- विठलेस सेवा समिति की ओर से पंडित समीर शुक्ला ने किया 251 कन्याओं का पूजन
इस संबंध में जानकारी देते हुए पंडित श्री दीक्षित ने बताया कि माघ माह की गुप्त नवरात्र पर शनिवार और रविवार को कन्याओं को भोजन प्रसादी का वितरण किया गया था। अष्टमी पर महागौरी रूप की विशेष पूजा की गई, वहीं नवमी के दिन यहां पर जारी शप्तशती और शतचंडी के पाठ का समापन किया गया। उन्होंने बताया कि आखिरी दिन मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना के लिए समर्पित होता है। साथ ही नवरात्रि में महानवमी के दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। माघ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवे दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि और आठवें दिन मां महागौरी की पूजा गई। वही रविवार को मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा की गई थी। मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना से सभी तरह की सिद्धियां प्राप्त होती है और लौकिक-परलौकिक सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है। मां सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत ही दिव्य है, मां का वाहन सिंह है. यह कमल पर भी आसीन होती हैं। इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिने ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है। मां सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप माना गया है। इन्हें बैंगनी रंग अतिप्रिय होता है, मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ और इन्हें अर्द्धनारीश्वर कहा गया। मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र है।
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