वाराणसी : हल्दी के रंग में रंग गए बाबा विश्वनाथ, गाएं गए मंगलगीत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 6 मार्च 2024

वाराणसी : हल्दी के रंग में रंग गए बाबा विश्वनाथ, गाएं गए मंगलगीत

  • महाशिवरात्रि की तैयारी में जुटे श्रद्धालु, भक्तों में दिख रहा उत्साह, काशीवासियों पर चढ़ा लगन का खुमार
  • महानिशा आरती में होगा शिव-पार्वती विवाह, महाशिवरात्रि पर खुले रहेंगे काशी विश्वनाथ के दर्शन

Mahashivratri-varanasi
वाराणसी (सुरेश गांधी) बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी में बाबा काशी विश्वनाथ के विवाह उत्सव महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां जोर-जोर से शुरू हो गई हैं. आठ मार्च को महाशिवरात्रि है। इस मौके पर बाबा विश्वनाथ मंदिर में रंगारंग कार्यक्रम शुरू होने के साथ ही भक्तों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। शिव भक्त उनके विवाह के उत्सव में डूबे हैं। बुधवार को औघड़दानी नीलकंठ हल्दी के रंग में रंग गए। टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत के आवास पर बाबा के रजत विग्रह का प्रतीक आगमन हुआ। अयोध्या के रामायणी पं. वैद्यनाथ पांडेय के परिवार से भेजी गई हल्दी गोधूली बेला में भगवान शिव को लगाई गई। बाबा को भक्तों ने ठंडई, पान और मेवे का भोग लगाया।


इसके पूर्व बसंत पंचमी पर बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा  का तिलकोत्सव हुआ था। हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पहुंची। संजीवरत्न मिश्र ने बाबा का विशेष राजसी-स्वरूप में श्रृंगार कर भोग लगाया। इसके उपरांत आरती उतारी। मंगल गीत के बीच बाबा को हल्दी लगाई गई। तेल-हल्दी की रस्म पूर्व महंत डा. कुलपति तिवारी के सानिध्य में संपन्न हुई। पूजन अर्चन का विधान उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने पूर्ण किए। इस दौरान मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो रहा था। ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित गीत गाए गए। महंत आवास पर शिवांजलि में वृंदावन से आए भक्तों की टोली ने बाबा के हल्दी के उत्सव के बाबा के समक्ष शिव-पार्वती प्रसंग को नृत्य की भंगिमाओं और भावों के माध्यम से जीवंत किया। नृत्य सेवा की शुरुआत उन्होंने अर्धांग से की और भावनृत्य किया। पारंपरिक कथक नृत्य के अंतर्गत गणेश परन और शिव परन की प्रस्तुति विशेष रही। समापन होली गीत पर नृत्य से किया। इससे पूर्व गवनहारियों की टोली ने बाबा की पंचबदन प्रतिमा के समक्ष मंगल गीत गाए। पारंपरिक शिवगीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान किया गया। साथ ही दूल्हन का ख्याल रखने की ताकीद भी की जा रही थी। हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए गीत गाकर महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति को चावल से चूमा।

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