जाता है. जहां प्रकृति की सौंदर्यता नजर आती है। जहां का वातावरण साफ़ रहता है. परंतु पिंगलो गांव में सफाई न होने के कारण वातावरण लगातार दूषित हो रहा है. गरुड़ ब्लॉक से करीब 22 किमी दूर यह गांव पहाड़ की गोद में बसा है। उच्च जाति की बहुलता वाले इस गांव की आबादी 1950 है और साक्षरता दर करीब 85 प्रतिशत है. इसके बावजूद इस गांव में स्वच्छता के प्रति लोग विशेष रूप से जागरूक नज़र नहीं आते हैं. गांव में कूड़ा डालने के लिए डस्टबिन भी उपलब्ध नहीं है. जिस कारण लोग घर के कूड़े को गधेरों में डाल देते हैं. इस संबंध में गांव की एक 32 वर्षीय महिला उषा देवी कहती हैं कि "हमारे गांव में बहुत गंदगी है और स्वच्छता की कोई उचित व्यवस्था नहीं है. लोग नदी और गधेरों में कूड़ा फैला देते हैं जिससे पीने का पानी गंदा हो जाता है. यहां तक कि जानवरों के लिए भी वह पानी पीने लायक नहीं रहता है. यदि कोई मवेशी उस पानी को पीता है तो उसकी तबीयत खराब हो जाती है." उषा देवी यह मानती हैं कि यह कचरा स्वयं गाँव वालों द्वारा फैलाया जाता है। उनमें स्वच्छता के प्रति जागरूकता की कमी होने के कारण वह साफ़ सफाई के महत्त्व से अनजान हैं.
हालांकि ग्रामीणों के कथन से विपरीत पिंगलो के ग्राम प्रधान पान सिंह खाती का कहना है कि पंचायत द्वारा पूरे गांव में छोटे छोटे कूड़ेदान बांटे गए हैं लेकिन गांव के लोग उसमें कूड़ा नही डालते हैं और अपने आसपास के स्थानों में कूड़ा फेंक देते हैं जिस वजह से गंदगी ज्यादा फैलती है। वही कूड़ा फिर कुत्ते और पालतू जानवरों द्वारा इधर-उधर फैला दिया जाता है। जिस वजह से और अधिक गंदगी फैल जाती है। वह कहते हैं कि इस समस्या का समाधान केवल जागरूकता है। प्रशासन या पंचायत कोई भी व्यवस्था कर ले, यदि लोग स्वच्छता के प्रति स्वयं जब तक जागरूक नहीं होंगे, उस समय तक कोई भी व्यवस्था कारगर सिद्ध नहीं हो सकती है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता नीलम ग्रैंडी कहती हैं कि स्वच्छता एक ऐसा विषय है, जिसे कानून द्वारा अमल में नहीं लाया जा सकता है। यह केवल लोगों की साफ सफाई के प्रति सजगता पर निर्भर करता है। जब तक ग्रामीण स्वयं इसके महत्व को नहीं समझेंगे उस समय तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं हो सकता है।
ज्ञात हो कि पूरे देश को कचरा मुक्त बनाने के उद्देश्य से 02 अक्टूबर 2014 में केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया है। यह राष्ट्रीय स्तर का एक अभियान है जिसका उद्देश्य न केवल सड़कों बल्कि गली गली को साफ सुथरा बनाना है। इस अभियान ने शहरों से लेकर गाँव तक को कचरा और प्रदूषण मुक्त बनाने का काम किया है। पिछले करीब नौ वर्षों में इस अभियान ने न केवल देश को स्वच्छ बनाने का काम किया है बल्कि इससे स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता भी फैली है। इसके बावजूद यदि पिंगलों जैसे गाँव में यह अभियान सफल होता नजर नहीं आता है तो केवल प्रशासन और पंचायत ही नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी इसके लिए गंभीरता से प्रयास करने की आवश्यकता है क्योंकि स्वच्छ और हरे भरे गांव से ही स्वच्छ भारत का उद्देश्य सफल हो सकता है।
योगिता
चोरसौ, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
(चरखा फीचर)
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