वास्तव में भारतीय महाधर्माध्यक्षों में दम है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 25 फ़रवरी 2024

वास्तव में भारतीय महाधर्माध्यक्षों में दम है

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गोवा. वास्तव में भारतीय महाधर्माध्यक्षों में दम है.जो एशियाई कैथोलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष पद कब्जाने में सफल हो जाते हैं. एशियाई कैथोलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के पहली बार अध्यक्ष कोलकाता के तत्कालीन महाधर्माध्यक्ष हेनरी सेबेस्टियन डिसूजा (1984-1993) बने थे.उसके बाद दूसरे मुंबई के महाधर्माध्यक्ष सह कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस (2011-2018) अध्यक्ष बने थे.अब तीसरे अध्यक्ष गोवा और दमन के महाधर्माध्यक्ष फिलिप नेरी अंतोनियो सेबेस्टाओ डी रोजारियो फेराओ है. बता दें कि एशियाई कैथोलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के संघ (एफएबीसी) की केंद्रीय समिति, जो एशिया के बिशप सम्मेलनों को एक साथ लाती है, बैंकॉक में अपने नए अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए 22 फरवरी को एक सभा में भाग ली.यांगून (म्यांमार) के महाधर्माध्यक्ष सह कार्डिनल चार्ल्स मौंगो बो 2018 से सम्मेलन का नेतृत्व कर रहे हैं.उसके बाद 2019 से भारतीय कैथोलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीसीबीआई) के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने वाले 71 वर्षीय गोवा और दमन के महाधर्माध्यक्ष फिलिप नेरी अंतोनियो सेबेस्टाओ डी रोजारियो फेराओ एशियाई कैथोलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के नेतृत्व का भार संभालेंगे.वहीं फिलीपींस के कैथोलिक बिशप सम्मेलन (सीबीसीपी) की अध्यक्षता करने वाले कालूकन के बिशप पाब्लो वर्जिलियो डेविड को उपाध्यक्ष चुना गया है, जबकि टोक्यो (जापान) के महाधर्माध्यक्ष तार्सिसियो इसाओ किकुची को फिर से महासचिव चुना गया है। वे जनवरी 2025 में अपना पदभार ग्रहण करेंगे. बता दें नव चयनित गोवा और दमन के महाधर्माध्यक्ष फिलिप नेरी अंतोनियो सेबेस्टाओ डी रोजारियो फेराओ अध्यक्ष एल्डोना (गोवा) में जन्मे हैं. कार्डिनल का पुरोहिताभिषेक 1979 में हुआ था, वे 1994 में बिशप बने. 27 अगस्त 2022 को पोप फ्रांसिस ने उन्हें कार्डिनल की गरिमा तक पहुँचाया. पोप पॉल छठवें के अनुमोदन से 1970 में स्थापित, एफएबीसी में विशाल महाद्वीप के 16 धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के साथ-साथ हांगकांग और मकाऊ जैसे कुछ व्यक्तिगत धर्मप्रांत भी शामिल हैं.एफएबीसी पोप फ्रांसिस द्वारा शुरू की गई धर्मसभा प्रक्रिया के लिए एशिया का संदर्भ बिंदु भी है, जिसका पहला सत्र अक्टूबर 2023 में रोम में आयोजित किया गया था और फिर 2 से 27 अक्टूबर 2024 तक वाटिकन में अंतिम सत्र से पहले स्थानीय कलीसियाओं को आगे के विचार के लिए सौंप दिया गया.

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