क्यूलेक्स नामक मादा मच्छर के काटने से होता है हाथीपांव बीमारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 12 फ़रवरी 2024

क्यूलेक्स नामक मादा मच्छर के काटने से होता है हाथीपांव बीमारी

  • हाथीपांव एक गंभीर बीमारी, यह क्यूलेक्स नामक मादा मच्छर के काटने से होता है

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गया. हाथीपांव एक गंभीर बीमारी है. यह क्यूलेक्स नामक मादा मच्छर के काटने से होता है.मच्छर के माध्यम से शरीर में फाइलेरिया परजीवी प्रवेश कर जाते हैं. फाइलेरिया का असर पांच से दस साल बाद दिख सकता है.  फाइलेरिया का असर पैर के अलावा हाथ में भी होता है. फाइलेरिया की वजह से महिलाओं में स्तन का सूज जाना तथा पुरुषों में हाइड्रोसील का होता है. फाइलेरिया हो जाने पर इसका कोई इलाज नहीं है. फाइलेरिया को दवा सेवन से रोका जाता है. यानी फाइलेरियारोधी का दवा सेवन करने से माइक्रो फाइलेरिया के परजीवी मर जाते हैं और हम इससे सुरक्षित रहते हैं. साल में एक बार अभियान चला कर दवा का सेवन कराया जाता है. इसी उद्देश्य से आज समाहरणालय सभा कक्ष में जिला पदाधिकारी के अध्यक्षता में 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन अभियान प्रारंभ किया गया है. इस अभियान में लक्षित योग्य लाभार्थियों को फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कराया जायेगा. इस अभियान का उद्देश्य दवा सेवन करा कर लोगों को फाइलेरिया से बचाना है.

        

इस वर्ष एमडीए अभियान के दौरान 3002972 लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है. इस कार्य के लिए 1388 टीम लगाया गया है जिले के विद्यालयों में 10 फरवरी से 13 फरवरी तक या अभियान चलाया जाएगा इसके अलावा 15 फरवरी से 28 फरवरी तक घर-घर में दवा खिलाया जाएगा.यह अभियान जिले के 16 प्रखंड में करवाया जाएगा इसके अलावा शहरी स्वास्थ्य केंद्र की संख्या तीन है जहां या अभियान चलाया जाएगा. आज समाहरणालय सभा कक्ष में जिला पदाधिकारी स्वयं उक्त दवा को खाकर आम जनों को संदेश दिया है कि आप भी फाइलेरिया का दावा हर हाल में खाएं. डॉ एम ई हक ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवाओं में एल्बेंडाजोल, डीईसी के साथ आइवरमेक्टिन शामिल किया गया है. सभी लोगों से अपील किया कि वे स्वास्थ्यकर्मियों, आशा तथा आंगनबाड़ी सेविकाओं के सामने ही दवा का सेवन करें. दवा सेवन से किसी प्रकार का नुकसान नहीं है. फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया जा सके इसके लिए मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ओपीडी के समीप एक बूथ लगाया जायेगा. यहां पर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराने के लिए चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ मौजूद रहेंगे. फाइलेरियारोधी दवा सेवन से शरीर में मौजूद माइक्रोफाइलेरिया नष्ट होता है. आमतौर पर फाइलेरिया रोधी दवा खाने के बाद किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है लेकिन ऐसे लोग जिनके अंदर फाइलेरिया के जीवित परजीवी होते हैं, दवा खाने के बाद कुछ प्रतिक्रियाएं जैसे बुखार, सिरदर्द, चक्कर आदि देखा जाता है. दवा सेवन के उपरांत फाइलेरिया परजीवियों के मरने के कारण ये प्रतिक्रिया होती है. इसे एडवर्स ड्रग रिएक्शन या एडीआर कहा जाता है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसी स्थिति में इसकी सूचना आशा, एएनएम या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को दें.

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