- चुनाव आयोग को 5 सूत्री सुझावों का सौंपा ज्ञापन
1. आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के आरा, जहानाबाद, पाटलिपुत्र, काराकाट, सिवान जैसे कई लोकसभा निवार्चन क्षेत्रों में विगत चुनावों में मतदान का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से भी कम रहा है. इसपर आयोग ने गहरी चिंता व्यक्त की है. यह सर्वविदित है कि ये इलाके सामंती वर्चस्व वाले इलाके रहे हैं, जहां दलित-गरीबों, वंचितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को वोट डालने का अधिकार हासिल करने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ी है. उनके लिए आज भी मतदान की प्रक्रिया में भाग लेना सहज नहीं है. इन लोगों के अधिकांश मतदान केंद्र दबंग समुदाय के प्रभाव क्षेत्र के अंतर्गत पड़ते हैं जिसके कारण मतदान प्रभावित होता है. मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए इस तबके का मतदान प्रतिशत बढ़ाना होगा. इसके लिए कुछ कदम तत्काल उठाए जाने की जरूरत है -
(क) सभी मतदान केंद्रों की समीक्षा कर दबंग समुदाय के प्रभाव क्षेत्र से बाहर दलित-गरीबों के टोले में ही उनके लिए मतदान केंद्र की व्यवस्था की जाए. (ख) यदि दलित-गरीबों के टोले में कोई सरकारी भवन नहीं है तो उस स्थिति में वहां चलंत मतदान केंद्र की व्यवस्था की जानी चाहिए. वोटर की संख्या ज्यादा होने पर अगर एक से ज्यादा मतदान केंद्र बनाना जरूरी हो, तो उसे भी उनके टोले पर ही दूसरा मतदान केंद्र बनाया जाए. किसी भी सूरत में उनके टोले से बाहर उनका मतदान केंद्र न रखा जाए और न ही टोले के गरीब मतदाताओं के एक हिस्से को किसी दूसरे मतदान केंद्र पर हस्तांतरित किया जाए.
2. निर्वाचन आयोग की ओर से जारी अंतिम मतदाता सूची में कई वाजिब मतदाताओं के नाम कटे हुए पाए गए हैं. रैंडम तरीके से बहुत सारे मतदाता के नाम काट दिए गए हैं. उदाहरणस्वरूप हमारी पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य और पूर्व विधायक श्री राजाराम सिंह (ग्राम-अकौनी, प्रखंड-दाउदनगर, जिला-औरंगाबाद) का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है. बिहार में ऐसे अनेक नाम मतदाता सूची से अकारण हटा दिए गए हैं. ऐसे लोगों में अधिकांशतः दलित-अतिपिछड़े व पिछड़े समुदाय से आने वाले मतदाता हैं. अतः प्राथमिकता के साथ ऐसे मतदाताओं का नाम फिर से मतदाता सूची में जुड़वाने का काम किया जाना चाहिए.
3. विगत चुनावों में पोस्टल बैलेट की गिनती को लेकर कई प्रकार की शंकाए जाहिर की गई हैं. हमारा मत है कि पोस्टल बैलेट की गिनती फाइनल करने के बाद ही ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू की जाए.
4. हमारी पार्टी इवीएम की बजाए बैलेट के जरिए मतदान करवाए जाने के पक्ष में है. ईवीएम लगातार संदेह के घेरे में है और अबतक लोगों की शंका का समाधान नहीं कर सका है. आगामी लोकसभा चुनाव में नमूने के बतौर गिनती की बजाए शतप्रतिशत वीवीपैट की गिनती की जानी चाहिए ताकि वोटिंग प्रक्रिया की निष्पक्षता बरकरार रह सके.
5. चुनाव में धन बल का बोलबाला बढ़ता जा रहा है. आयोग को चुनावी खर्च की सीमा घटाने पर विचार करना चाहिए और पार्टियों द्वारा खर्च की सीमा भी तय करनी चाहिए.
आयोग ने उपर्युक्त सभी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार का आश्वासन दिया.
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