पटना, संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. बी. पी. भट्ट एवं प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने 13 मार्च, 2024 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना का दौरा किया और वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श किया। उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में अनुसंधान संबन्धित समस्याओंऔर संभावित समाधानों पर प्रकाश डाला। डॉ. भट्ट ने नीतिगत अनुसंधान मुद्दों के महत्व को रेखांकित किया। इसके अतिरिक्त उन्होने धान-परती क्षेत्रों के प्रबंधन से संबंधित कई महत्वपूर्ण बिंदु साझा किए। उन्होंने इन क्षेत्रों के लिए मानचित्र तैयार करने, अलग-अलग नमी के तनाव के स्तर पर विशेष ध्यान देने और उन्हें विभिन्न फसलों के महत्वपूर्ण चरणों के साथ संबंधित करने का सुझाव दिया। इसके अलावा, उन्होंने चारा उत्पादन बढ़ाने के लिए धान-परती क्षेत्रों में शुष्क और अर्ध-शुष्क चारा फसल प्रजातियों की खेती को बढ़ावा देने का सुझाव भी दिया। कृषि वानिकी हस्तक्षेपों को प्रोत्साहित करने के लिए, डॉ. भट्ट ने बहुमंजिला फसल प्रणालियों को अपनाने पर बल दिया। संस्थान की दृश्यता बढ़ाने हेतु डॉ. बी.पी. भट्ट ने संस्थान द्वारा जारी सभी अनुशंसित किस्मों की मैपिंग करने की राय दी। उन्होंने यह भी सलाह दी कि वैज्ञानिकों को प्रक्षेत्र दौरे के समय नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में किसानों की असमर्थता व चुनौतियों को समझने के लिए किसानों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए। इससे पूर्व, कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने पूर्व निदेशक डॉ. बी.पी. भट्ट का स्वागत किया तथा संस्थान की वर्तमान अनुसंधान गतिविधियों से उन्हें अवगत कराया । इस बैठक में डॉ. संजीव कुमार, प्रमुख, फसल अनुसंधान प्रभाग, डॉ. ए.के. उपाध्याय, प्रमुख, भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग और डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रमुख, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार प्रभाग तथा संस्थान के अन्य वैज्ञानिकगण भी उपस्थित थे।
शुक्रवार, 15 मार्च 2024
पटना : पूर्वी भारत के लिए नीतिगत अनुसंधान करने की जरूरत : डॉ. बी. पी. भट्ट
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