- महिलाओं-बच्चों से सम्बंधित नए कानूनों पर उन्मुखीकरण कार्यशाला संपन्न
सारी प्रक्रिया डिजिटलाइज़
कानून में दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल, मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है। एफ.आई.आर. से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान किया गया है। कार्यशाला में कार्यालय जिला लोक अभियोजन अधिकारी, अभियोजन अधिकारी, कार्यरत लोक अभियोजक एवं अपर लोक अभियोजक कुल 17 अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
स्नैचिंग के मामले में कठोर सजा
कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि नए कानून में विवाह, रोजगार, पदोन्नति, झूठी पहचान आदि के झूठे वादे के आधार पर यौन संबंध बनाना नया अपराध है। गैंगरेप के लिए 20 साल की कैद या आजीवन जेल की सजा होगी। अगर पीड़िता नाबालिग है तो आजीवन जेल/मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। स्नैचिंग के मामले में गंभीर चोट लगती है या स्थायी विकलांगता होती है तो ज्यादा कठोर सजा दी जाएगी। हर ज़िले और पुलिस थाने में एक ऐसा पुलिस अधिकारी नामित किया जाएगा जो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार को उसकी गिरफ्तारी के बारे में ऑनलाइन और व्यक्तिगत रूप से सूचना देगा।
बरी होने की संभावना कम
तीन दिवसीय कार्यशाला में बताया गया कि बच्चों को अपराध में शामिल करने पर कम से कम 7-10 साल की सजा होगी। सात वर्ष या इससे अधिक सज़ा वाले अपराधों के क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम की विज़िट को कंपल्सरी किया जा रहा है, इसके माध्यम से पुलिस के पास एक वैज्ञानिक साक्ष्य होगा जिसके बाद कोर्ट में दोषियों के बरी होने की संभावना बहुत कम हो जाएगी। पुलिस को 90 दिनों में शिकायत का स्टेटस और उसके बाद हर 15 दिनों में फरियादी को स्टेटस देना अनिवार्य होगा। पीड़ित को सुने बिना कोई भी सरकार 07 वर्ष या उससे अधिक के कारावास का केस वापस नहीं ले सकेगी, इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी। छोटे मामलों में समरी ट्रायल का दायरा भी बढ़ा दिया गया है, अब 3 साल तक की सज़ा वाले अपराध समरी ट्रायल में शामिल हो जाएंगे, इस अकेले प्रावधान से ही सेशन्स कोर्ट्स में 40 प्रतिशत से अधिक केस समाप्त हो जाएंगे।
30 दिनों के अंदर फैसला
कोर्ट अब आरोपित व्यक्ति को आरोप तय करने का नोटिस 60 दिनों में देने के लिए बाध्य होंगे, बहस पूरी होने के 30 दिनों के अंदर माननीय न्यायाधीश को फैसला देना होगा, इससे सालों तक निर्णय पेंडिंग नहीं रहेगा और फैसला 7 दिनों के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा. सेशन्स कोर्ट के जज द्वारा भगोड़ा घोषित किए गए व्यक्ति की अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और उसे सज़ा भी सुनाई जाएगी, चाहे वो दुनिया में कहीं भी छिपा हो, उसे सज़ा के खिलाफ अपील करने के लिए भारतीय कानून और अदालत की शरण में आना होगा।
सुनवाई की भी समय सीमा
अब कोई अभियुक्त आरोप मुक्त होने का निवेदन 60 दिनों के भीतर ही कर सकता है. पहले ये होता था कि एक केस में अगर 25 अभियुक्त हैं तो वो एक के बाद एक अपील दायर करते ही जाते थे और इस वजह से 10 साल तक मुक़दमा शुरू ही नहीं होता था। अब 60 दिनों के अंदर ही न्यायाधीश को इस पर सुनवाई भी करनी है। प्ली बारगेनिंग के लिए नए कानून में 30 दिनों का समय दिया गया है. ट्रायल के दौरान कोई दस्तावेज़ पेश करने का प्रावधान नहीं था, लेकिन अब 30 दिनों के भीतर सभी दस्तावेज़ पेश करना अनिवार्य होगा. इसमें कोई देरी नहीं की जाएगी। नस्ल, जाति, समुदाय आदि के आधार पर हत्या से संबंधित अपराध के लिए नए प्रावधान के तहत लिंचिंग के लिए न्यूनतम सात साल की कैद या आजीवन जेल या मृत्युदंड की सजा होगी। कार्यशाला में कानूनी रूप से महिलाओं को प्राप्त अधिकारों की जानकारी देते हुए हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के अधिकारों के बारे में भी बताया गया।
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