विशेष : फिर हॉट सीट बनी वाराणसी, मोदी अपने ही तोड़ेंगे जीत का रिकार्ड - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 4 मार्च 2024

विशेष : फिर हॉट सीट बनी वाराणसी, मोदी अपने ही तोड़ेंगे जीत का रिकार्ड

लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. एक तरह से वाराणसी एकबार फिर देश की सबसे हॉट सीट बन गयी है। दावा है कि इस बार मोदी न सिर्फ जीत की हैट्रिक लगायेंगे, बल्कि जीत का मार्जिन पांच लाख से अधिक होगी और अपने ही जीत का पार्टी के लिए रिकार्ड बनायेंगे। यह दावा हकीकत में बदल पायेगा, ये तो चुनाव परिणाम बतायेंगे, लेकिन वाराणसी सीट पर तो देश विदेश सबकी निगाहें रहेंगी. मतलब साफ है पूर्वांचल से बिहार और पूर्वी भारत तक की सियासत को पीएम मोदी के जरिये भाजपा वाराणसी से ही साधने का प्रयास करेगी। राजनीतिक तौर पर देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में 80 लोकसभा सीटें है। वाराणसी उन यूपी के उन 11 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जहां सपा या बसपा कभी अपना खाता तक नहीं खोल सकी है। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच हमेशा सीधी टक्कर रही थी। बता दें, वाराणसी लोकसभा सीट में विधानसभा की 5 सीटें- रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट और सेवापुरी आती हैं. 2017 में पांच में से चार सीटों पर बीजेपी और एक सीट सेवापुरी पर बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने जीत दर्ज की थी. वाराणसी लोकसभा में वैश्य समाज के बाद कुर्मी काफी वोटर्स हैं, खासकर रोहनिया और सेवापुरी में इनकी संख्या काफी है. यहां लगभग एक लाख भूमिहार वोटर्स हैं. एक एक लाख के आसपास ब्राह्मण व ठाकुर वोटर्स हैं. जबकि यादव और मुस्लिम वोटरों की संख्या यहां निर्णायक भूमिका में होती है. 2014 में मुझे मां गंगा ने बुलाया है... से लेकर 2024 में मोदी की गारंटी की गूंज की तैयारी भाजपा ने कर ली है। भाजपा की पहली सूची में मातृ शक्ति को ध्यान में रखते हुए 28 महिलाओं को मौका दिया गया है। लिस्ट में 47 नौजवानों का नाम है। आदिवासी समाज के 18 उम्मीदवारों का नाम दर्ज किया गया है। 34 केंद्रीय और राज्यमंत्रियों के नाम भी सूची में शामिल हैं

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लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा की पहली सूची जारी होते ही चुनाव की सुगबुगाहट धीर-धीरे रफ्तार पकड़ रही है. ये चुनाव मोदी के लिए खासा महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2014 व 2019 में हुए आम चुनाव के नतीजे कई मायनों में ऐतिहासिक थे. एक ओर जहां अर्से बाद भारत में गठबंधन की राजनीति को जोरदार धक्का लगा और बीजेपी अकेले बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब हुई, वहीं देश की सबसे पुरानी और सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस पार्टी इतनी सीटें भी नहीं ला सकी की उसे लोकसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा हासिल हो सके. खास यह है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय बीते तीन लोकसभा चुनाव वाराणसी से लड़ चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि तीनों लोकसभा चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे। अजय राय ने वर्ष 2009 में पहला लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लड़ा था। 2014 और 2019 में वह कांग्रेस के सिंबल पर वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़े। तीनों चुनाव में उन्हें जीत नहीं नसीब हो सकी। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या 2024 का आम चुनाव भी मोदी मैजिक से प्रभावित चुनाव होंगे? क्या बीजेपी अकेले दम पर फिर एक बार सरकार बनाने की स्थिति में होगी? क्या कांग्रेस अपना पिछला रिकार्ड तोड़ पाएगी? वहीं वर्तमान राजीनित में अपनी अहमियत खो चुकी क्षेत्रिय पार्टियों का क्या होगा. इन्हीं सवालों के बीच वाराणसी एक बार देश की सबसे हॉट सीट बन गयी है। बता दें, चुनाव-2024 के लिए बीजेपी ने 195 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है. इसमें यूपी की 51 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. इसमें पीएम मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे. यूपी की सबसे चर्चित और वीवीआईपी सीट यानी कि वाराणसी की तो यहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ेंगे।


1957 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट अस्तित्व में आई थी। यहां हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 2014 और 2019 चुनावों में यह सीट काफी चर्चा में रही। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी लोकसभा सीट पर नामांकन करने करने पहुंचे भापपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी कहा था, न मुझे किसे ने भेजा है, न मैं यहां आया हूं, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया हैं। यहां से जीतकर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। पीएम मोदी लगातार दो बार वाराणसी सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। यही वजह है कि वाराणसी सीट यूपी की सबसे वीवीआईपी सीट रही है. इस सीट से पिछले दो बार से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद रहे हैं. पीएम मोदी तीसरी बार भी वाराणसी से ही चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी इस सीट पर एक बार से पीएम मोदी की बड़ी जीत की तैयारी में जुटी हुई है. वहीं विपक्षी दल सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के हिस्से में आई है. हालांकि कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को मैदान में उतारा जा सकता है. देखा जाएं तो वाराणसी लोकसभा सीट हमेशा से ही सुर्खियों में रही है. इस सीट पर बीजेपी का वर्चस्व रहा है. पीएम मोदी से पहले 2009 में बीजेपी से मुरली मनोहर जोशी सांसद बने थे. वाराणसी सीट का सियासी समीकरण भी बेहद दिलचस्प है. इस सीट पर अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. और जिनमें से सात बार यहां कांग्रेस को जीत मिली और सात बार ही बीजेपी जीती है. ये सीट कुर्मी जाति बहुल है. जो किसी भी दल की जीत में अहम भूमिका निभाता रहा है. इसके साथ ही ब्राह्मण, भूमिहार, वैश्य और मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका में रहते हैं.


वाराणसी सीट से बीजेपी के कई दिग्गज सांसद रह चुके हैं. लेकिन पीएम मोदी के एंट्री के बाद से यहां का चुनाव काफी दिलचस्प रहा है. साल 2014 में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे, और दूसरे नंबर पर रहे. कांग्रेस के अजय राय तीसरे और बसपा चौथे नंबर पर रही. पीएम मोदी को इस चुनाव में 32.89 फ़ीसदी वोट मिले. जबकि केजरीवाल को सिर्फ 11.85 फ़ीसद वोट मिले. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा. इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले से भी कहीं ज़्यादा 6,74,664 वोट मिले और वोट फीसद 63.6 फीसदी रहा. सपा की शालिनी यादव दूसरे नंबर पर रही उन्हें कुल 1,95,159 वोट मिले और वोट 18.4 फीसदी रहा. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के अजय राय रहे, उन्हें 14.38 फीसइदी वोट के साथ कुल 1,52,548 मत मिले. वाराणसी लोकसभा सीट पर 75 फीसद हिन्दू बीस फीसद मुस्लिम और पांच फीसद अन्य वोटरों के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बतौर सांसद पीएम नरेन्द्र मोदी मोदी लोकप्रिय नेता के तौर पर जाने जाते हैं। यहां कुल मतदाताओं में करीब 65 फीसद शहरी और 35 फीसद ग्रामीण वोटर हैं। वहीं वाराणसी जिले की शिवपुर और अजगरा विस सीट चंदौली लोकसभा का हिस्सा है। साल 1957 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। 1951-52 में जब पहले आम चुनाव हुए थे तब वाराणसी जिले में बनारस पूर्व, बनारस पश्चिम और बनारस मध्य नाम से तीन लोकसभा सीटें थीं। 1957 में वाराणसी सीट अस्तित्व में आई। यहां हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली। कांग्रेस की तरफ से उतरे रघुनाथ सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार शिवमंगल राम को 71,926 वोट से शिकस्त दी थी। 1962 के चुनाव में भी कांग्रेस के रघुनाथ सिंह फिर से जीतने में सफल रहे। उन्होंने इस बार जनसंघ उम्मीदवार रघुवीर को 45,907 वोटों से हराया। 1967 का लोकसभा चुनाव वो पहला लोकसभा चुनाव था जब वाराणसी सीट पर गैर कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिली। उस चुनाव में यहां से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की।


भाकपा उम्मीदवार एसएन सिंह ने कांग्रेस के आर. सिंह को 18,167 मतों से हरा दिया। हालांकि, 1971 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने वाराणसी सीट पर जीत दर्ज की। पार्टी की तरफ से उतरे जाने-माने शिक्षाविद राजा राम शास्त्री ने यहां पार्टी को जीत दिलाई। शास्त्री ने भारतीय जनसंघ के कमला प्रसाद सिंह को 52,941 वोट से हराया। 1971 के चुनाव के बाद और अगले चुनाव से पहले देश ने आपातकाल का दौर देखा। आपातकाल खत्म हुआ तो 1977 में फिर से चुनाव हुए। जनता लहर में कांग्रेस बुरी तरह हारी। वाराणसी सीट भी पार्टी ने गंवा दी। यहां कांग्रेस के राजा राम को भारतीय लोक दल के चंद्रशेखर ने 1,71,854 वोट से करारी हार झेलनी पड़ी। 1980 के लोकसभा चुनाव एक बार फिर कांग्रेस ने वाराणसी सीट पर वापसी की। यहां कांग्रेस की तरफ से उतरे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने पार्टी को जीत दिलाई। उन्होंने जनता पार्टी (सेक्युलर) के प्रत्याशी राज नारायण के खिलाफ 24,735 मतों से जीत दर्ज की। 1984 में भी कांग्रेस इस सीट को बरकरार रखने में कामयाब रही। इस चुनाव में पार्टी के श्याम लाल यादव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रत्याशी ऊदल के मुकाबले 94,430 वोटों से जीते। 1989 के लोकसभा चुनाव भी कांग्रेस के हाथ से यह सीट निकल गई। इस बार जनता दल के अनिल शास्त्री ने कांग्रेस उम्मीदवार श्याम लाल यादव को 1,71,603 वोटों से हरा दिया। साल 1991 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वाराणसी सीट पर भाजपा को जीत मिली। भाजपा के शीश चंद्र दीक्षित ने माकपा के राजकिशोर को 40,439 मतों से शिकस्त दी। तब से यह सीट भाजपा का गढ़ रही है।


1991 के बाद 1996 में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने जीत दर्ज की। जायसवाल ने माकपा के राजकिशोर को 1,00,692 वोटों से हराया। 1998 में लोकसभा चुनाव में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने लगातार दूसरी बार वाराणसी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। जायसवाल के खिलाफ माकपा से उतरे दीनानाथ सिंह यादव को 1,51,946 वोटों से करारी हार मिली। 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने जीत की हैट्रिक लगाई। उन्होंने इस बार कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा को 52,859 मतों से हराया। 2004 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट पर 15 साल बाद कांग्रेस ने वापसी की। पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर हारने वाले राजेश कुमार मिश्रा ने अबकी बार यहां जीत दर्ज की और भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल को जीत के सिलसिले को भी थाम दिया। राजेश मिश्रा यह चुनाव 57,440 मतों से जीते। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट एक बार फिर से देश की वीवीआईपी सीटों में शामिल हो गई। उस चुनाव में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी यहां से मैदान में थे। उनके मुकाबले बसपा ने बाहुबली मुख्तार अंसारी को उतार दिया था। जब नतीजे आए तो करीबी मुकाबले में जोशी जीत दर्ज करने में सफल रहे। भाजपा इस चुनाव में 17,211 वोटों से जीत गई। अब बारी थी 2014 के लोकसभा चुनाव की। चुनावों से पहले ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया। वहीं, जब चुनाव लड़ने की बारी आई तो नरेंद्र मोदी ने वडोदरा के साथ-साथ वाराणसी सीट से भी नामांकन किया। उधर मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल तो कांग्रेस से अजय राय मैदान में थे। उस चुनाव में वाराणसी देश की सबसे चर्चित सीट बन गई।  इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर नरेंद्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले। वहीं दूसरे स्थान पर रहे केजरीवाल के पक्ष में 2,09,238 लोगों ने वोट किया। इस तरह से नरेंद्र मोदी 3,71,784 वोटों से चुनाव जीतने में सफल रहे। इसी जीत के साथ नरेंद्र मोदी संसद पहुंचे और देश के प्रधानमंत्री भी बने। प्रधानमंत्री मोदी को वडोदरा सीट पर भी जीत मिली, उन्होंने प्रतिनिधित्व के लिए वाराणसी को चुना।






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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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