जौनपुर : पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत दो को सात साल की सजा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 6 मार्च 2024

जौनपुर : पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत दो को सात साल की सजा

  • नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण कराने व पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने का आरोप
  • नहीं लड़ पाएंगे लोकसभा चुनाव, 43 केस घटकर रह गए 10, पहली बार किसी मामले में हुई सजा

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जौनपुर (सुरेश गांधी) नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंह का अपहरण और रंगदारी वसूली के मामले में जौनपुर की शरद कुमार त्रिपाठी की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने धनंजय सिंह और उसके साथी संतोष विक्रम सिंह को 7 साल की सजा और 50,000 का जुर्माना लगाया है. बीते तीन दशक से उत्तर प्रदेश की सियासत में बाहुबली धनंजय सिंह को पहली बार किसी केस में सजा सुनाई गई है. उन पर नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण कराने व पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने का आरोप है। मैनेजर ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अदालत ने कहा कि इस मामले में अभियुक्तगण द्वारा जेल में बिताई गई अवधि सजा की अवधि में समायोजित की जाएगी। अदलत के आदेश से दोनों अभियुक्तों को न्यायिक अभिरक्षा में जिला जेल भेज दिया गया। अदालत के इस फैसले के साथ धनंजय सिंह के राजनीतिक सफर पर हाईकोर्ट से राहत मिलने तक विराम लग गया है.


अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले में यह सिद्ध हुआ है कि अभियुक्तगण द्वारा वादी मुकदमा को उसके कार्यक्षेत्र से जबरन अपने घर बुलवाकर पिस्तौल दिखाकर उसे व उसकी कंपनी के लोगों को डराया व धमकाया गया। उन पर यह दबाव डाला गया कि नमामि गंगे परियोजना में मात्र और मात्र अभियुक्तगण का ही गिट्टी व बालू प्रयोग किया जाए। अन्यथा की स्थिति में वादी व उसकी कंपनी के लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। मगर, मामले को देखने से यह स्पष्ट है कि अभियुक्तगण द्वारा समर्थ व सक्षम होने के बावजूद भी वादी को घटना के समय व उसके पश्चात किसी तरह की कोई भी शारीरिक हानि नहीं पहुंचाई गई। अभियुक्त धनंजय सिंह जनप्रतिनिधि भी है और दूसरा अभियुक्त संतोष विक्रम सिंह उसके सहयोगी है। अभियुकगण के खिलाफ दर्ज अधिकांश मुकदमे दोषमुक्ति, उन्मोचन, फाइनल रिपोर्ट या सरकार द्वारा वापस लिए जाने के आधार पर समाप्त हो चुके हैं। इस न्यायालय के समक्ष भी बुलाए जाने पर अभियुक्तगण ट्रायल के दौरान हाजिर होते रहे हैं। अदालत ने कहा कि अभियुक्तगण को अपहरण, रंगदारी मांगने, अपमानित करने, धमकाने और आपराधिक साजिश के तहत दोषसिद्ध किया गया है। मामले को देखने से निश्चित तौर पर स्पष्ट है कि अभियुक्तगण के द्वारा वादी मुकदमा को अपने साथ जबरन ऐसे ले जाया गया था कि वह हत्या होने के खतरे में पड़ गया था। मगर, वादी को मामले में किसी तरह की कोई भी शारीरिक चोट नहीं आयी है। अभियुक्त धनंजय जनप्रतिनिधि है। विधि का यह नियम है कि अपराधी को अपराध के अनुपात के अनुसार दंडित किया जाए।


10 मुकदमे दर्ज हैं

कभी उत्तर प्रदेश पुलिस के एनकाउंटर में मारे जाने की झूठी कहानी से बाहुबली बने धनंजय सिंह पर 43 मुकदमे दर्ज थे, लेकिन आज सिर्फ 10 मुकदमे लंबित हैं. इनमें से 8 केस तो जौनपुर में दर्ज हैं, बाकी एक मुकदमा दिल्ली के चाणक्यपुरी थाने का है। और एक मुकदमा लखनऊ के विभूति खंड थाने का है, जो मामूली धाराओं में है. अब तक सिर्फ तीन मुकदमे में धनंजय सिंह पर चार्ज फ्रेम हो पाया है और गवाही चल रही है. बाकी 6 मुकदमों में पुलिस ने चार्जशीट जरूर दाखिल की है, लेकिन अभी अदालत में चार्ज फ्रेम नहीं हो पाए हैं.


हाईकोर्ट में करेंगे अपील, कहा, मैं निर्दोष हूं 

धनंजय ने कहा कि नमामी गंगे परियोजना के तहत हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने आवाज उठाई, इसलिए ये कार्रवाई हुई है। हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इस दौरान कोर्ट के अंदर से लेकर बाहर तक समर्थकों की भारी भीड़ रही। धनंजय भैया जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए। बता दें, पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम सिंह को अपहरण व रंगदारी के मामले में दोषी ठहराया गया। यह आदेश तब भी सुनाया गया जब वादी व दूसरा गवाह मुकर गया। ऐसे में कोर्ट ने पत्रावलियों में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दोषी ठहराया। कोर्ट में पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने न्यायाधीश से कहा कि मैं निर्दोष हूं मुझे गलत ढंग से फंसाया गया है। मेरी राजनीतिक छवि धूमिल की जा रही है।


इन धाराओं में हुई सजा

1-364 भारतीय दंड संहिता अपहरण के मामले में आजीवन कारावास या 10 वर्ष के लिए कठोर कारावास और जुर्माना।

2-386 भारतीय दंड संहिता रंगदारी मांगने के आरोप में 10 वर्ष व जुर्माना

3-120-बी भारतीय दंड संहिता षड़यंत्र में जिस प्रकार के अपराध के लिए लगा है षड्यंत्र ही दंड होगा।

4-504 भारतीय दंड संहिता में दो वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है।

5-506 भारतीय दंड संहिता में अधिकतम सात वर्ष व न्यूनतम दो वर्ष की सजा व जुर्माना दोनों हो सकता है।

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