सीहोर। शहर के विश्रामघाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर बुधवार को यहां पर आने वाले साधक और श्रद्धालुओं ने सुबह सप्तशती और दुर्गा चालीसा पाठ किया और उसके पश्चात आरती का का आयोजन किया गया। इस मौके मंदिर के व्यवस्थापक रोहित मेवाड़ा, जिला संस्कार मंच की ओर से सुमित उपाध्याय, मनोज दीक्षित मामा आदि शामिल थे। गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन मिठाई का वितरण किया गया। इस मौके पर ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि मां स्कंदमाता की गोद में युद्ध के देवता भगवान कार्तिकेय को दर्शाया गया है। यही कारण है कि भगवान कार्तिकेय को स्कंद देव के नाम से भी जाना जाता है। मा दुर्गा के इस ममतामयी रूप की आराधना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। भगवान स्कंद जी बालरूप में माता की गोद में बैठे होते हैं इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होता है। स्कंद मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हैं और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को उठी है, उसमें कमल पकडा हुआ है। मां का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इसी से इन्हें पद्मासना की देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन भी सिंह है। स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है। इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज की प्राप्ति करता है। यह अलौकिक प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता है। एकाग्रभाव से मन को पवित्र करके मां की स्तुति करने से दुखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। कुण्डलिनी जागरण के उद्देश्य से जो साधक दुर्गा मां की उपासना कर रहे हैं उनके लिए दुर्गा पूजा का यह दिन विशुद्ध चक्र की साधना का होता है. इस चक्र का भेदन करने के लिए साधक को पहले मां की विधि सहित पूजा करनी चाहिए।
बुधवार, 14 फ़रवरी 2024
सीहोर : गुप्त नवरात्रि पांचवे दिवस किया गया सप्तशती पाठ का आयोजन
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