- कथा के छठवे दिन 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को 5 हजार से अधिक सेवादारों ने भोजन प्रसादी का वितरण किया, गर्मी को देखते हुए हजारों लीटर पेयजल पानी के साथ ठंडाई वितरण
- भक्त देर रात तक भजन कीर्तन करते हैं और सुबह ठंडे पानी में नहाकर शिव जाप, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर दिन रात लगी श्रद्धालुओं की भीड़, कुंभ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे मात्र सात दिन में
सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। हर रोज लाखों की संख्या में श्रद्धालु आस्था और उत्साह के साथ जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर के भव्य परिसर में आ रहे है। अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा शिव महापुराण कथा सुना रहे हैं. उनके कथा कार्यक्रम में रोजाना लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। भक्तों के लिए पार्किंग और बैठक व्यवस्था सहित खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई है। कथा कार्यक्रम में हर दिन लगभग 100 क्विंटल से अधिक आटे की चपती, 40 क्विंटल से अधिक खिचड़ी, 40 क्विंटल से अधिक चावल, दही की ठंडाई और नींबू पानी बांटा जा रहा है। इसके अलावा जिला प्रशासन ने यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पुलिस सहायता केन्द्र और चिकित्सालय की व्यवस्था की है, जनपद पंचायत और समाजसेवियों की ओर से 100 से अधिक पानी के टैंकरों की व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर के पीछे 55 एकड़ ग्राउंड में सीहोर वाले कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का कथा कार्यक्रम जारी है. पंडाल में लगभग 6 लाख श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था की गई है। कथा कार्यक्रम में हर दिन लाखों भक्त शिव महापुराण कथा सुनने के लिए आ रहे हैं। इस दौरान गर्मी को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम में नींबू पानी और ठंडाई का वितरण किया जा रहा है. इसके अलावा पंडाल में रुके लोगों को रात के वक्त आधुनिक रसोई से खाने की व्यवस्था की जा रही है। मंगलवार को करीब 15 लाख से अधिक भक्तों को दोनों समय के भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई। मंगलवार कुबेरेश्वरधाम पर निर्मित शिवलिंग पर फुलेरा दूज के दिन एक लाख से अधिक धतूरा अर्पित किया गया। इस मौके पर मध्य रात्रि से ही यहां पर भक्तों का सैलाब आस्था से उमड़ा हुआ था। शिव महापुराण के छठवे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कथा स्थल में उपस्थित जनसमूह मंत्रमुग्ध होकर अंतराष्ट्रीय कथा वाचक प्रदीप मिश्रा के मुखारबिंद से शिव कथा का श्रवण किया। पंडित श्री मिश्रा अपने प्रवचन में बताया कि जब दुख तकलीफ की घड़ी आती है, तब जिस चीज की जरूरत होती है वहां हमें जाना पड़ता है। दुख के घड़ी में अवश्य रूप से भगवान शिव के पास एक लोटा जल और चावल के दाने, बेल पत्र लेकर जाइए भगवान शिव को कुछ नहीं चाहिए बस आप श्रद्धा दीजिए सारी दुनिया में किए गए व्रत, दान का पुण्य भले फलदायी न हो परंतु भगवान शिव को चढ़ाया गए समर्पण, बेलपत्र, अक्षत और जल का फल आपके साथ जीवन भर रहेगा। उसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है।
शिव पुराण के अनुसार शिवकथा का स्थल कैलाश का प्रतीक होता
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि श्रद्धालुओं की शिव से आस्था है, भक्त देर रात तक भजन कीर्तन करते हैं और सुबह ठंडे पानी में नहाकर शिव जाप करते हुए शिव कथा का इंतजार करते हैं। उनसे बड़ा साधु कोई नहीं हो सकता है। शिव पुराण के अनुसार शिवकथा का स्थल कैलाश का प्रतीक होता है। संगत का जीवन में बहोत असर होता है। तुम कहां बैठ रहे हो तुम किसके साथ बैठ रहे हो उस परिस्थितियों से उस व्यक्ति की कीमत आंकी जाती है। जो व्यक्ति अपने माता पिता का कहना छोड़ दूसरों की बात मानता है वो अपने विनाश को आमंत्रित करता है। उन्होंने बताया कि भगवान शिव को जो दिल से जपता है, उसे बाबा दिल से सुनते हैं। जीवन के इस यात्रा में सभी समस्याओं का एक ही हल एक लोटा जल और शिवतत्व है।
भगवान शंकर की करूणा और कृपा संपूर्ण विश्व में व्याप्त
भगवान शंकर की करूणा और कृपा संपूर्ण विश्व में व्याप्त है। उनकी कृपा दृष्टि से ही यह जगत संचालित है। जब तक शिव की कृपा नहीं होती जीवन में हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते। उन्होंने बताया कि शिवपुराण में चौबीस हजार श्लोक हैं। उनमें से एक श्लोक ही नहीं बल्कि एक शब्द मात्र को भी अपने जीवन मे धारण करने से इस मानव देह का हेतु सिद्ध हो जाता है।
लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने की पूजा अर्चना और अर्पित किया धतूरा
फुलेरा दूज के दिन एक धतूरा शंकर जी के शिवलिंग पर अपने मन की अभिलाषा कर के समर्पित करने से बाबा आपकी मनोकामना शीघ्रता से पूरी कर देते हैं। इस कामना को लेकर एक लाख से अधिक शिव भक्तों ने धतूरा और जल अर्पित किया।
आज किया जाएगा भव्य रूप से समापन
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि धाम पर जारी सात दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव का समापन बुधवार को किया जाएगा। सुबह सात बजे से नौ बजे तक मंदिर परिसर में निर्मित शिवलिंग का फलों के रसों के साथ वैदिक मंत्रों से अभिषेक किया जाएगा और कथा का समय दोपहर एक बजे से चार बजे तक रहेगा। बुधवार को कथा का श्रवण करने के लिए बाबा रामदेव आदि शामिल रहेंगे।
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