- तीन दिवसीय मानसिक आरोग्य निशुल्क शिविर का समापन तीन दिन में छह सौ से अधिक लोगों को सलाह और उपचार दिया
सीहोर। मन और दिमाग को शांत रखने के लिए विचारों को बदलना होगा। यह एक कोशिश करें कि आप गलत ख्यालों को अवाइड करें और सिफ अच्छी बातों का ध्यान करे। आपके मन को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप योगा और ध्यान करें, यह दिमाग और मन दोनों को शांत करता है। रोजना के रुटीन में कुछ देर के लिए मेडिटेशन को शामिल कर सकते है। हर रोज कुछ समय के लिए व्यायम भी करें। उक्त विचार मानसिक आरोग्य केन्द्र के तत्वाधान में शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम में जारी मानसिक आरोग्य केन्द्र में तीन दिवसीय निशुल्क स्वास्थ्य शिविर के दौरान मुख्य अतिथि नागपुर के प्रसिद्ध प्रदीप पाटील ने कहे। इस मौके पर तीन दिवसीय शिविर में यहां पर आने वाले करीब छह सौ से अधिक लोगों को सलाह के साथ उपचार किया गया। शिविर के दौरान श्रद्धा भक्ति सेवा समिति की ओर से श्रीमती निशा सिंह, केन्द्र के संचालक राहुल सिंह, जिला संस्कार मंच की ओर से जितेन्द्र तिवारी और मनोज दीक्षित मामा आदि ने डॉ. पाटील का सम्मान किया। इस मौके पर डॉ. पाटील ने कहा कि भले ही आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को सीधे तौर पर मानसिक बीमारी का अनुभव नहीं हुआ हो, फिर भी इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हों जिसने मानसिक बीमारी का अनुभव किया हो। अनुमान है कि चार में से कम से कम एक व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानसिक बीमारी से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि किसी दृश्य पर ध्यान केंद्रित करने से आपका दिमाग शांत होता है। ये तकनीक आपको थोड़ी मेडिटेशन के समान लग सकती है, लेकिन इसमें एक फर्क है। किसी भी शब्द या विचार को सोचने के बजाए केवल शांति या ख़ुशी देने वाले दृश्य पर ध्यान दें। जैसे आप सुबह उठे और कई साल से आप जिस दोस्त से मिले नहीं हैं उसे देखकर आप ख़ुशी से झूम उठे। कुछ इसी तरह के सकरात्मक दृश्यों के बारें में दस मिनट तक सोचें। इस तरह आपका मन व दिमाग शांत होगा और रिलैक्स महसूस करेगा। मन को शांत रखने का अचूक मंत्र गहरी सांस लेना है। जब हम अपने श्वास पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तब हमारे दिमाग में अच्छे रसायन स्रावित होते हैं, जो मन को कंट्रोल करने तथा मन को खुश रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मन शांत रखने के लिए नियमित रूप से पांच बार गहरी सांस लेना और कुछ देर बाद सांस को छोडऩा चाहिए। गहरी सांस लेते समय फेफड़े और डायफ्राम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इससे मन और मस्तिष्क में भावनात्मक विचार नहीं आते हैं, और तुरंत शांति, राहत और एक अलग तरीके का सुकून मिलता है।
सकारत्मक विचार रखते है तो आप सकारत्मक बनेगे
जब आप नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों से बदल देंगे तो आपको अच्छे नतीजे मिलना शुरू हो जायेंगे। एक पुराना कहावत है जैसा आप सोचेंगे वैसा आप बन जायेंगे, इसका मतलब अगर आप सकारत्मक विचार रखते है तो आप सकारत्मक बनेगे लेकिन अगर आप नकारात्मक विचार रखेंगे तो वैसा ही बन जायेंगे। सकारात्मक विचार भर से ही आपको अद्भुत बदलाव देखने को मिलेगा। अगर आप रोजामर्रा के जीवन मे सिर्फ अपने व लोगो के विचारो के प्रति सकारात्मक रहते है तो, जीवन मे अकल्पनीय बदलाव देखने को मिलेगा।
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