"विषम कोण" पुस्तक का हुआ लोकार्पण व परिचर्चा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 18 फ़रवरी 2024

"विषम कोण" पुस्तक का हुआ लोकार्पण व परिचर्चा

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नई दिल्ली। ज्ञान चतुर्वेदी के व्यंग्य आज के समय के यथार्थ को दिखाते हैं। इन्होंने आख्यान की विविध शैलियों का प्रयोग अपने व्यंग्य लेखन में किया है। सुप्रसिद्ध लेखक अखिलेश ने विश्व पुस्तक मेले में ज्ञान चतुर्वेदी के व्यंग्य संग्रह विषम कोण का लोकार्पण करते हुए कहा कि चतुर्वेदी का लेखन पढ़ते हुए मैं लेखक बना हूं। कवि और कथाकार प्रियदर्शन ने  कहा कि ज्ञान चतुर्वेदी परसाई, शरद जोशी, किट्टू और रवीन्द्रनाथ त्यागी की व्यंग्य परम्परा के व्यंग्यकार हैं।  'विषम कोण' का पहला व्यंग्य ' कुत्ता और आदमी' बहुत ही दिलचस्प है। ज्ञान चतुर्वेदी की पक्षधरता समाज के कमजोर व्यक्ति के पक्ष की है।  कवि आलोचक जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि ज्ञान चतुर्वेदी अपने व्यंग्य में हमारे समय की हक़ीक़त को बयां करते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि कहानी और कविता से कठिन है व्यंग्य लिखना। इनके व्यंग्य लेखन में मन के परिवर्तन, मस्तिष्क के परिवर्तन, समाज में हो रहे बदलाव दिखाई देते हैं। 


आलोचक पल्लव ने आयोजन में कहा कि ज्ञान चतुर्वेदी समर्पित लेखक हैं जो अनुशासन और प्रतिबद्धता के साथ व्यंग्य लिखते हैं। पत्रकार विज्ञान भूषण ने कहा कि ज्ञान चतुर्वेदी बेशुमार लिखते हैं और शानदार लिखते हैं। इनके व्यंग्य में विषय की विभिन्नता दिखाई देती है। समाज के हर पक्ष, समाज में मौजूद विसंगतियां दिखाई देती हैं। वे अपनी व्यंग्य रचनाओं के द्वारा रचनात्मक आलोचना करते हैं। व्यंग्यकार आलोक पुराणिक ने कहा कि ज्ञान चतुर्वेदी के व्यंग्य, व्यंग्य के मूलभूत सिद्धान्तों को समझने में मदद करते हैं। इनके व्यंग्य चार्ली चैपलिन की भांति हैं जो गुदगदाने के बाद सोचने के लिए भी विवश करते हैं। लेखकीय वक्तव्य में ज्ञान चतुर्वेदी  ने कहा कि मैंने एक साथ अनेक अखबारों में व्यंग्य कॉलम लिखे, विषय की विभिन्नता मेरे व्यंग्यों में हमेशा रही है। व्यंग्य लिखते समय मेरी नज़र एक एक शब्द पर होती है। रचना ऐसी होनी चाहिए जो पाठक को मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए। अंत में प्रकाशक मीरा जौहरी ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। 

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