- सपा से अफजाल अंसारी तो भाजपा सहयोगी ’सुभासपा’ से चुनाव लड़ेंगे बाहुबली बृजेश सिंह
- अफजाल अंसारी सलाखों के पीछे कैद बाहुबली पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं
आंकड़े बताते हैं कि गाजीपुर के सभी विधानसभा में राजभर वोट निर्णायक संख्या में है। ऐसे में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भी गाजीपुर संसदीय सीट पर बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। वैसे भी इन दिनों बृजेश सिंह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से लेकर भाजपा के हर बड़े कार्यक्रम में अपनी भागीदारी रखने का प्रयास करते देखे जा सकते है। ऐसें में भाजपा पिछले दरवाजे उनकी मदद कर सकती है, से इनकार नहीं किया जा सकता। सांसद अफजाल अंसारी भी गाहे बगाहे पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह पर निशाना साधते रहते है। उनका आरोप है कि जो 25 साल कानून से भागता रहा, उसके साथ आज सत्ता की ताकत खड़ी है। माफियाओं की लिस्ट में बृजेश सिंह का नाम है, लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। जबकि बृजेश सिंह सिकरारा नरसंहार कांड में हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से दोषमुक्त हुए हैं। बरी होने के बाद उनके चुनाव लड़ने की दावेदारी को बल मिला है। बृजेश की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह विधान परिषद में स्थानीय निकाय क्षेत्र की वाराणसी-भदोही-चंदौली सीट से निर्दलीय सदस्य हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि भाजपा में किस सीट से कौन चुनाव लड़ेगा इसका निर्णय पार्टी का पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगा। बोर्ड के निर्णय के बाद ही आगे की कार्यवाही होगी। कोई एक व्यक्ति टिकट का फैसला नहीं लेता। उधर, ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि बृजेश की भाजपा के नेताओं से टिकट को लेकर बात चल रही है। यदि सहमति बन गई तो बृजेश गाजीपुर से सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।
गाजीपुर से माफिया मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी सांसद थे। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट से चुनाव लड़कर भाजपा के मनोज सिन्हा को हराया था। चर्चा है कि गठबंधन में सुभासपा को गाजीपुर की सीट दी जा सकती है. ऐसे में दो अलग-अलग विचारधारा के लोगों का एक पार्टी से चुनाव लड़ना बेहद दिलचस्प होगा. जानकारों का कहना है कि कभी अंसारी बंधुओं का गढ़ कहे जाने वाले गाजीपुर से बृजेश सिंह के लोकसभा चुनाव लड़ने से पूर्वांचल की राजनीति में सपा और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई देखने को मिल सकती है। गाजीपुर और मऊ में जहां एक तरफ अंसारी बंधुओं का बर्चस्व समाप्त हुआ है, तो वही राजनैतिक बर्चस्व को बीजेपी अपने पाले में करने की फिराक में हो सकती है। यही वजह है, कि कभी माफिया के रूप में देखे जाने वाले बृजेश सिंह को बीजेपी अपने सिंबल के बजाए सुभासपा के सिंबल से केंद्र की राजनीति में एंट्री दे सकती है। वहीं केंद्र की राजनीति में एंट्री लेने के साथ बृजेश सिंह का कद भी बढ़ जाएगा।
दोनों की है पुरानी अदावत
एक तरफ मुसलमान ’गैंगस्टर’ है. मुख्तार अंसारी. दूसरी तरफ हिंदू ’गैंगस्टर’ है ब्रजेश सिंह. दोनों में कई बार गोलीबारी हो चुकी है. एक के डर से दूसरा जेल में रहता है. दूसरा पहले के डर से उड़ीसा भाग गया था. पूर्वांचल यूपी का वो एरिया है जहां पर मुसलमानों की संख्या बाकी जगहों की तुलना में ज्यादा ही है. पर गैंगवार का ये मुकाबला कभी भी सांप्रदायिक नहीं हुआ है. ये विशुद्ध माफिया स्टाइल है. जिसकी कोई जाति, कोई धर्म नहीं होता. गोलियां गिनी नहीं जातीं, निशाने लगाए नहीं जाते. बस फायरिंग होती है. जो जद में आ गया, छितरा के गिर गया.
अफजाल 2 बार सांसद बने और दोनों बार गए जेल
सपा द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए अपने 11 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की गई। जारी सूची में गाजीपुर के नेता अफजाल अंसारी का भी नाम शामिल है। अफजाल अंसारी साल 2019 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर सांसद बने थे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मनोज सिन्हा को भारी मतों से पराजित किया था। अफजाल अंसारी को सपा और बसपा गठबंधन होने का फायदा मिला था। अफजाल अंसारी को समाजवादी पार्टी द्वारा गाजीपुर लोकसभा सीट से टिकट दिए जाने के बाद अंसारी परिवार में खुशी का माहौल है। वहीं मुस्लिम प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतर कर अखिलेश यादव ने डैमेज कंट्रोल करने का भी प्रयास किया है। क्योंकि हाल ही में बदायूं के पूर्व सांसद और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सलीम इकबाल शेरवानी में सपा में मुस्लिम समाज के साथ भेदभाव किए जाने का आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी को उतार कर मुस्लिम समाज की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया गया है। यह कदम सपा के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन अगर अफजाल अंसारी के राजनीतिक करियर की बात करें तो गाजीपुर के लोगों के बीच अफजल को लेकर खास चर्चा ये है कि जब भी अफजाल अंसारी सांसद बने, उन्हें जेल जाना पड़ा। अफजाल अंसारी ने 1985 में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। पहली बार वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे। उसके बाद 1996 तक लगातार चुनाव जीतते रहे लेकिन साल 2002 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद साल 2004 में समाजवादी पार्टी द्वारा उन्हें गाजीपुर संसदीय सीट से टिकट दिया गया। इस चुनाव में अफजाल अंसारी ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को पीछे छोड़ते हुए गाजीपुर के सांसद बने। गाजीपुर सांसद बनने के बाद साल 2005 में कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में साजिश के आरोप में उनको जेल जाना पड़ा। लंबा राजनीतिक सफल तय करने के बाद भी पहली बार सांसद बनते ही उन्हें जेल जाना पड़ा। हालांकि इसके बाद अफजाल अंसारी साल 2009 2014 में भी चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हर का सामना करना पड़ा। अफजाल अंसारी ने कौमी एकता दल नाम से अपनी एक पार्टी भी बनाई थी लेकिन बाद में पार्टी अस्तित्व में नहीं रही। उसके बाद साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन हुआ। गठबंधन होने के बाद अफजाल अंसारी बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। हालांकि दूसरी बार सांसद बनने के बाद 29 अप्रैल 2023 को गैंगस्टर के मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई थी। उसके बाद से यह चर्चा होने लगी की अफजाल अंसारी जब भी सांसद बने उन्हें जेल जाना पड़ा। अब तीसरी बार समाजवादी पार्टी द्वारा उन्हें पुनः लोकसभा चुनाव मैदान में गाजीपुर से टिकट दिया गया है। जिसे लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चा चल रही है।
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