वाराणसी : दूल्हा बन निकले औघड़दानी, भूत-प्रेत बन नाचे बराती, दर्शन के लिए उमड़े भक्त - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 8 मार्च 2024

वाराणसी : दूल्हा बन निकले औघड़दानी, भूत-प्रेत बन नाचे बराती, दर्शन के लिए उमड़े भक्त

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वाराणसी (सुरेश गांधी) देवाधिदेव महादेव के विवाहोत्सव पर्व महाशिवरात्रि पर शिव बारात में सांस्कृतिक परंपरा जीवंत हुई। भोले बाबा की बारात में भूत-प्रेत के वेश में निकले बारातियों की झलक पाने के लिए लोग छतों-बारजों पर खडे़ रहे। रोडलाइट के साथ बैंडबाजे से इस बारात शोभायात्रा के महोत्सव को यादगार बनाया गया। शिव बारात बैंडबाजा, रोड लाइट और शाही ठाट बाट के साथ लोग निकले तो रास्ता जाम हो गया। शिव बारात में देवी-देवताओं संग भूत-प्रेत बाराती बनकर निकले। डीजे पर तरह-तरह के वेश में सजे बारातियों का सड़कों पर नृत्य देखते बन रहा था। सुबह दस बजे के बाद बारात निकालने का सिलसिला शुरु हो गया था। सारे काशीवासी कभी बराती तो कभी मां गौरा के स्वजन घराती रूप में नजर आएं। मैदागिन से बाबा विश्वनाथ की भव्य-दिव्य एवं अनोखी बरात निकली। जिसमें देवी-देवता, साधु-संत, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, भूत-पिशाच, सर्प, बिच्छू आदि सभी शामिल रहे। विविध झांकियों से सजी बारात में काशी वासी बाराती रहे। डेढ़सी पुल पर बरात का पारंपरिक तरीके से भंग व ठंडई से स्वागत किया गया। महंत निवास टेढ़ीनीम में द्वारचार के बाद बरातियों का स्वागत किया गया। इसके बाद विधि-विधान से बाबा विश्वनाथ की मां गौरा संग विवाह के संस्कार पूरे किए गएं। काशीवासी इसमें घराती की भूमिका में दिखे। यह सब विधि-विधान परंपराएं बाबा के पंचबदन चल रजत प्रतिमा से संपन्न कराई गयी। पूरे रास्ते हर हर हर महादेव का उद्घोष होता रहता है. शिव बारात में ऊंच-नीच, भेद-भाव मिटाकर सभी एक समान सिर्फ शिव भक्त हो जाते हैं.


विदेशी पर्यटक भी भूतों के संग नाचे झूम के

देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी अपने आराध्य की शादी में सुबह से ही झूमता गाता नजर आया। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के अवसर पर पूरी काशी शिवमय दिखी। काशी का कोई ऐसा क्षेत्र नही था जहां शिव की बरात ना निकली हो। काशी के करीब एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीण और शहरी इलाकों में मंदिरों से जुड़ी समितियों ने पूरे धूमधाम से अपने आराध्य की बरात की झांकी निकाली। इस दौरान क्या स्थानीय और देशी पर्यटकों के साथ विदेशी सैलानी भी शिव भक्ति से सराबोर तेज संगीत पर झूमते नजर आए। शिव बारात में भूत, प्रेत, पिसाच, देव, का रूप धर सभी त्रिलोकी के बरात में नाचते गाते दिखे। पांडे हवेली स्थित तिलभंडेश्वर मंदिर से निकलने वाली शिव बारात को देखने किए सुबह से ही लोगों की भीड़ सोनारपुरा इलाके में मौजूद थी। इस झांकी में शिव का रूप धरे कई कलाकार दिखे। किसी ने गले में नरमुंड पहना था तो किसी ने नीलकंठ रूप धारण कर शिव की छवि दिखाई। शिव की बरात में गाजे बाजे और बैंड की धुन पर भूत, प्रेत, निसाचार का रूप लिए कई कलाकार बरात में डीजे के तेज शिवमय धुन पर नाचते गाते निकले। बारात में तरह-तरह के बैंड और लाइट के साथ रथों पर चौकियां सजाई गई थीं। गाजे बाजे के साथ निकली बारात में काली, दुर्गा, सरस्वती समेत हनुमान, गणेश व अन्य देवी-देवताओं की झांकियां आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। झलक पाने के लिए सड़कों की पटरियों से लेकर छतों, बारजों तक लोग खड़े रहे। रास्ते भर पुष्प वर्षा होती रही। इन शिव बारातों में आसपास के लोग देवी-देवता व भूत-प्रेत के वेश में नाचते थिरकते रहे। रास्ते भर नाचते, गाते बराती आकर्षण का केंद्र बने रहे। बग्घी, रथों को फूलों से सजाकर शिव बारात को और भी आकर्षक बनाया गया। बारात में बच्चे और युवा शिव-पार्वती, काली माता, हनुमान, गणेश और भूत-पिशाच बनकर निकले। काली और शिव का रूप धारण किए कलाकारों ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी। करतब आकर्षण का केंद्र बना रहा।

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