- महिला किसान ने की संबंधित रीडरों पर सख्त कानूनी कार्रवाही करने और भूमि का कब्जा दिलाने की मांग
- लिपिक के विरूध डिप्टी कलेक्टर ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए विभाग कार्यालय को किया निर्देशित
फरियादी किसान सपना पत्नि हरीसिंह रघुवंशी ने बताया कि मेरी निजी भूमि खसरा नं 161/2.162/1/3 रकबा 1.418 है। जिस का सीमाकंन वर्ष 2014-15 में करवाया गया था जिस में मेरी भूमि का 0.259 रकबा मोहब्बत सिंह आ.छीतू निवासी ग्राम पचपीपलिया तहसील जिला सीहोर के कब्जे में पाया गया है। संबधित का कब्जा हटवाने के लिए तहसीलदार के समक्ष धारा 250 का प्रकरण पंजीबद्ध कराया गया था। जिसमें विधिवत न्यायालयीन कायज़्वाही के तहत पटवारी रिपोर्ट, गवाही आर.आई. सीमाकंन रिपोर्ट के आधार पर तीन वर्ष बाद तहसीलदार ने आदेश क्र. 79/ रीडर-1/2018 05/03/2018 के तहत हमारे पक्ष में निर्णय देते हुए अनावेदकों को हमारी जमीन से बेदखल कर जमीन का कब्जा हमें सौपने का आदेश दिया था लेकिन कब्जा नहीं दिलाया गया। यह प्रकरण अनुविभागीय अधिकारी कोर्ट में विचाराधीन था तब निचली अदालत का रिकार्ड भेजने में तत्कालीन रीडर अशोक राय द्वारा फाईल दबा ली गई थी जिसके बाद कलेक्टर को आवेदन देने के बाद फाईल मिल गई थी लेकिन रीडर अशोक राय के जाने के बाद तत्कालीन सीहेार तहसीलदार के रीडर एवं वर्तमान में इछावर तहसील कार्यालय में पदस्य रीडर निरंजन सोलकी द्वारा प्रकरण प्राप्त कर हस्ताक्षर करने के बाद फाईल वापस दबा ली गई और उनके द्वारा रिकार्ड रूम में फाईल जमा नहीं की गई। उसके बाद उन्हें रिश्वत खोरी के आरोप में निलम्बित कर दिया गया था। फाईल नही मिली तब मेरे द्वारा छानबिन की गई कोई व्यक्ति बाबूओं को कुछ कारणों से प्रभावित कर फाईल दबवा कर गायब करवा रहा है। तहसीलदार के लिखित आदेश 12/01/2024 को क्रमांक 2056 / रीडर/2024 के बावजूद फाईल नही मिली है। प्रकरण में तीन वर्ष पहले विलम्ब हुआ अब दो वर्षो से रिकार्ड नहीं आने के कारण विलम्ब हो रहा है। इधर महिला किसान ने भूमि पर कब्जा दिलाने की मांग जिला प्रशासन से की है।
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