- सामाजिक न्याय के एजेंडे को बेपटरी करने की भाजपा की कोशिश और नीतीश कुमार का आत्मसमर्पण निंदनीय
- 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद व हड़ताल का वाम दल करेंगे सक्रिय समर्थन
- शिक्षकों, स्कीम वर्करों और रोजगार के मुद्दे पर वाम दल करेंगे आंदोलन
बिहार में 17 महीने की महागठबंधन सरकार ने जाति सर्वेक्षण, दो लाख से अधिक स्थायी शिक्षकों की बहाली, स्कीम वर्करों के मानदेय में वृऋ सहित कई अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाए, लेकिन नीतीश कुमार ने सामाजिक न्याय से घोर विश्वासघात करके एक बार फिर से भाजपा का दामन थाम लिया. इस विश्वासघात के लिए राज्य की जनता नीतीश कुमार को कभी माफ नहीं करेगी. 12 फरवरी के बाद शिक्षकों, स्कीम वर्करों और रोजगार के व्यापक मुद्दे पर वाम दल एकताबद्ध होकर सदन के अंदर और सदन के बाहर संघर्ष करेंगे. शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक के तुगलकी फरमानों का हम उस वक्त भी विरोध कर रहे थे. हम उनके द्वारा जारी शिक्षक विरोधी फरमानों को बिहार सरकार से अविलंब वापस लेने की मांग करते हैं. संयुक्त किसान मोर्चा और केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर 16 फरवरी को हो रही औद्योगिक/सेक्टेरियल हड़ताल व ग्रामींण भारत बंद का वाम दल सक्रिय समर्थन करते हैं. हम चाहते हैं कि 16 फरवरी के कार्यक्रम के पहले महागठबंधन की बैठक आयोजित की जाए और मजबूती के साथ उक्त कार्यक्रम को सफल बनाया जाए. वाम दल भारत के किसानों-मजदूरों की इस संयुक्त पहल को ऐतिहासिक मानते हैं. यह भारत की राजनीति में किसानों-मजदूरों के एक सशक्त हस्तक्षेप है. 16 और 17 फरवरी को हिट एंड रन मामले में ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन द्वारा आहूत चक्का जाम का भी वाम दल पूरी तरह से समर्थन करते हैं.
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