ज़िन्दगी से ही उजाला ले गया,आँख मेरी आँख वाला ले गया : प्रेम बरेलवी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 6 फ़रवरी 2024

ज़िन्दगी से ही उजाला ले गया,आँख मेरी आँख वाला ले गया : प्रेम बरेलवी

  • साउथ एशियन फेरलिटी एसोसियशन ने किया प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में काव्य गोष्ठी का आयोजन

Prem-barelwi
नई दिल्ली। प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के प्रांगण में साउथ एशियन फेरलिटी एसोसियशन के सानिध्य में दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में लाला लाजपत राय स्मृति काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।  इस काव्य गोष्ठी में प्रसिद्ध शायर पंडित प्रेम बरेलवी ने अपने कलाम में पढ़ा - "ज़िन्दगी से ही उजाला ले गया,आँख मेरी आँख वाला ले गया,हम उसे बस चाहते ही रह गये और उसने दिल निकाला ले गया।"  यह पंक्तियाँ पढ़कर भरपूर तालियां बटोरीं। इस काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ शायर कुमार देहलवी साहब ने अपने कलाम से - "चलो ये काम करते हैं,महब्बत आम करते हैं,ख़ुदा के नेक बंदों से महब्बत राम करते हैं।" पढ़कर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। इस काव्य गोष्ठी में आकाशवाणी दिल्ली के कार्यक्रम अधिकारी एवं वरिष्ठ गजलकार राम अवतार बैरवा ने पढ़ा - हमेशा की तरह रामअवतार बैरवा ने मौके का शेर पढ़कर खूब वाह-वाही बटोरी- जो सोचकर आए थे,उसे बदलना पड़ता है,बंद कमरे में बहुत संभलके पढ़ना पड़ता है। मेहमान-ए- ख़ुसुसी होते हैं हम महफिल में, वो आ जाते हैं तो उठना पड़ता है। उन्होंने आगे अपनी चिर-परीचित ग़जल पढ़ी -शीत राग की मधु बेला में जब सब पत्ते झड़़ जाएंगे तलहट से कुछ नन्हें पौधे नम घूप पकड़ने आएंगे। बीच सड़क पे बे-बस अम्मा तारों से लिपटके रोयेगी, आधी रात जब भूखे बच्चे  चाँद को खाने जाएंगे । सावन को कसम दिला देना, इस बार न बरसे सूरत पे,हम किसी सूखे दरिया से प्यास  मांगने जाएंगे। इस काव्य गोष्ठी के अवसर पर कला,साहित्य,टीवी एवं पत्रकारिता जगत की जानी मानी शख्सियत उपस्थित रहीं।  

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