मधुबनी : फाइलेरिया की परजीवी की पहचान के लिए लोग कराएं अपनी जांच : डॉ. सिंह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 22 फ़रवरी 2024

मधुबनी : फाइलेरिया की परजीवी की पहचान के लिए लोग कराएं अपनी जांच : डॉ. सिंह

  • जिले के 18 प्रखंडों में चलाया जा रहा है नाइट ब्लड सर्वे 
  • शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात में होते हैं सक्रिय
  • संभावित रोगियों का पता लगाने का उचित माध्यम है नाइट ब्लड सर्वे

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मधुबनी, फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मधुबनी जिले के 18 प्रखंडों में नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत हो चुकी है। अभियान 19 फरवरी से 29 फरवरी तक चलाया जाएगा। फाइलेरिया क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होने वाली एक बीमारी है, जो लोगों को अपंग बना देती है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डी.एस. सिंह ने बताया कि जिले के शहरी क्षेत्र सहित बेनीपट्टी, विस्फी एवं पंडोल को छोड़कर सभी प्रखंड में संभावित फाइलेरिया मरीज की खोज की जा रही है। जिसके तहत संबंधित प्रखंड के दो फिक्स्ड साइट एवं एक रेंडम साइट पर कुल 900 लोगों का रात्रि 8:30बजे से 12बजे तक रक्त पट्ट संग्रह किया जा रहा है। संभावित मरीजों का पता लगाने के लिहाज से सर्वे बेहद महत्वपूर्ण है। शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं। इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का उचित माध्यम है। माइक्रोफाइलेरिया का दर एक या एक से अधिक होगा, तो उस प्रखंड में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाया जाएगा। जिसमें लोगों को डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा उम्र के अनुसार खिलाई जाएगी। अगर माइक्रोफाइलेरिया का दर एक से कम होगा, तो वहां अभियान नहीं चलाया जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील किया की माइक्रोफाइलेरिया की पहचान के लिए लोगों को अपना जांच करवाना चाहिए।


क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला एक गंभीर संक्रामक बीमारी है फाइलेरिया :

डब्लूएचओ के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉक्टर दिलीप कुमार झा ने बताया फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जिसे आमतौर पर हाथी पांव भी कहा जाता है। कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है। फाइलेरिया के प्रमुख लक्षण हाथ और पैर या हाइड्रोसिल (अण्डकोष) में सूजन का होना होता है। प्रारंभिक अवस्था में इसकी पुष्टि होने के बाद जरूरी दवा सेवन से इसे रोका जा सकता है। इसके लिए लोगों में जागरूकता की आवश्यकता है। चुकी फाइलेरिया  मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है इसके लक्षण आने में 5 से 15 साल तक का समय लगता है, ऐसे में लोगों को फाइलेरिया संक्रमण की पहचान के लिए नाइट ब्लड सर्वे के दौरान अपनी जांच करानी चाहिए।


सामूहिक भागीदारी से जड़ से खत्म होगा फाइलेरिया :

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जिला वेक्टर नियंत्रण पदाधिकारी राकेश कुमार रंजन ने बताया सामूहिक प्रयास से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है। इसलिये लोगों को जांच के लिये आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया एक असाध्य बीमारी है। फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को रोग का पता वर्षों बाद चलता है। तब तक बीमारी लाइलाज हो चुका होता है। शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं। इसलिये नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का बेहतर जरिया है। संभावित मरीजों का पता लगाने के लिये जिले में विशेष अभियान संचालित है।

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