पटना : दिल्ली में नमाजियों के प्रति अपमान और हिंसा के खिलाफ पटना में प्रतिवाद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 11 मार्च 2024

पटना : दिल्ली में नमाजियों के प्रति अपमान और हिंसा के खिलाफ पटना में प्रतिवाद

  • नमाजी नागरिकों पर नहीं हिदुस्तान के संविधान पर लात मारा गया है : दीपंकर भट्टाचार्य

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पटना 11 मार्च, दिल्ली में नमाजियों के प्रति अपमान और हिंसा के खिलाफ भाकपा-माले के दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद के तहत आज पटना में भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने नफरत व पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगाओ, नफरत की राजनीति नहीं चलेगी आदि नारे लगाते हुए प्रतिवाद मार्च निकाला. प्रतिवाद मार्च में माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, विधायक दल के नेता महबूब आलम, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान सहित बड़ी संख्या में पार्टी नेता-कार्यकर्ता शामिल थे. मार्च जीपीओ गोलबंर से शुरू हुआ और बुद्ध स्मृति पार्क पर एक प्रतिवाद सभा आयोजित की गई.


माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि दिल्ली में नमाज पढ़ रहे युवकों पर जो पुलिसिया लात चली है, दरअसल वह बाबा साहेब डाॅ. भीमराव अंबेडकर के बनाए गए संविधान पर हमला है. 2024 चुनाव के ठीक पहले इस तरह का सांप्रदायिक माहौल बनाकर भाजपा वोटों का धु्रवीकरण करना चाह रही है. देश की जनता इसका मुक्कमल जवाब देगी. उन्होंने आगे कहा कि नमाजियों को लात से मारना भाजपा की नफरती राजनीति एवं उसके प्रचार-प्रसार का परिणाम है. संविधान में भाईचारे व धर्म की आजादी की बात कही गई है, लेकिन आज उसी संविधान को खत्म करने की साजिश चल रही है. भाजपा सांसद अनंत हेगड़े ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए हाल ही में कहा कि 400 पार का जो नारा है, वह इसलिए जरूरी है कि मोदी जी को संविधान बदलना है. भाजपा खुलेआम अब संविधान बदलने की बात कह रही है. संविधान बचाने की लड़ाई हम मजबूती से लड़ते रहेंगे. उसी दिल्ली या बिहार में कितने मंदिर सड़क पर बने हुए हैं, कितनी शोभायात्राएं चलती हैं, रामनवमी का जुलूस चलता है, बंगाल में महीनों तक पूजा चलता है. इसलिए दिल्ली में हुई घटना में सड़क पर नमाज पढ़ने का दिया जा रहा तर्क केवल और केवल दोषियों को बचाने के लिए है. इसलिए हमारी मांग है कि सभी दोषी पुलिस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.


आज उसी दिल्ली में सड़क पर आंदोलन करने का कोई अधिकार नहीं है. सड़क पर कील ठोक दिए जाते हैं. केवल धर्म का सवाल नहीं है बल्कि आंदोलनरत तमाम लोगों से सड़कें छीन लिए जा रहे हैं. संविधान नहीं रहेगा तो लोकतंत्र नहीं रहेगा, यदि लोकतंत्र नहीं रहेगा तो देश नहीं रहेगा. भाईचारे की हिफाजत हमें आंदोलन के जरिए ही करनी होगी. का. महबूब आलम ने कहा कि राजधानी दिल्ली के इंद्रलोक में जुम्मे की नमाज पढ़ रहे मुस्लिमों को पुलिस ने सरेआम अपमानित किया, नमाज में झुके लोगों को लात मारी, धक्के दिए और पिटाई की. देश में मुस्लिमों के खिलाफ भाजपा लगातार साम्प्रदायिक घृणा व हिंसा फैला रही है. उसने सुरक्षा बलों के साम्प्रदायिकीकरण का भी अभियान चला रखा है. इसे हम कत्तई बर्दाश्त नहीं करेंगे. शकील अहमद ने कहा कि इस प्रतिकार को संघर्ष में बदलना है. भाजपा की धारा इस मुल्म व आइन के खिलाफ है. उसने विचार की जो गंदगी फैलाई है, उसके खिलाफ सबको जागृत करना हम सबका दायित्व बनता है. जुल्म व ज्यादती के खिलाफ जितनी भी आवाज बुलंद हो सके, उसे हम बुलंद करना चाहिए. वे तमाम लोग अंधकार में चले जाएंगे जिन्होंने यह जुल्म फैलाया है. मार्च में उक्त नेताओं के अलावा मीना तिवारी, केडी यादव, संदीप सौरभ, गोपाल रविदास,वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, अमरजीत कुशवाहा, अजीत कुमार सिंह, रामबली सिंह यादव, महानंद सिंह, अरूण सिंह, शशि यादव, मंजू प्रकाश, सरौज चैबे, अनीता सिन्हा, धीरेन्द्र झा, कमलेश शर्मा आदि शामिल थे.

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