कविता : क्यूं रुलाती है जिंदगी? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 4 फ़रवरी 2024

कविता : क्यूं रुलाती है जिंदगी?

ऐ जिंदगी ! क्यूं इतना रुलाती है?

मैं लड़की हूं, इसलिए मुझे बोझ बताती है।।

मैं इस जीवन में आने के, कितनी राहें ढूंढती हूं।

पर क्यूं तू मुझे, पेट में ही दफना जाती है?

लड़की होना शायद पाप है।

तभी अकेली राहों में छोड़ जाती है।।

दुनिया तुझे आगे बढ़ने नहीं देती।

इसलिए तू अकेले में रोती जाती है।।

ऐ जिंदगी ! क्या कसूर है लड़की का?

जो तू इसे इतना तड़पाती है।।

लड़की अकेले दुनिया में कैसे रहेगी?

तू उससे एक पल में जुदा हो जाती है।।

क्या बेटी होना पाप है?

तू ये बात बताना चाहती है।।

ऐ जिंदगी ! क्यूं तू इतना रुलाती है?






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