- "पुतली ने आकाश चुराया" पुस्तक लोकार्पण व परिचर्चा
नई दिल्ली। भारतीय इतिहास लेखन परंपरा में माधव हाड़ा का विशेष स्थान है। इनकी इतिहास लेखन की दृष्टि पर यूरोप इतिहास लेखन से प्रभावित नहीं है। यह भारतीय ज्ञान परम्परा को समृद्ध करते हैं और उनकी नई किताब "पुतली ने आकाश चुराया" इसी श्रेणी की महत्त्वपूर्ण कृति है जिसे अवश्य पढ़ना चाहिए। प्रसिद्ध लेखक और समाज विज्ञानी अभय कुमार दुबे ने विश्व पुस्तक मेले में राजपाल एंड संज के स्टाल पर हाड़ा की इस कृति का लोकार्पण करते हुए कहा कि भारतीय आख्यानों का यह नया प्रस्तुतीकरण बेहद रोचक भाषा में आया है। रेख़्ता फाउंडेशन से आए अध्येता देवीलाल गोदारा ने कहा कि पुतली ने आकाश चुराया पुस्तक में स्त्री अस्मिता और अधिकार की बात है, प्रेम पर एकाधिकार बनाने की कथा है। इस पुस्तक में आठ आख्यान हैं जो सभी स्त्री केंद्रित हैं। कवि और प्रोफेसर सविता सिंह ने कहा कि यह किताब भारतीय परंपरा की पुस्तक है। उन्होंने कहा कि मैं इन आख्यानों को मिथ नहीं मानती बल्कि जीवन से जुड़ा मानती हूँ। इनमें प्रेम, खुशी, शौर्य आदि देखने को मिलता है। कोई भी कहानी की सत्यता बार बार सामने आती है। कहानी की पुरावृत्ति बेहद अच्छी है। उन्होंने कहा माधव हाड़ा ने इस पुस्तक को बौद्धिक सजगता के साथ लिखा है। कृतिकार माधव हाड़ा ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं प्राचीन साहित्य के संपर्क में संयोग से आ गया। जैन आख्यान परम्पराएं अति प्राचीन हैं। इस पुस्तक में भी दो जैन आख्यान शामिल किए गए हैं। इस पुस्तक को लिखते समय आख्यानों में कथा में कथा, कथा से कथा। सभी स्त्री चरित बेहद ख़ास हैं। यथार्थ के आग्रह ने हमारी कथा परंपरा को आहत किया। इन आख्यानों में जो चमत्कार है वो इनके रचनाकारों का चमत्कार है। मैंने केवल रूपांतरण किया है। संयोजन कर रहे युवा आलोचक पल्लव ने कहा कि कहानी कहने के यूरोपीय ढंग से अलग मिजाज के ये आख्यान अब नई पीढ़ी आधुनिक भाषिक मुहावरे में पढ़ सकेगी। अंत में प्रकाशक मीरा जौहरी ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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