- इस होली पर कीजिए, यही एक अनुबंध
निर्भया सम्मान से विभूषित प्रतिभा जी ने पढ़ा:
‘‘संबंधों के बाग में, बिखरे नेह सुगंध।
इस होली पर कीजिए, यही एक अनुबंध।।’’
कवयित्री ज्योति ने सुनाया:
‘‘राधा श्याम खेले होली,गोप गोपियों की टोली।
हरा लाल पीला रंग,भरी पिचकारी है।।’’
अनिता श्री ने कहा :
‘‘धरती अंबर होली खेले, कितना मधुर प्रसंग।’’
रजनी जी ने पढ़ा :
‘‘तुम्हारे संग होली में, जीयेंगे भंग होली में’’
साधना जी ने पढ़ा :
‘‘रे बासंती दुल्हन तुझसे फाग करें मनुहार’’
इस अवसर पर संस्था की अध्यक्ष प्रमिला मीता ने बताया कि प्रत्येक माह एक महिला साहित्यकार को निर्भया साहित्य सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
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