बाराबंकी : निचली अदालत ने 7 फरवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

बाराबंकी : निचली अदालत ने 7 फरवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है.

Bail-rejected
बाराबंकी. बैंगलोर में सीसीबीआई की 36वीं आम सभा की बैठक में धर्माध्यक्ष सभा में भाग ले रहे थे, उसी समय उत्तर प्रदेश से खबर मिली कि एक कैथोलिक पुरोहित, पांच प्रोटेस्ट पादरी और एक लोकधर्मी को गिरफ्तार कर लिया गया है.उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.उन पर धर्मांतरण गतिविधियों का आरोप लगाया गया है. एक निचली अदालत ने 7 फरवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है.मामला  5 फरवरी सोमवार का है. 6 फरवरी  को मंगलवार को आरोपियों को अदालत में पेश किया गया. निचली अदालत ने 7 फरवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है. आरोप में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से चौका देने वाला मामला सामने आया है. यहां यूपी के कई जिलों से तकरीबन 300 लोगों को बहला फुसला कर सेंट मैथ्यू चर्च में धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था. मामले की जानकारी हिंदू संगठन ने दी. जिसके बाद पुलिस के एक्शन से चर्च में खलबली मच गई. लोगों को आर्थिक फायदे के साथ रोगों से छुटकारा दिलाने के नाम पर चर्च में पूजा कराई जा रही थी. पुलिस ने बताया कि, राज्य के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.

              

पुलिस ने मंगलवार को कहा कि आरोपियों पर उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध अधिनियम, 2021 की धारा 3 और 5(1) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसे धर्मांतरण विरोधी कानून के रूप में जाना जाता है.पुलिस ने बताया कि चर्च के पादरी फादर डोमिनिक के अलावा मौके से गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों की पहचान सरजू प्रसाद गौतम, पवन कुमार, सुनील पासी, घनश्याम गौतम, सुरेंद्र पासवान, राहुल पासवान, रामचरण रावत, धर्मेंद्र कोरी और सूरज गौतम के रूप में हुई है.  6 फरवरी  को मंगलवार को आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस के अनुसार, उन्होंने सोमवार को बाराबंकी के देवा इलाके में सेंट मैथ्यूज मेथोडिस्ट चर्च में सामूहिक धर्मांतरण की कोशिश को नाकाम कर दिया और 10 आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया. बाराबंकी (शहर) के सर्कल अधिकारी बीनू सिंह ने कहा, सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट विजय कुमार त्रिवेदी के साथ एक पुलिस टीम ने चर्च के कॉन्फ्रेंस हॉल पर छापा मारा और पाया कि लगभग 300 लोग, जिनमें ज्यादातर अनुसूचित जाति समुदाय के थे, पुजारी के बुलावे पर इकट्ठा हुए थे. सिंह ने कहा, “इन लोगों को धार्मिक गतिविधि के माध्यम से उनकी बीमारी के इलाज के बहाने अयोध्या से लाया गया था और नौकरी का लालच दिया गया था. बता दें कि हिंदू संगठन आंख बिछाए रहते हैं.जहां पर करिश्माई प्रार्थना की जाती है.वहां पर हिंदू संगठनों के द्वारा धर्म परिवर्तन का रूप दे देते है.उनके कहने पर पुलिस सक्रिय होकर करिश्माई प्रार्थना करवाने वालों को गिरफ्तार कर जेल भेज देती है.यह नियम है कि जिसको धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है.वहीं थाने में जाकर लिखित एफआईआर करवाएगा.ऐसा न होकर हिंदू संगठन के कहने पर लोगों को आरोपी बना दिया जाता है. चर्च में आये लोगों ने बताया कि उनकी कई दिनों से तबियत खराब चल रही थी. इसलिए वह यहां आये हैं. उन्हें बताया गया था कि यहां पर उनके रोग सही हो जाएंगे. साथ ही सभी परेशानियों से उन्हें छुटकारा भी मिल जाएगा. लोगों के मुताबिक उनसे पहले भी यहां उनके कई जानने वाले आकर ठीक हो चुके हैं, उन्हे देखकर वह भी यहां आये हैं.

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