गांव के ही मिथुन कालबेलिया बताते हैं कि पिछले 40 वर्षों से उनका परिवार मनोहरपुरा में रहता आ रहा है. पहले उन्हें जन वितरण प्रणाली से राशन मिल जाया करता था. जिससे उनके परिवार के सामने खाने की समस्या नहीं थी. लेकिन पिछले दो साल से उन्हें राशन नहीं दिया जा रहा है. ग्राम पंचायत से पता करने पर जानकारी मिली कि मेरे पूरे परिवार का आधार कार्ड पीडीएस से जुड़ा नहीं होने के कारण राशन बंद कर दिया गया है. तब से बच्चों का आधार कार्ड बनाने के लिए कार्यालय का चक्कर काट रहा हूं. लेकिन बच्चों का जन्म घर में होने के कारण उनका जन्म प्रमाण पत्र नहीं बन सका है, जिसकी वजह से उनके आधार कार्ड बनने में बहुत कठिनाई आ रही है. जब तक उनका आधार कार्ड नहीं बन जाता है मेरा फिर से राशन शुरू नहीं हो सकता है. वहीं सोना देवी और उनके परिवार के पास सभी आवश्यक दस्तावेज़ और राशन कार्ड होने के बावजूद भी जन वितरण प्रणाली का लाभ उठाने से वंचित है. सोना देवी बताती हैं कि 10 वर्ष पूर्व उनका परिवार रोज़गार की तलाश में बिहार से मनोहरपुरा आकर बस गया था. परिवार के पास सभी उचित दस्तावेज़ भी हैं. लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें राशन नहीं मिल रहा है. वह बताती हैं कि इसके लिए वह सरपंच और श्रम विभाग से लेकर कलेक्टर ऑफिस तक का चक्कर लगा चुकी हैं. लेकिन फिर भी उनके परिवार का आज तक राशन शुरू नहीं हो सका है.
सोना देवी कहती हैं कि लगातार चक्कर लगाने के बावजूद किसी भी कार्यालय से उन्हें कोई भी उचित जवाब नहीं मिल रहा है कि आखिर उन्हें राशन की सुविधा क्यों नहीं मिल रही है? वह बताती हैं कि इस योजना से अकेला उनका परिवार ही वंचित नहीं है बल्कि मनोहरपुरा गांव के कई अन्य परिवार भी हैं जिन्हें बिना उचित कारणों के राशन की सुविधा से वंचित रखा गया है. दरअसल यह परिवार पात्र होते हुए भी केवल सरकारी अड़चनों के कारण इस सुविधा से वंचित है और योजना का हिस्सा बनने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है. इनमें अधिकतर गरीब, अशिक्षित और रोज़गार की तलाश में प्रवास कर आया परिवार शामिल है. इन्हें राशन के लिए शहर के दुकानों पर निर्भर रहना पड़ता है. इससे सबसे अधिक महिलाओं को कठिनाइयां आती हैं. हालांकि गांव में कुछ परिवार ऐसा भी है जिन्हें जन वितरण प्रणाली के माध्यम से उचित दर पर राशन की सुविधा मिल रही है. इसके अलावा वन नेशन वन राशन जैसी योजना का लाभ भी कुछ प्रवासी परिवारों को हो रहा है. लेकिन सवाल उठता है कि जो गरीब और वंचित परिवार इस सुविधा से वंचित है उसकी चिंता कौन करेगा? यदि ऐसा परिवार आधार कार्ड या किसी अन्य सरकारी दस्तावेज़ के कारण राशन से वंचित है तो इस कमी को दूर करने की ज़िम्मेदारी किसकी है? सवाल यह भी उठता है कि क्या सरकारी विभाग ज़रूरतमंदों को सरकार द्वारा चलाई जा रही सुविधाओं से वंचित करने के लिए बनाई गई है या वंचितों को सुविधाओं से जोड़ने के लिए स्थापित की गई है? कौन जवाबदेह है इसके लिए?
शैतान रेगर
भीलवाड़ा, राजस्थान
(चरखा फीचर)
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