- सामाजिक और राजनीतिक कारणों से होती है अलग राज्यों की मांग, झारखंड और बिहार के अलग होने से किसी का फायदा नहीं हुआ
प्रशांत किशोर ने पत्रकारों की स्वतंत्रता पर कहा कि देश में जब कोई व्यक्ति या एक दल जब ज्यादा ताकतवर हो जाएगा, चाहे वो मीडिया हो, इलेक्शन कमीशन हो या लोकतंत्र हो उस पर दबाव रहेगा ही रहेगा। देश ने ये दौर इंदिरा गांधी के जमाने में भी देखा है। देश ने ये दौर राजीव जी के जमाने में भी देखा है और अब मोदी जी के जमाने में भी देख रहे हैं। अगर, आप कांग्रेस के समर्थक हैं या मोदी विरोधी हैं तो आप कहेंगे ईडी-सीबीआई के छापे और प्रेस की स्वतंत्रता खराब है, ऐसा पहले नहीं होता था। अगर, आप भाजपा के समर्थक से पूछिएगा तो वो कहेंगे कि इंदिरा गांधी के समय इससे भी खराब स्थिति थी। सच्चाई ये है कि जब भी देश में कोई एक दल इतना मजबूत हो जाए तो इस तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। लेकिन, मेरा अपना मानना है कि देश में जनता इतनी समझदार है और ऐसा देश में नहीं है कि कोई भी नेता और विचारधारा आके उन्हें अपने साथ कर ले और लोग दंडवत कर लें। ऊपर के लोग दंडवत कर सकते हैं, सामान्य लोग दंडवत नहीं कर सकते।
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