आखिर लड़कियों को ही बोझ क्यों समझा जाता है?
लड़कों को ही इतना प्यार क्यों दिया जाता है?
लड़कों को ही क्यों माना जाता है उत्तराधिकारी?
आखिर लड़कियों को बंधन में क्यों बांधा जाता है?
आखिर लड़कों को आजाद पंछी क्यों माना जाता है?
आखिर लड़की के होने पर घर में मातम क्यों होता है?
और लड़का होने पर लड्डू क्यों बांटी जाती है?
लड़की को शादी से पहले घर की बेटी बोलते हैं सभी,
फिर शादी के बाद उसको मेहमान क्यों बुलाया जाता है?
आखिर समाज अपनी सोच बदलता क्यों नहीं?
लड़की होने पर भी वह खुश होता क्यों नहीं?
नेहा
दोफाड़, उत्तराखंड
चरखा फीचर
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