विश्व पुस्तक मेला में "चौबीस छत्तीस जीरो वन” पुस्तक का लोकार्पण व परिचर्चा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 11 फ़रवरी 2024

विश्व पुस्तक मेला में "चौबीस छत्तीस जीरो वन” पुस्तक का लोकार्पण व परिचर्चा

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नई दिल्ली। विश्व पुस्तक मेले में राजपाल एंड संज के स्टाल पर रविवार शाम इरा टाक की पुस्तक 'चौबीस छत्तीस जीरो वन' का लोकार्पण हुआ। आयोजन में वरिष्ठ कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा कि पुस्तक का शीर्षक बहुत ही आकर्षक है जो कि इरा टाक की पुस्तकों में हमें अक्सर देखने को मिलता है। इस पुस्तक में उन्होंने भाषा के तौर पर नए प्रयोग किये हैं। यादों के शक्कर पारे, बदायूं शहर का ज़िक्र, कस्बेनुमा शहर से परिचित करवाया। उन्होंने हल्के फुल्के मूड में बेहद गंभीर बाते इस पुस्तक में लिखी हैं। अलोक श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस पुस्तक में गद्य व पद्य का प्रयोग देखने को मिलता है जो कि इसे बेहद खूबसूरत बनाता है। छोटे शहरों की घटनाओं तथा उसके महत्त्व को इस उपन्यास में बताया गया है। यह फ़िल्म और सिनेमा के लिहाज़ से भी बेहद उपयोगी है तथा इस पर बहुत ही अच्छी फिल्म बनाई जा सकती है। इक़बाल रिज़वी ने कहा कि इस उपन्यास में सामंत रूपी व्यवस्था, घटनायें बहुत तेजी से घटित होती दिखती हैं। इसमें असंख्य पात्र होने के बाद भी ये उपन्यास बेहद अच्छा बन पड़ा है। उपन्यास में हवेली के किस्सों को आम पाठक के लिए तैयार कर दिया गया है। इरा टाक ने कहा कि अठारह वर्षों का अनुभव, मुख्य पात्र चिलमची पर कहानी लिखना तथा इसके साथ साथ अन्य पात्रों पर कहानी लिखना इस उपन्यास को लिखने का कारण बना। प्रसिद्ध कवि व आलोचक जितेंद्र श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस पुस्तक में छोटे शहरों की प्रेम कहानियों को चित्रित किया गया। है और यह प्रेम कहानी पाठकों को अभिभूत करती है। यह पुस्तक प्रेम की विश्वसनीयता की किताब है। इसकी भाषा बहुत ही सरल है। इस उपन्यास में प्रेम की तरलता देखने को मिलती है। अंत में मीरा जौहरी ने आभार व्यक्त किया।

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