मस्तक पर त्रिपुंड, हाथ में त्रिशूल और त्रिकालदर्शी के दर्शन...। जी हां, हिंदुत्व के धर्मध्वजा पर सवार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह अद्भूत एवं दिव्य रुप उन्हीं के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दिखा। इस अनोखे अंदाज में पीएम मोदी काशी विश्वनाथ धाम के गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ का भव्य षोडशोपचार विधि सपूजन किया. आरती, संकल्प के साथ पीएम ने तीसरी बार सरकार बनाने की कामना की और लोकसभा चुनाव में जीत का आशीर्वाद मांगा. बदले में महंत ने उन्हें श्रृंगार मुकुट भेंट कर विजयी भव का आशीष दिया. करीब 30 मिनट तक पूजन के बाद बाहर त्रिशूल दिखाकर ’हर हर महादेव’ का जयघोष करते हुए चुनावी बिगुल फूंका. कुछ ऐसा अंदाज पीएम मोदी का श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के दौरान दिखा, जिसने भारत ही नहीं पूरी दुनिया को राममय कर दिया। मतलब साफ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 की जंग टारगेट -400 के लिए जय महादेव..., जय श्रीराम... के नारे के तहत एजेंडा सेट कर दिया है। एजेंड के तहत ही जहां भी मोदी गए वहां विपक्ष का घोर परिवारवादी मिशन, 500 सालों का इंतजार खत्म-भव्य श्रीराम मंदिर, गांव, किसान, मुसलमान, तीन तलाक, नारी शक्ति वंदन, भ्रष्टाचार, जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाना और देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी खुलकर बात की. ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या बीजेपी ने अपना आखिरी ब्रह्मास्त्र चला दिया है? क्या जय महादेव..., जय श्रीराम... और मैं हूं मोदी का परिवार के नारा मोदी को देगा 400 का कवच?फिरहाल, लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर बीजेपी पूरी तैयारी के साथ चुनावी समर में कूद पड़ी है। खास बात है कि पीएम मोदी ने भी खुद को पूरी तरह इसमें झोंक दिया है. कुछ दिनों की बात है. चुनाव आयोग, चुनावी कार्यक्रमों की घोषणा करने ही वाला है, पीएम मोदी इससे पहले ही एक्टिव मोड में आ चुके हैं और कार्यकर्ताओं को भी सक्रियता के साथ जुट जाने का संदेश दे रहे है. इसी कड़ी में पूर्वांचल को सेट करने निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजमगढ़ से यूपी सहित देश के सात राज्यों को 34,676 करोड़ रुपये की 782 विकास परियोजनाओं की सौगात देकर बता दिया कि विकास वे ही करेंगें। इसमें रेलवे और बुनियादी ढांचों से संबंधित कई परियोजनाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री मंदुरी एयरपोर्ट आजमगढ़ और महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय का भी लोकार्पण किया। करीब सवा घंटे में यूपी के साथ ही महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की जनता को रिझाया, बल्कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय की 9,804 करोड़ की 15 परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया। इसमें भारतीय रेलवे की 8,176 करोड़ की 11 परियोजनाएं भी शामिल हैं।
जहां तक काशी से प्रधानमंत्री का चुनावी बिगुल का सवाल है तो बनारस संस्कृतियों के संगम के लिए ख्यात है। देश भर की संस्कृतियां एकाकार होकर काशी में रच-बस जाती हैं। तभी तो यहां की गलियों में ‘मिनी भारत’ का दर्शन सुगम हो जाता है। यही काशी अब विकास का प्रतीक है और पूरे देश में सनातन धर्म की प्रतिष्ठा का संदेश दे रही है। इसी अंदाज में मोदी ने बाबा के दरबार से जीत एवं विकास का संदेश दिया। बनारस के सांसद के रूप में अपनी यात्रा की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाबा विश्वनाथ धाम तक भक्तों की राह सुगम करने का खाका खींचा। अकल्पनीय और अविश्वसनीय प्रकल्प जब 13 दिसंबर, 2021 बाबा विश्वनाथ धाम एवं 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर लोकार्पित हुआ तो देश में धार्मिक चेतना झंकृत हो उठी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम एवं श्रीराम मंदिर का नव्य-भव्य स्वरूप देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी और अयोध्या सनातन संस्कृति के नाम सबसे बड़ा अनुष्ठान कहा जा सकता है। आंकड़े बता रहे हैं लोकार्पण के दो साल में ढाई करोड़ लोगों ने बाबा धाम में दर्शन-पूजन किया। अर्थात काशी से पूरे देश को विकास का संदेश गया है। बीते दो साल से काशी-तमिल संगमम् उत्तर-दक्षिण के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती देने का सेतु बना। सांसद सांस्कृतिक और खेलकूद प्रतियोगिता ने हर आयु वर्ग की कला मेधा को मंच दिया। बात पूर्वांचल की चुनावी राजनीति की करें तो कभी गोबर से गेहूं निकाल कर खाने वालों की बात प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से कहकर विश्वनाथ सिंह गहमरी संसद में रो पड़े थे। काशी पूर्वांचल के विकास का केंद्र बिंदु है। हर चुनाव में पूर्वांचल का पिछड़ापन मुद्दे के रूप में जी उठता था। पिछला एक दशक इस क्षेत्र के भूगोल और राजनीतिक-सामाजिक स्थिति में परिवर्तन का रहा है। आज भाजपा मोदी की गारंटी और विकास के दम पर काशी और पूर्वांचल का माडल देश भर में पेश कर रही है। अपने संसदीय क्षेत्र को लेकर नरेन्द्र मोदी बहुत संवेदी और चैतन्य रहते हैं। अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के क्रम में जब राहुल गांधी ने बनारस में शराबी और नशेड़ी युवा पाए जाने का जिक्र किया तो प्रधानमंत्री ने काशी से ही इसका कड़ा प्रतिवाद किया।
विकास की बहुलता से काशी संसदीय सीट की श्रेष्ठता सिद्ध हो रही है। प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यकाल में वाराणसी से निकलने वाली जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर की सड़क को फोरलेन कर दिया गया। वाहनों की राह को रिंगरोड ने सुगम कर दिया। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे ने गाजीपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ़ से लखनऊ पहुंचने का समय आधा कर दिया है। पूरे पूर्वांचल की फल-सब्जी बनारस से खाड़ी देशों को भेजकर किसानों की आर्थिकी को सुधारने का क्रम जारी है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री ने बनारस के करखियांव एग्रो पार्क में अमूल प्लांट का उद्घाटन किया। यहां 18 जिलों के दुग्ध उत्पादकों से दूध लिया जाएगा। सिगरा स्टेडियम में स्पोर्ट्स कांप्लेक्स तैयार है। अगले वर्ष तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भी पूर्वांचल के लोगों को मिल जाएगा। खास यह है कि राष्ट्रवाद की इस लहर में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण 5 सदियों का इंतजार खत्म किया है। गुजरात के पावागढ़ में 500 साल बाद धर्म ध्वजा फहराई गई है। 7 दशक बाद करतारपुर साहिब राहदारी खोली गयी है। 7 दशक के इंतजार के बाद देश को आर्टिकल 370 से मुक्ति मिली है। इसकी गुंज अब नार्थ-ईस्ट में भी सुनाई देने लगी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने इस बार पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने का प्लान बनाया है. यही वजह है कि पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे विपक्ष को बेनकाब करें और अल्पसंख्यकों के लिए मोदी सरकार के लिए गए फायदें गिनाएं. कहा कि जिन लोगों ने दशकों तक शासन किया, उनके मूल में बेईमानी है। 2014 से पहले भ्रष्टाचार व बेईमानी का कारोबार चलता था। कालाबाजारी व भ्रष्टाचार की खबरों से अखबार भरे रहते थे। अब विकास की खबरें छपती हैं। जनकल्याण की बात होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जो संसाधन पहले थे, वही अब भी हैं। लेकिन सरकार बदलने के साथ नियत बदली है। इसी का नतीजा है कि गरीब कल्याण की योजनाएं तेजी से आगे बढ़ाई जा रही हैं। देश का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया।
इसी के मद्देनजर एकबार फिर मोदी ने पूर्वांचल को रिझाया। उन्हें हजारों करोड़ रुपये की सौगात दी। देखा जाएं तो पूर्वांचल में संगठनात्मक रूप से भाजपा ने 27 लोकसभा क्षेत्रों को काशी और गोरखपुर क्षेत्र में बांटा है। काशी क्षेत्र का केंद्र वाराणसी और गोरखपुर क्षेत्र का केंद्र गोरखपुर ही है। काशी क्षेत्र की 14 लोकसभा सीटों में से भाजपा के पास 12 सीटें हैं जबकि गोरखपुर क्षेत्र की 13 में से दस लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। दोनों क्षेत्रों की अंबेडकर नगर, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर और लालगंज सीट पर बसपा काबिज है। पूर्वांचल की आजमगढ़ सीट को सपा का गढ़ माना जाता है हालाकि उप चुनाव में यह सीट भाजपा ने छीन ली थी। भाजपा ने 2024 में सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। लिहाजा आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी 22 सीटों पर कब्जा बरकरार रखते हुए सपा-बसपा के गढ़ ढहाना भी पार्टी के लिए चुनौती है। यही वजह है कि मोदी और योगी सरकार ने बीते छह वर्षों में पूर्वांचल के विकास पर फोकस किया है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे जैसी बड़ी परियोजनाएं धरातल पर उतारी हैं। वहीं अयोध्या में श्रीरामजन्म भूमि पर भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है। काशी विश्वनाथधाम कॉरिडोर का निर्माण किया है। कुशीनगर में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बना है। वहीं योगी सरकार ने पूर्वांचल में कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए माफिया मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद सहित अन्य बदमाशों के अपराधों पर नकेल कसी हैं। पूर्वांचल में औद्योगिक विकास के लिए विभिन्न निवेश नीतियों में पूर्वांचल में निवेश के लिए विशेष प्रोत्साहन देना शुरू किया है। खास यह है कि पूर्वांचल के 27 लोकसभा क्षेत्रों में कुर्मी, मौर्य, राजभर, निषाद, यादव सहित अन्य जातियों का गढ़ हैं। लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में इनमें से यादव और राजभर को छोड़कर अधिकांश जातियों का रुख भाजपा की ओर रहा है। वहीं दलित वर्ग में कोरी, पासी, सोनकर, जाटव और कोल जाति के मतदाताओं भी निर्णायक संख्या में हैं। इनता ही नहीं भाजपा सपा-बसपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए पसमांदा मुस्लिम समाज को साधने का प्रयास कर रही है। पूर्वांचल की इन सीटों पर पसमांदा मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। अपने दो दिवसीय दौरे में मोदी ने इन्हीं वर्गो को साधा है। मतलब साफ है भाजपा के परंपरागत वोट बैंक ब्राह्मण, ठाकुर, कायस्थ और राजभर के साथ यदि पिछड़े, पसमांदा और दलितों का समर्थन मिल गया तो भाजपा के लिए मिशन 80 को पूरा करने की राह आसान होगी।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें