इन्क्यूबेशन सेंटर में कॉलेज छात्राओं ने मिनी आइसक्रीम यूनिट, बेकरी-स्नैक्स से सम्बंधित मशीनें, मिनी दाल मिल, दलिया प्लांट और पैकेजिंग की नई-पुरानी तकनीक को समझा। कॉलेज छात्राआंे ने इन्क्यूबेशन सेंटर देखकर प्रसन्नता व्यक्त की और बताया कि यदि वह इन्क्यूबेशन सेंटर देखने नहीं आतीं तो उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाती। यहां आकर उन्हें बहुत अच्छा लगा और उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त करने की इच्छा भी जताई। सेडमैप के पी.एम.यू. प्रमुख डॉ. वेदप्रकाश सिंह ने छात्राओं को स्टार्टअप के बारे में विस्तार से समझाया और मशीनों की कार्यप्रणाली के बारे में भी बताया। सेडमैप की फैकल्टी डॉ. संध्या जोशी ने सेडमैप द्वारा संचालित सशुल्क और निःशुल्क एक से तीस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस अवसर पर जिला समन्वयक अरूण गुप्ता ने छात्राओं को सफल उद्यमियों के गुणों से परिचित कराया। कॉलेज छात्राओं ने बताया कि वह अपने अन्य साथियों को भी इन्क्यूबेशन सेंटर को देखने और यहां संचालित एक से 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित करेंगी। कॉलेज छात्राओं ने कहा कि कल तक पुस्तकों में मशीनों के बारे में पढ़ा था, आज उन्हें अपने सामने देखकर और मशीनों की संचालन प्रक्रिया को समझकर उद्योग-व्यवसाय स्थापित करने को लेकर उत्साह और भी बढ़ गया।
भोपाल। इन्क्यूबेशन सेंटर कैसे काम करता है? इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से उद्योग-व्यवसाय कैसे प्रारंभ किया जा सकता है? यह जानने के लिए कॉलेज छात्राओं ने अरेरा हिल्स स्थित उद्यमिता भवन में सेडमैप फूड प्रोसेसिंग इन्क्यूबेशन सेंटर का भ्रमण किया। उद्यमिता विकास केन्द्र मध्यप्रदेश (सेडमैप) की कार्यकारी संचालक श्रीमती अनुराधा सिंघई ने कहा कि मध्यप्रदेश में महिला उद्यमियों की संख्या वैसे भी कम है, महिलाएं भी सफल उद्यमी के रूप में समाज में अपनी पहचान बनाएं, इसलिए महिलाओं को स्टार्ट अप, स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि समाज में स्वरोजगार का वातावरण निर्मित करने और लोगों को नौकरी करने की बजाय नौकरी देने वाला बनाने के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित किया गया है, जहां कई प्रकार की उद्योग-व्यवसाय आधारित आधुनिक मशीनें और उनकी कार्यप्रणाली देखी जा सकती हैं।
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