पटना। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है। हरेक दिन दिग्गज नेताओं के द्वारा एक दूसरे पर वार की धार और तेज होती जा रही है। रोज नए नारे गढ़े जा रहे हैं और नारों का जवाब नए नारे के साथ दिया जा रहा है। हर जनसभा में इन्हीं नारों का शोर है। मालूम हो कि बीजेपी ने 2014 में चायवाला, 2019 में चौकीदार और 2024 परिवार को मुद्धा बनाया था। बता दें कि साल 2014 में दिल्ली में कांग्रेस का सम्मेलन था, जिसमें उसके एक वरिष्ठ नेता ने ऐसी ही एक चूक की थी, जिसे भाजपा ने अपने सबसे बड़े हथियार में बदल दिया था. मणिशंकर अय्यर ने कहा था, ‘ मैं आपसे वादा करता हूं कि 21वीं सदी में नरेंद्र मोदी इस देश का प्रधानमंत्री कभी नहीं बन पाएंगे. लेकिन अगर वो यहां आकर चाय बेचना चाहते हैं, तो हम उन्हें इसके लिए जगह दिला सकते हैं.‘ दरअसल, इससे पहले कई बार नरेंद्र मोदी और भाजपा ये कहती आई थी कि वो बचपन में चाय बेचा करते थे. अय्यर का ताना इसी पर था लेकिन उल्टा पड़ा. इसी तरह 2019 में मध्य प्रदेश के सीधी में हुई रैली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनावी सभाओं में लगाए जा रहे नारे ‘चैकीदार चोर है’ का जवाब मोदी ने अपने ही अंदाज में दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में नए तरीके से चौकीदार वाला नारा लगवाया।सीधी की चुनावी सभा के अंत में मोदी ने कहा, ‘गांव-गांव है’, जनता ने आवाज दी ‘चैकीदार है‘ फिर मोदी ने कहा, ‘शहर-शहर है‘ तो जनता ने आवाज लगाई ‘ चौकीदार है।‘ इसी प्रकार प्रधानमंत्री मोदी कहते गए, ‘बच्चा-बच्चा है, डॉक्टर- इंजीनियर है, शिक्षक है, माताएं-बहनें हैं। सीमा पर भी हैं। खेत-खलिहान में है। लेखक-पत्रकार हैं। वकील-व्यापारी हैं। छात्र-छात्राएं हैं। पूरा हिंदुस्तान है। मोदी के पहली लाइन कहने के बाद इन सभी के अंत में जनता ने आवाज लगाई ‘ चौकीदार है।‘
ऐतिहासिक गांधी मैदान में 2024 में महागठबंधन द्वारा आयोजित जन विश्वास महारैली में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि अगर प्रधानमंत्री मोदी का कोई परिवार नहीं तो इसमें वो क्या कर सकते हैं? इस पर मोदी ने कहा कि बचपन में जब मैंने घर छोड़ा था, तो एक सपना लेकर निकला था कि देशवासियों के लिए जीऊंगा। उन्होंने कहा, ‘इस देश के 140 करोड़ लोग मेरा परिवार हैं... मेरा भारत मेरा परिवार।‘इस ओर बीजेपी के राज्याध्यक्ष सम्राट चैधरी ने कहा कि बिहार के 14 करोड़ लोग मोदी के परिवार है। अब राजद के कार्यकर्ताओं ने बैनर टांग कर कहा है कि हमलोग मोदी के परिवार के लोग नहीं है। विपक्ष का वक्तव्य और सत्ताधारी का मुद्धा बनना सार्वजनिक विवेचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब विपक्ष सत्ताधारी के प्रति अपने विचार व्यक्त करता है, तो यह समाज को विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का अवसर प्रदान करता है। विपक्ष का वक्तव्य विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किया जा सकता है, जैसे कि संसदीय भाषण, मीडिया कॉन्फ्रेंस, या सामाजिक मीडिया के माध्यम से। इसमें विपक्ष अपने पक्ष की राय और समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करके सत्ताधारी से अलग दृष्टिकोण प्रदान करता है। सत्ताधारी का मुद्दा बनाना इस विवेचना का दूसरा पहलू है। सत्ताधारी को विपक्ष के विचारों को सुनना और उनका उचित रूप से जवाब देना आवश्यक है। सत्ताधारी को चाहिए कि वह विपक्ष की बातचीत को सुने और उस पर विचार करें, ताकि सामाजिक समृद्धि और संवाद की भावना बनी रहे।इस प्रकार की विवेचना से समाज में विचार विनिमय होता है और नीतियों में सुधार होता है। सार्वजनिक चर्चा के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकलता है, जिससे राष्ट्र का विकास हो सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें