वाराणसी : काशी में उतरा देवलोक, गूंजा हरहर महादेव, गौरा संग ब्याहे गए भूतनाथ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 8 मार्च 2024

वाराणसी : काशी में उतरा देवलोक, गूंजा हरहर महादेव, गौरा संग ब्याहे गए भूतनाथ

  • पिछला रिकार्ड टूटा, सायंकाल 5 बजे ही साढ़े 7 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे, शयन आरती तक यह संख्या दस लाख पार कर गयी 
  • साधु संन्यासी और भूत- पिशाच बनकर नाचे बच्चे, भूत-पिशाच के साथ बारात लेकर निकले भोलेनाथ, मंदिरों में गूंजते रहे शंख-घंट व घड़ियाल

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वाराणसी (सुरेश गांधी) महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी शिवमय रहा. भूत-पिशाच के साथ भगवान शिव की बारात निकली. शिव व मां पार्वती की झांकी ने सबका मन मोह लिया. सुबह से देर शाम तक मंदिरों में शंख व घंट बजते रहे. भक्तों ने भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि बाबा को अर्पित कर कल्याण की कामना की। भगवान शिव की पूजा करने के लिए शुक्रवार अहले सुबह ही शिव मंदिरों के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे. नगर में स्मार्ट सिटी द्वारा जगह-जगह लगाए गए एलईडी स्क्रीनों पर बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में चल रहे उत्सवों, आयोजनों, आरती-भोगों व दर्शन-पूजन, अभिषेक का सीधा प्रसारण किया जा रहा था। पिछला रिकार्ड सायंकाल 5 बजे ही टूट चुका था, इस वक्त तक काशी विश्वनाथ धाम में साढ़े 7 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे। खास बात यह है कि सुबह 4 बजे से लेकर 11 बजे तक पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके थे। इस दौरान दर्शनार्थियों पर फूल भी बरसाए गए। रात 8 बजे तक 8 लाख 11 हजार 396 श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे। और शयन आरती होने तक यह संख्या दस लाख पार कर गयी। आदिदेव महादेव का निवास स्थल श्रीकाशी विश्वनाथ धाम को विविध रंग के पुष्पों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है। महाशिवरात्रि पर पुरुष से लेकर महिला और बहुत से बच्चों तक ने उपवास रखा।


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मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखीं गयीं. महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की अलग-अलग कतार लगी थी. अपनी बारी आने पर मंदिर में शिव भक्तों ने जलाभिषेक किया. महिलाओं में ज्यादा उत्साह देखा गया. स्नान-ध्यान पूजा-अर्चना से लेकर भोग-आरती भंग की तरंग व विविध धार्मिक-सांस्कृतिक अनुष्ठानों संग लोकाचारों व परंपराओं की छटा देखते ही बन रही थी। पूजा के बाद मंदिरों में महाभंडारा का भी आयोजन हुआ. सुरक्षा-व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे. जगह-जगह पुलिस के जवान गश्ती करते देखे गए. ग्रामीण अंचलों में भी महाशिवरात्रि की धूम रही। शिवालयों में भारी भीड़ उमड़ी। कतारबद्ध होकर श्रद्धालुओं ने बाबा की पूजा-अर्चना की. शिवलिंग पर जलार्पण किया. बाबा विश्वनाथ धाम का दृश्य देखते ही बन रहा था. सबसे पहले भोर में 2ः15 बजे ही मंगला आरती की गयी। 3.30 बजे से मंदिर के पट श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए खोल दिए गए। मध्याह्न भोग आरती दोपहर 12 बजे से 12.30 बजे तक की गयी। इसके बाद विशेष रात में चार प्रहर की आरती की गयी। प्रथम प्रहर की आरती रात्रि 10.50 से शुरू होकर रात 12.30 बजे तक चली। द्वितीय प्रहर की आरती मध्य रात्रि 1.20 बजे शुरू होकर 2.30 बजे तक चली। तृतीय प्रहर की आरती भोर में 2.55 से 4.25 बजे तक हुई। चतुर्थ प्रहर की आरती भोर में 4.55 से शुरू होकर और 6.15 बजे समाप्त हुई।


बता दें, मंदिर के पट शुक्रवार की भोर में खुला है अब यह फिर शनिवार की रात में शयन आरती के बाद ही बंद होंगे। बीच-बीच में श्रद्धालु बाबा का झांकी दर्शन करते रहेंगे। भोर से ही हर-हर महादेव की गूंज सुनाई देने लगी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र में गुरुवार की आधी रात के बाद से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ना शुरू हो गया। बाबा के दर्शन पाने के लिए श्रद्धालुओं ने सभी पांचों प्रवेश द्वारों पर लंबी-लंबी कतारें लगी रही। पूरा क्षेत्र हर-हर महादेव के उद्घोष से गूजता रहा। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम तक बाबा के दर्शन-पूजन को पहुंचने में वृद्ध, अशक्त एवं दिव्यांग श्रद्धालुओं को कोई समस्या न हो, इसके लिए भी मंदिर प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की थी। ऐसे श्रद्धालुओं को ई-रिक्शा व व्हील चेयर के माध्यम से बाबा दरबार तक ले जाया रहा था। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड से लेकर लगभग प्रत्येक तिराहे-चौराहे पर इन एलईडी स्क्रीन से श्रद्धालु बाबा के गर्भगृह का दर्शन पा रहे थे। इसके अतिरिक्त मंदिर प्रशासन ने मंदिर में पीए प्रणाली, खोया पाया केंद्र की स्थापना, धाम में विभिन्न स्थानों पर दर्शनार्थियों हेतु पेय जल की व्यवस्था की गई थी।

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