इन चर्चाओं में अजय दीक्षित, सौम्या दत्ता, प्रफुल्ल सामंत्रा, डा. सुनीलम जी जैसे वरिष्ठ लोगों की भागीदारी इसे शानदार बना दी। नेपाल के कोशी नदी पर कार्यरत देवनारायण यादव, काली गंडकी नेपाल के आर.के. आदित्य और विजय जी, कर्नाली नदी नेपाल की तरफ से मेघ आले, गंडक नदी नेपाल की स्थिति पर उत्तम जी, नारायणी पर ही किशन शर्मा जी, 7 देशों की नदियों के किनारे साइकिल यात्रा कर चुके दीपक ने बाते रखी तो। भारत में पश्चिम बंगाल के नदी बचाओ जीवन बचाओ आंदोलन की तरफ प्रो अमित्व सेन गुप्ता, गंगा मुक्ति आंदोलन भागलपुर बिहार से उदय जी, लखनदेई नदी, अधवारा और बागमती की स्थिति पर बिहार के सीतामढ़ी के प्रो आनंद किशोर जी, पंजाब से सुखदेव सिंह जी, मध्य प्रदेश से अनिल जी यमुना सहित नदियों के रिवर फ्रंट पर कार्यरत राजेंद्र रवि और ममता जी कोशी पर मैने बात रखी, गंगा वाराणसी की स्थिति पर सुरेश राठौर जी ने बात रखी। हिमाचल, उतराखंड सहित हिमालय की नदियों की स्थिति पर कार्य करने वाली मानसी जी और नेपाल के सोमन जी ने संचालन किया।
कोशी के दोनो देशों के लोगों के साथ साझा संवाद शुरू करने की उम्मीद से शुरू इस कार्यक्रम में भारत नेपाल के अनेक नदियों पर कार्यरत लोगों का साथ आना सुखद संदेश देता है तो इको सोसलिस्ट के लिए शोधकर्ता लैटिन अमेरिकी देशों से होते श्रीलंका में कार्यरत USA मूल के Quncy Saul, पीपल्स कोइलिशन फॉर द राइट टू वाटर इंडोनेशिया के मोहम्मद रेजा, थाइलैंड और फ्रांस के नदियों पर शोध कर रहे लोग भी इस मीटिंग में आए और बात चीत रखे। पूरे आयोजन में डिगो विकास इंस्टिट्यूट काठमांडू के शैल श्रेष्ठ जी और उषा तितिक्षु जी और कोशी पर शोध कर रहे हमारे साथी आरिफ निजाम जी की मेहनत के बल पर आयोजित हो पाया। कोशी के युवा साथी जयप्रकाश ने भी मेहनत की, सुनील भाई और महेंद्र राठौर ने गीत गाए। राहुल यादुका भाई रहते तो निश्चित यह आयोजन और बेहतर होता। मेधा पाटकर ताई कम समय में भले सत्र में नही आ पाई पर कार्यक्रम के अप्रत्यक्ष रूप से भागीदार थी l उनके नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथी आए। अलग अलग नदियों के सैकड़ो लोगों की भागीदारी रही इसके लिए सभी का आभार।
कोशिश रहेगी कि पीपल्स डायलॉग को बढ़ाया जाए।
WSF के आयोजन, तौर तरीको, भागीदारी पर आलोचना बहस होती रहेगी और होती रहनी चाहिए पर हमलोग इस मंच पर जाकर जलवायु न्याय नदी और समाज विषय पर कुछ नए साथियों के साथ साझा संवाद कायम कर पाए यह भी कम नहीं है। ऊपर से 92 देशों के लोगों के साथ बात करना भी हुआ।
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