वाराणसी : कांग्रेस से नाता तोड़ भाजपा के हुए पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 5 मार्च 2024

वाराणसी : कांग्रेस से नाता तोड़ भाजपा के हुए पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा

  • कांग्रेस को लगा एक और झटका, पूर्वांचल में ब्राह्मणों चेहरों में है बड़ा नेता 
  • सपा और कांग्रेस के गठबंधन होने के बाद से ही डा राजेश मिश्रा के तेवर तल्ख दिख रहे थे 

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वाराणसी (सुरेश गांधी) कांग्रेस के पूर्व सांसद रहे राजेश मिश्रा ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वाराणसी से सांसद रहे राजेश मिश्रा के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। राजेश मिश्रा पूर्वांचल के ब्राह्मण नेताओं में बड़ा चेहरा है। डा. राजेश मिश्रा द्वारा भाजपा का दामन थामे जाने के बाद वाराणसी में भाजपा कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है। डा. राजेश मिश्रा को भाजपा केन्द्रीय कार्यालय में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह व पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद की उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई गयी है। लेकिन बड़ा सवाल तो यह है कि क्या ब्राह्मण कांग्रेस से किनारा किनारा कर रहे है?


खैर, अब जबकि राजेश मिश्रा ने भाजपा का दामन थाम लिया है तो सवाल उठता है कि इसका वाराणसी और पूर्वांचल के चुनाव में क्या फर्क पड़ेगा. बता दें कि राजेश मिश्रा बीएचयू के सीनियर छात्र नेता रहे हैं. केंद्रीय मंत्री डा महेंद्रनाथ पांडेय, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ डा राजेश मिश्रा ने बीएचयू की छात्र राजनीति से सियासी ककहरा पढ़ा है. ऐसे में राजेश मिश्रा की स्वीकारता युवाओं मे भी है. पूर्वांचल का बड़ा ब्राह्मण चेहरा है. डा. राजेश मिश्रा के अचानक कांग्रेस छोड़कर चले जाने से कांग्रेसी खेमे में बेचैनी बढ़ गयी है। बीएचयू की छात्र राजनीति से सियासी जीवन क शुरुआत करने वाले डा राजेश मिश्रा एमएलसी भी रहे. यूपी में सपा और कांग्रेस के गठबंधन होने के बाद से ही डा राजेश मिश्रा के तेवर तल्ख दिख रहे थे. राजेश मिश्रा भदोही से टिकट चाह रहे थे लेकिन ये सीट इंडिया गठबंधन में सपा के खाते में चली गई. इसके बाद राजेश मिश्रा ने सीट बंटवारे के फार्मूले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि जो 17 सीटें कांग्रेस के हिस्से में आई हैं. वहां अमेठी रायबरेली जैसी कुछ सीटों को छोड़कर पार्टी के पास उम्मीदवार ही नहीं है. उन्होंने वाराणसी से चुनाव लड़ने से इंकार करते हुए यहां तक कहा था कि खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी वाराणसी से लड़ने के इच्छुक नहीं है. अजय राय भी बलिया से टिकट चाहते हैं और ये सीट भी सपा के खाते में चली गई है.


बता दें, कांग्रेस वाराणसी संसदीय सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने मजबूत प्रत्याशी उतारने की तैयारी में थी। ऐसे में राजेश मिश्रा के अचानक भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस पार्टी की रणनीति को जबर्दस्त झटका लगा है। कांग्रेस को अब नये सिरे से चुनावी बिसात बिछानी पड़ेगी। कहा जा रहा है पाला बदलने से पहले डा. राजेश मिश्रा मोदी के सामने बलि का बकरा बनने से बच गये। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है दूसरे दलों के नेता मोदी के नेतृत्व में काम करने के लिए भाजपा में शामिल हो रहे हैं। डा राजेश मिश्रा की पहली नाराजगी कुछ महीने पहले उस वक्त भी सामने आई थी जब अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. तब राजेश मिश्रा ने भूमिहारों की संख्या पूछते हुए कहा था कि बिहार, झारखंड के बाद यूपी में भी भूमिहार जाति से प्रदेश अध्यक्ष देने के पीछे कांग्रेस की सोच क्या है क्योंकि प्रदेश में एक फीसदी आबादी भी भूमिहारों की नहीं है, ऐसे में तीन प्रदेश की कमान देने का क्या औचित्य.


कई सीटों पर ब्राह्मण वोटों की अहमियत

2019 के लोकसभा चुनाव मे पार्टी ने उन्हें देवरिया से चुनावी मैदान में उतारा है. अगर देखा जाए तो वाराणसी में पूर्व मुख्यमंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी, डा राजेश मिश्रा और मौजूदा वक्त में यूपी सरकार में आयुष मंत्री डा दयाशंकर मिश्र दयालु कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे थे लेकिन दोनो ही अब भाजपा में है. जबकि कमलापति त्रिपाठी की सियासी विरासत संभाल रहे उनके पोते ललितेशपति त्रिपाठी ने तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर ली है. ललितेशपति त्रिपाठी के मिर्जापुर और भदोही से चुनाव लड़ने की चर्चा है. वाराणसी समेत आसपास की कई सीटों पर ब्राह्मण वोटों की अहमियत काफी है तो सवाल उठता है कि क्या किसी जमाने मे कांग्रेस का वोट माना जाने वाला ब्राह्मण अब पार्टी से किनारा कर चुका है.


कांग्रेस पर तंज, पीएम की तारीफ

बीजेपी में शामिल होने के बाद राजेश मिश्रा ने कहा कि काशी के लिये गौरव की बात है कि पीएम नरेंद्र मोदी सांसद हैं। महाशिवरात्रि पर काशी बम-बम बोल रहा है। लोकसभा चुनाव में भी बम-बम बोलता रहेगा काशी। प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करने के बाद विपक्ष पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरी कोशिश होगी कि इस बार बनारस लोकसभा सीट पर विपक्ष के दल का जो प्रत्याशी होगा, उसको पोंलिग एजेंट नहीं मिलेगा। बीजेपी में सदस्यता ग्रहण करना मेरा लिए सार्थक होगा। ये सौभाग्य की बात है की नरेंद्र मोदी वाराणसी के सांसद हैं। राजेश मिश्रा ने कांग्रेस और सपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से कांग्रेस का सफाया हो गया है। उन्होंने इंडिया गठबंधन पर सवालिया निशान उठाए और कहा कि कांग्रेस के पास कार्यकर्ता तक नहीं बचे हैं। इस समय कांग्रेस का हालत बहुत दयनीय है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से भी कोई लाभ नहीं होने वाला है।


कांग्रेस के पास उम्मीदवार नहीं

इंडिया अलायंस पर राजेश मिश्रा ने कहा कि यूपी में कांग्रेस ने सपा के सामने सरेंडर कर दिया। गठबंधन में कांग्रेस को जो सीट मिली है, वहां पार्टी के पास उम्मीदवार ही नहीं हैं। कई वरिष्ठ नेता पार्टी से नाराज हैं, जो अब ज्यादा दिनों के मेहमान नहीं हैं।


राजनीतिक सफर

वाराणसी की सियासत में राजेश मिश्र को काफी मृदुभाषी राजनेता माना जाता है। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से छात्र राजनीति के रास्ते सियासत का ककहरा पढ़ा। 80 के दशक में वह बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। साल 1996 से 2004 तक दो कार्यकाल के लिए वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। साल 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल के खिलाफ कांग्रेस ने उन्हें वाराणसी से अपना उम्मीदवार बनाया। हालांकि इस चुनाव में वह हार गए। 2004 में राजेश मिश्र ने जायसवाल से अपनी हार का बदला ले लिया। लोकसभा चुनाव में उन्होंने एसपी जायसवाल को शिकस्त दी। हालांकि साल-2009 में लगातार तीसरी बार कांग्रेस ने राजेश मिश्र पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया। इस चुनाव में बीजेपी से डॉ. मुरली मनोहर जोशी और बीएसपी से मुख्तार अंसारी मैदान में थे। बीजेपी से बगावत करने के बाद अजय राय एसपी के टिकट पर चुनाव में उतरे। माना जाता है कि इस चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण की वजह से राजेश मिश्र खिसककर चौथे नंबर पर चले गए। जोशी विजयी हुये थे। साल 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में नीलकंठ तिवारी को बीजेपी ने मैदान में उतारा और कांग्रेस ने राजेश मिश्र को उनके खिलाफ मौका दिया। नीलकंठ तिवारी ने राजेश मिश्र को मात दे दी। साल 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस ने राजेश मिश्र को उन्हें गृहक्षेत्र देवरिया जिले की सलमेपुर सीट से उतारा। लेकिन, महज 27 हजार 288 वोटों के साथ उनकी जमानत जब्त हो गई।

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