- नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का अपहरण कराने, रंगदारी मांगने, षड्यंत्र तथा गालियां और धमकी देने का है आरोप
धनंजय पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं
सांसद धनंजय सिंह का राजनीतिक सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है। वह 2002 में पहली बार रारी विधानसभा से निर्दलीय विधायक चुने गए। दुबारा 2007 के आम चुनाव में लोजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे। धनंजय सिंह 2009 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते। 2009 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद रिक्त हुई विधानसभा सीट पर अपने पिता राजदेव सिंह को खड़ा किया और जितवाने में सफल रहे। तत्कालीन सपा महासचिव अमर सिंह से मुलाकात के बाद 21 सितंबर 2011 को बसपा ने धनंजय सिंह को पार्टी से निलंबित करने का ऐलान कर दिया था। निलंबन का सांसद ने खुला विरोध किया। इस बीच 26 सितंबर को सीबीसीआईडी ने बेलांव घाट के डबल मर्डर की दोबारा जांच शुरू कर दी। 20 नवंबर को सांसद की बसपा में वापसी हो गई। 11 दिसंबर 2011 को सांसद को बेलांव घाट के दोहरे हत्याकांड में गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले की गई। पुलिस ने गैंगस्टर भी तामील करा दिया। विधानसभा चुनाव बीतने के बाद मार्च में उच्च न्यायालय से जमानत हुई। वर्ष 2012 में विधानसभा के आम चुनाव में मल्हनी विधानसभा क्षेत्र से अपनी पत्नी डॉ. जागृति सिंह को निर्दल प्रत्याशी के रूप में उतारा। उन दिनों वह जेल में थे। चुनाव में सपा उम्मीदवार और मौजूदा उद्यान मंत्री पारसनाथ यादव से डॉ. जागृति का मुकाबला हुआ। सांसद के जेल में होने के बावजूद डॉ. जागृति सिंह को 50,100 वोट मिले। जबकि विजयी प्रत्याशी पारसनाथ यादव को 81, 602 मत मिले। 17 जनवरी, 2013 को बक्शा के पूरा हेमू निवासी अनिल मिश्रा हत्याकांड में सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। तत्कालीन एसपी मंजिल सैनी ने विवेचना कराई तो पता चला कि मर्डर अनिल मिश्रा के गोल के लोगों ने ही कराया था। इस पर पुलिस ने सांसद को क्लीनचिट दे दी थी।
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