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शुक्रवार, 15 मार्च 2024

आलेख : किशोरियों को नहीं, साइबर क्राइम को रोकना होगा

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अनीता (बदला हुआ नाम) राजधानी दिल्ली के उत्तम नगर इलाके की रहने वाली एक 20 वर्षीय लड़की है, जो अपनी पढ़ाई के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी बहुत सक्रिय रहती है. उसे फोटो तथा वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करना अच्छा लगता है. एक दिन जब वह अपने फोन पर इंस्टाग्राम चला रही थी, तभी किसी अनजान व्यक्ति का मैसेज आता है. वह व्यक्ति उसे दोस्ती करने के लिए जोर देता है, परंतु अनीता उसे साफ मना कर उसे ब्लॉक कर देती है. कुछ दिन बाद उसे दोस्तों द्वारा पता चलता है कि अनीता के नाम से ही एक अन्य अकाउंट बनाया गया है जिस पर उसकी फोटो लगी हुई थी और बायो में अश्लील शब्दों के साथ उसका मोबाइल नंबर भी लिखा हुआ था. जिसे देख अनीता काफी डर जाती है. वह डर के कारण किसी को नहीं बताती है. इस घटना के बाद वह लगातार सहमी रहने लगी थी. अनीता किशोरी सशक्तिकरण से जुड़ी संस्था 'प्रोत्साहन इंडिया फाउंडेशन' में पढ़ने आती है. जहां उसकी टीचर को वह कुछ विचलित नजर आती है. क्लास खत्म होने के बाद जब टीचर ने उससे अकेले में बात की तो उसने अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया. अनीता की टीचर ने उसे साइबर सेल या ऑनलाइन शिकायत करने का सुझाव दिया. परंतु उसने यह कहते हुए शिकायत दर्ज कराने से मना कर दिया कि “मम्मी पापा को पता चल जाएगा तो वह मुझे मारेंगे.” हालांकि संस्था के सहयोग से इसकी शिकायत साइबर सेल में की गई. साइबर सेल की सक्रियता से अनीता के नाम से बनाए गए फेक अकाउंट को बंद कर दिया गया. यह सिर्फ एक अनीता का पहला मामला नहीं है, बल्कि उसकी जैसी हज़ारों ऐसी लड़कियां हैं, जिसके नाम से सोशल मीडिया पर फेक और अश्लील अकाउंट बनाया जाता है. एक तरफ तो उन्हें इस प्रकार से उत्पीड़न और ऑनलाइन दुर्व्यवहार झेलनी पड़ती है वहीं दूसरी ओर उनके अपने घरवालों को भी उनपर यकीन नहीं हो पाता है. इस वजह से बहुत सारी किशोरियां अपने साथ हो रही इस प्रकार की ऑनलाइन घटनाओं को न तो कभी पुलिस को बताने की हिम्मत जुटा पाती हैं और ना ही अपने घरवालों के साथ शेयर कर पाती हैं. जिससे उनकी दिक्कतें और बढ़ जाती हैं.


इस संबंध में प्रोत्साहन इंडिया फाउंडेशन की कॉउंसलर सोनी कुमारी बताती हैं कि "जब तक किशोरियों के माता-पिता उन पर विश्वास नहीं करेंगे, इस प्रकार के साइबर क्राइम के केस दिन-प्रतिदिन बढ़ते जायेंगे. इसके लिए किशोरियों के साथ साथ माता-पिता की काउंसलिंग कर उन्हें भी जागरूक करने की आवश्यकता हैं." सोनी कहती हैं कि यथार्त दुनिया में हो रहे तेजी से डिजिटलीकरण इस बात का प्रतीक है कि वर्तमान के समय मे हमारे पास दो प्रकार की दुनिया बन चुकी है. जिसमें एक ऑनलाइन तथा दूसरा ऑफलाइन है. प्रश्न यह उठता है कि यह दोनों ही किशोरियों के लिए कितना सुरक्षित है?अगर हम ऑफलाइन दुनिया की बात करें तो बस या मेट्रो आदि में किशोरियों को अक्सर शारीरिक रूप से अश्लील कमेंट्स, छेड़छाड़ या अन्य प्रकार के यौन शोषण का शिकार होना पड़ता है. परन्तु ऑनलाइन एक नई दुनिया है, जो हमें सुरक्षित लगती है. किशोरियों को ऐसा लगता है कि यहां वह खुलकर जी सकती हैं. उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं हैं. उन्हें यहां कोई परेशान नहीं करेगा. परन्तु यहां भी देखा जाये तो उन्हें छेड़छाड़, गलत कमेंट तथा डर का सामना करना पड़ता है, जो साइबर क्राइम के नाम से जाना जाता है. साइबर क्राइम का मतलब है कंप्यूटर, नेटवर्क या इंटरनेट के माध्यम से किसी के साथ दुर्व्यवहार करना या किसी को नुकसान पहुंचाना. हाल के दिनों में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़े हैं. महिलाओं और किशोरियों के साथ होने वाले साइबर क्राइम में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है. जिस तेजी से किशोरियों में सोशल मीडिया का क्रेज बढ़ता जा रहा है, उतनी ही तेजी से उनके साथ होने वाले साइबर अपराध के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2023 के आंकड़ों के अनुसार साल 2021 की तुलना में 2022 में महिलाओं और किशोरियों के साथ साइबर अपराध में वृद्धि दर्ज की गई है. रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में जहां 52,974 मामले साइबर क्राइम के थे वहीं 2022 में यह आंकड़ा बढ़ कर 65,893 पहुंच गया. इसमें अकेले यौन शोषण के 3648 मामले दर्ज किये गए थे. अकेले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2021 के 345 की तुलना में 2022 में साइबर क्राइम के 685 मामले दर्ज किये गए. जबकि 2020 में केवल 166 मामले दर्ज किये गए थे. 


इस संबंध में दिल्ली गर्ल्स स्कूल, शाहदरा में सामाजिक विज्ञान की वरिष्ठ शिक्षिका यासमीन खान कहती हैं कि जैसे जैसे हमारा जीवन डिजिटल होता जा रहा है, वैसे वैसे खतरों का स्वरूप न केवल बदल गया है बल्कि पहले से अधिक खतरे और बढ़ गए हैं. इसके माध्यम से वैयक्तिक और आर्थिक जानकारी के निजी स्वरूप को नुकसान पहुंचाने के लिए साइबर अपराधियों के लिए नई और सटीक अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं. इसमें सबसे अधिक खतरा किशोरियों के लिए बढ़ता जा रहा है. जिस प्रकार से किशोरियों में इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया का क्रेज बढ़ रहा है, इसका इस्तेमाल उन्हें काफी सतर्कता से करने की जरूरत है. वह कहती हैं कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना किशोरियों का भी अधिकार है. यह वह मंच है जहां वह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकती हैं. लेकिन उन्हें इसका इस्तेमाल करते समय सतर्क और निडरता से करनी चाहिए. यासमीन खान किशोरियों को सलाह देते हुए कहती हैं कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय किसी भी अनजान नंबर या व्यक्ति चाहे वह किसी महिला अथवा किशोरी की ही प्रोफाइल क्यों न हो, यदि आप उसे नहीं जानती हैं तो उससे बात न करें. दूसरी बात निडरता इसलिए जरूरी है कि यदि कोई आप को परेशान कर रहा है तो आप डरने की जगह बेखौफ होकर अपने परिवारजनों को इसके बारे में बताएं और साइबर सेल में इसकी शिकायत अवश्य दर्ज कराएं ताकि समय रहते ऐसे अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाया जा सके. हालांकि डिजिटल दुनिया एक असीमित जाल है, लेकिन कई बार लड़की के परिचित ही उसकी गलत आईडी बना कर उसे बदनाम या ब्लैकमेल करने का प्रयास करते हैं. ऐसे अपराधियों को साइबर सेल की मदद से आसानी से पकड़ा जा सकता है. वह कहती हैं कि डिजिटल दुनिया से किशोरियों को नहीं बल्कि उनके विरुद्ध होने वाले साइबर क्राइम को रोकने की जरूरत है ताकि हम लड़कियों के लिए भी सुरक्षित डिजिटल दुनिया तैयार कर सकें. यह आलेख संजॉय घोष मीडिया अवार्ड 2023 के तहत लिखा गया है. 





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