पटना : सरकारी स्कूलों को तोड़ने के खिलाफ जिलाधिकारी के समक्ष आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 7 मार्च 2024

पटना : सरकारी स्कूलों को तोड़ने के खिलाफ जिलाधिकारी के समक्ष आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन

  • भूमाफिया के हवाले जमीन करने की गहरी साजिश: महबूब आलम
  • जिलाधिकारी से हुई सकारात्मक वार्ता, स्कूल नहीं टूटने का मिला आश्वासन

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पटना 7 मार्च, पटना सिटी में शिक्षा विभाग द्वारा ही तीन सरकारी स्कूलों के भवन को खाली कराकर उन्हें ध्वस्त करने और उन स्कूलों को दूसरे स्कूल के साथ टैग किए जाने के घोर शिक्षा विरोधी फैसले के खिलाफ आज भूखंड बचाओ संघर्ष समिति और भाकपा-माले के नेतृत्व में सैकड़ों की तादाद में स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी, पटना के समक्ष आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया. इसका नेतृत्व भाकपा-माले के विधायक दल के नेता का. महबूब आलम कर थे. आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन के बाद एक शिष्टमंडल जिलाधिकारी से मिला. शिष्टमंडल में माले विधायक दल नेता महबूब आलम, अभ्युदय , अनय मेहता, राखी मेहता, शंभूनाथ मेहता, महेश चंद्रवंशी, मुजफ्फर आलम, विनय कुमार आदि शामिल थे. जिलाधिकारी से सकारात्मक वार्ता के उपरांत प्रदर्शन समाप्त हुआ. जिलाधिकारी ने स्कूल नहीं टूटने का आश्वासन दिया.


महबूब आलम ने कहा कि पूरा मामला शिक्षा विभाग में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार को उजागर करता है. पटना सिटी के तीन विद्यालय - प्राथमिक विद्यालय, उदरहमानपुर, मध्य विद्यालय, चैघड़ा और मध्य विद्यालय कसबा करीमाबाद के भवन को शिक्षा विभाग ने ही न्यायालय के एक आदेश का हवाल देते हुए जमींदोज करने का आदेश दे दिया है. दरअसल इन तीन स्कूलों की जमीन स्थानीय भूमाफिया गिरोह के हवाले करने की यह गहरी साजिश है जिसमें शिक्षा विभाग के भी अधिकारी शामिल हैं. पहला विद्यालय छात्राओं का है, जबकि बाकि के दो विद्यालयों में अधिकांशतः दलित-अतिपिछड़े समुदाय के छात्र हैं. पहला विद्यालय नगर निगम की जमीन पर है बाकि दो गैरमजरूआ जमीन पर. 2008 में सभी स्कूलों के भवन भी बन चुके हैं. अब पता चल रहा है कि स्कूल जिस गैरमजरूआ भूमि प्लाॅट पर बना हुआ है, वह 1998 में ही बेच दिया गया. जबकि खतियान में गैरमजरुआ आम जमीन के नेचर में बदलाव सरकार भी नहीं कर सकती. तब यह जमीन निजी कैसे हो गई? स्कूल की जमीन भूमाफियाओं के सुपुर्द करने के खेल में सरकार, प्रशासन और भू-माफिया के बीच गहरी सांठगांठ हैं, अन्यथा सरकार और शिक्षा विभाग उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ डबल बेंच में गई होती और स्कूल बचाने व दोषियों पर कार्रवाई करने का काम करती.

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