सीबीआई, अपने संस्थापक निदेशक को अपना सम्मान एवं श्रद्धांजलि अर्पित करती है तथा वर्ष 2000 से ‘डी. पी. कोहली स्मृति व्याख्यान’ का आयोजन कर रही है। स्वर्गीय श्री धर्मनाथ प्रसाद कोहली का जन्म 1907 में उत्तर प्रदेश (UP), भारत में हुआ था। वर्ष 1931 में पुलिस सेवा से जुड़ने के पश्चात, उन्होंने उत्तर प्रदेश, तत्कालीन मध्य भारत एवं भारत सरकार में सेवा दी । उन्होंने सार्वजनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार के बढ़ते शिकंजे को रोकने व नियंत्रित करने हेतु 1955 में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) का नेतृत्व किया। 1 अप्रैल, 1963 को केंद्रीय जांच ब्यूरो की स्थापना पर, वह इसके संस्थापक निदेशक बने एवं 1963 से 1968 तक इसके निदेशक बने रहे। व्याख्यान श्रृंखला में विभिन्न क्षेत्रों के बहुप्रतिष्ठित वक्ताओं एवं विद्वतजनों ने पूर्व में व्याख्यान दिए हैं, जिन्होंने प्रासंगिक विषयों पर अपने ज्ञान एवं अनुभव साझा किए। इन व्याख्यानों का उद्देश्य संवाद को बढ़ावा देना, ज्ञान साझा करना व कानून प्रवर्तन, आपराधिक न्याय प्रणाली एवं आपराधिक जांच के क्षेत्र में चुनौतियों तथा समाधानों की समझ को आगे बढ़ाना है। डी. पी. कोहली स्मृति व्याख्यान, सीबीआई को एक प्रमुख जांच व अभियोजन एजेंसी के रूप में स्थापित करने में श्री डी. पी. कोहली के विज़न एवं विरासत को श्रद्धांजलि देने के रूप में कार्य करता है और अपनी कार्यवाही में ईमानदारी, उत्तरदायित्व व उत्कृष्टता को बनाए रखने हेतु एजेंसी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
नई दिल्ली, सीबीआई, 1 अप्रैल, 2024 को ‘सीबीआई स्थापना दिवस’ के अवसर पर ‘20वें डी. पी. कोहली स्मृति व्याख्यान’ का आयोजन कर रही है। भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश, डॉ. न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, भारत मंडपम, नई दिल्ली में डी. पी. कोहली स्मृति व्याख्यान देंगे। इस वर्ष व्याख्यान का विषय "बेहतर आपराधिक न्याय हेतु तकनीकी अंगीकरण (Adopting Technology to Advance Criminal Justice)” है। माननीय मुख्य न्यायाधीश, इस अवसर पर सीबीआई अधिकारियों को विशिष्ट सेवा हेतु राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएम) एवं सराहनीय सेवा हेतु पुलिस पदक (पीएम) भी प्रदान करेंगे। केंद्रीय जांच ब्यूरो की स्थापना भारत सरकार के, दिनांक 1 अप्रैल, 1963 के प्रस्ताव द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य न केवल घूसखोरी एवं भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना था, बल्कि सहायक खुफिया जानकारी एकत्र करने के अलावा केंद्रीय वित्तीय कानूनों के उल्लंघन व गंभीर अपराधों की भी जांच करना था। पिछले छः दशकों से अधिक समय में, केंद्रीय जांच ब्यूरो, देश की एक प्रमुख जांच एवं अभियोजन एजेंसी के रूप में उभरी है। भारत में इंटरपोल हेतु राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में सीबीआई, कानून प्रवर्तन के मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का समन्वय भी करती है।
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