कहते हैं कि जब जटायु ने माता जानकी को रावण के चंगुल से छुडाने के लिए रावण को ललकारा और उससे युद्ध किया तो भीषण युद्ध करते हुए और अंतिम सांस तक लड़ते हुए अंततः जटायु युद्ध में हार गया और पृथिवी पर गिर गया। उसकी अंतिम साँसे चल रही थीं, तब एक दूसरे गिद्ध ने उसे कहा कि ‘जटायु! तुम्हें मालूम था कि तुम रावण से युद्ध कदापि नहीं जीत सकते थे, तो फिर तुमने उसे ललकारा क्यों?’तब जटायु ने जो गर्व-भरा उत्तर दिया उससे सुनकर मन में जटायु के प्रति असीम-आदर भाव सहज ही उमड़ पड़ता है। जटायु ने कहा कि ‘मुझे मालूम था कि मैं रावण से युद्ध में नहीं जीत सकता था पर अगर मैंने उस वक्त रावण को ललकारा नहीं होता तो आने वाली पीढ़ियां मुझे कायर कहतीं। एक आर्यकुल नारी का अपहरण मेरी आँखों के सामने हो रहा था और मैं कायरों की भांति दुबका पड़ा रहता, इससे तो मौत ही अच्छी थी। मैं अपने सर पर कायरता का कलंक लेकर जीना नहीं चाहता था, इसीलिए मैंने रावण से युद्ध किया।‘ एक मूक पक्षी के ये विचार,सचमुच,दिल को छूने वाले संदेश से आपूरित हैं।
गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

एक मूक पक्षी के ये विचार
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