कविता : बदलते बदलते - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 3 मार्च 2024

कविता : बदलते बदलते

दिन से रात बदलते देर नही लगती,

चांद से सूरज बदलते देर नही लगती,

कब घने बादलो से सूरज की किरणें आ जाए,

जिंदगी में बदलते बदलते क्या नही बदला,

लोग बदले, समाज बदला, जज्बात बदले,

जो अपने थे वो पराए लगे, पराए तो पराए रहे,

पर अपने भी रंग बदलने लगे,

हमें पिछे रखा, खुद आगे बढ़ते गए,

बदलते लोग, बदलते जज़्बात, सब बदलते चले गए।।




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हर्षिता दानू

कक्षा-11

गरुड़, बागेश्वर

उत्तराखंड

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