मधुबनी : आइसोनियाजिड टीबी से करेगा सुरक्षित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

मधुबनी : आइसोनियाजिड टीबी से करेगा सुरक्षित

  • टीबी मरीज के संपर्क में आए लोगों को 6 माह तक करना होगा सेवन
  • एक टीबी मरीज 15 अन्य लोगों को कर सकता है संक्रमित 

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मधुबनी, 1 फरवरी, वर्ष 2025 तक देश को पूर्णत: टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित है। वहीं राज्य में वर्ष 2024 के अंत तक टीबी मुक्त भारत अभियान के उद्देश्य को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे लेकर विभिन्न स्तरों पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा मरीजों के पूरे परिवार को आइसोनियाजिड दवा उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि मरीजों के परिवार के सदस्यों में संक्रमण की संभावना न रहे। जिस घर में टीबी के मरीज पाए जाते हैं तथा मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों को टीबी से सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए आइसोनियाजिड की दवा दी जाती है. 5 साल से छोटे बच्चों को आईएनएच 100 एम जी एवं 5 साल से ऊपर के लोगों को आईएनएच 300 एमजी की दवा लगातार छह माह तक दिया जाता है ताकि उन्हें भविष्य में टीबी से सुरक्षित किया जा सके। दवा का सेवन मरीजों के साथ साथ परिवार के सदस्य कर रहे हैं या नहीं इसके लिए सभी प्रखंडों में एसटीएस को गृह भ्रमण करने की जिम्मेदारी दी गई है। 


एक टीबी मरीज 15 अन्य लोगों को कर सकता है संक्रमित:

संचारी रोग पदाधिकारी डॉक्टर जीएम ठाकुर ने बताया, एक टीबी मरीज 15 अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में लक्षण दिखते ही टीबी मरीज की जांच व इलाज किया जाता है। टीबी की दवा बीच में छोड़ने वाले लोगों में जब ड्रग रेसिस्टेंट पैदा हो जाता है, तो इलाज काफी लंबा  हो जाता है। इसलिए टीबी की दवा का सेवन नियमित रूप से करें।


बच्चों को इसकी 100 एमजी की दी जाती है खुराक:

डीपीसी पंकज कुमार  ने बताया, टीबी मरीजों के परिवार के बच्चों में संक्रमण की संभावना अधिक रहती है। इसलिए बच्चों को वजन के अनुसार आइसोनियाजिड दवा का सेवन कराया जाता है। अमूमन बच्चों को इसकी 100 एमजी की खुराक दी जाती है । उन्होंने बताया कि मरीजों के परिवार के लोगों को आइसोनियाजिड का सेवन करना बहुत जरूरी है। जिससे उनके संक्रमित होने की संभावना नहीं होती। लेकिन, इसकी नियमित निगरानी बहुत जरूरी है, क्योंकि कई मामलों में देखा गया है की मरीज या उनके परिजन बीच में ही दवा छोड़ देते हैं। जिससे बीमारी गंभीर हो जाती है।

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