पटना : नीतीश बाबू, आप जेपी बनने चले थे, पर बीजेपी के हनुमान बन गये - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 18 मार्च 2024

पटना : नीतीश बाबू, आप जेपी बनने चले थे, पर बीजेपी के हनुमान बन गये

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बिहार के मुख्‍यमंत्री हैं नीतीश कुमार। कुर्मी जाति के हैं। कुर्मी और भूमिहार के राजनीतिक और सामाजिक चरित्र में बहुत कुछ समानता है। नीतीश कुमार को पलटू राम कहा जाता है, यह सर्व‍था अनुचित है। राजनीति के धंधे में सभी यही करते हैं। नीतीश जी घोलटनिया मारते-मारते 18 साल में 8 बार शपथ ले चुके हैं। एक सरकार की औसत उम्र 27 महीना। 9 बार शपथ लेकर उन्‍होंने देश में रिकार्ड बना लिया है। लेकिन हम बात कर रहे हैं नीतीश कुमार के जेपी बनने की ख्‍वाहिश की। जेपी यानी जय प्रकाश नारायण। संपूर्ण क्रांति के प्रणेता और आपातकाल के खिलाफ राष्‍ट्रव्‍यापी आंदोलन के नायक। नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिक चेहरे के खिलाफ राष्‍ट्र नायक बनने का प्रयास करते रहे हैं। 2010 में नरेंद्र मोदी के लिए पटना में आयोजित भोज को बीजे से पहले रद कर  दिया। बिहार के गांव में भोज के कुछ दिन पहले अंगेया दिया जाता है और खाने के कुछ समय  पहले बीजे कराया जाता है। इसको लेकर एक कहावत भी प्रचलित है अंगेया देकर बीजे गायब। यही नरेंद्र मोदी के साथ हुआ था। सामान्‍य बोलचाल की भाषा में अंगेया को आमंत्रण और बीजे को खाने के लिए पात में शामिल होने का आग्रह कह सकते हैं।


2013 में जब नरेंद्र मोदी को भाजपा ने अभियान समिति का अध्‍यक्ष बनाया था तो इसके खिलाफ नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ लिया। बिहार में भाजपा को सरकार से धकियाकर बाहर कर लिया। 2015 में जनता परिवार की एकता के सूत्रधार बन रहे थे। लखनऊ से दिल्‍ली तक अनेक बैठकें हुईं। कई पार्टियों के विलय की बात भी चली। उनकी इच्‍छा थी कि उन्‍हें इस अभियान का अगुआ मान लिया जाए। नीतीश कुमार के समर्थक उन्‍हें प्रधानमंत्री मटेरियल कहने लगे थे।  लेकिन यह किसी को स्‍वीकार नहीं था। इससे नाराज नीतीश कुमार भाजपा के साथ चले गये और 2017 में 4 साल बाद भाजपा के साथ बिहार में सरकार बना ली। पांच साल बाद उनकी अंतरात्‍मा जगी। मन में प्रधानमंत्री बनने की इच्‍छा प्रबल होने लगी। फिर अगस्‍त 2022 में राजद के साथ मिलकर सरकार बना ली। प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को प्रबल बनाने के लिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ राष्‍ट्र व्‍यापी अभियान की शुरुआत की। विपक्षी दलों को जोड़ने का अभियान शुरू किया। विपक्षी दलों की बैठक पटना, बंगलौर और मुम्‍बई में हुई। इन बैठकों को लेकर नीतीश कुमार काफी उत्‍साहित थे। दिल्‍ली में भी एक बैठक हुई, लेकिन किसी ने भी उनको महागठबंधन का नेतृत्‍व देने के लिए उनके नाम की चर्चा भी नहीं की। बल्कि कुछ लोगों ने कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे कर दिया। राजद प्रमुख लालू यादव ने भी कोई पहल नहीं की। इसका दर्द विधान सभा में छलक गया। विश्‍वास मत के दौरान नीतीश कुमार ने कहा कि राजद वाले भी कांग्रेस से मिल गये थे। इसी दर्द पर मरहम के लिए नीतीश कुमार फिर भाजपा के साथ होकर सरकार बना ली।


नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ खड़ा होकर जेपी बनने का प्रयास करते हैं। नरेंद्र मोदी के खिलाफ होने का स्‍वांग रचते हैं। लेकिन उनकी पहल पर किसी भी विपक्षी पार्टी को भरोसा नहीं होता है तो वापस नरेंद्र मोदी के साथ चले जाते हैं। नीतीश ने 2013 और 2022 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ होने का आडंबर किया। वहीं, 2017 और 2024 में नरेंद्र मोदी के साथ हो लिये। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता के नाम पर देशव्‍यापी अभियान चलाकर जेपी बनने का प्रयास करते हैं और फिर जब विपक्षी नेता इनको अगुआ मानने से इंकार करते हैं तो बीजेपी के हनुमान बन जाते हैं। 2017 में भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद पहली प्रेस वार्ता में नीतीश कुमार ने कहा था कि अब कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हरा नहीं सकता है। इसके बाद खुद 2022 में राजद के साथ सरकार बनाकर नरेंद्र मोदी के खिलाफ राष्‍ट्रव्‍यापी गोलबंदी की बात करते हैं। वहीं नीतीश 2024 में औरंगाबाद में प्रधानमंत्री की सभा में अबकी बार 400 बार का नारा लगाते हुए भी गौरवान्वित महसूस करते हैं। जेपी और बीजेपी के बीच उलझे नीतीश कुमार की यही सबसे बड़ी त्रासदी है।





वीरेंद्र यादव, 

वरिष्‍ठ पत्रकार, 

पटना

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