- फार्म मशीनरी बैंक योजना में भी हो रहा घोटाला
दरअसल, इस मशीनरी योजना के तहत लघु सीमांत किसानों को ट्रैक्टर और दूसरी कृषि मशीनरी के लिए 10 लाख रुपए का अनुदान सरकार की ओर से दिया जाना तय है, जिसका लाभ सिर्फ और सिर्फ पात्र किसान ही ले सकते हैं, लेकिन 10 लाख रुपए के लालच और अफसरों व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की वजह से इस योजना का लाभ कई अपात्र लोगों ने उठा लिया। इस मामले में भ्रष्टाचार की खबरें जब सामने आईं, तब भी प्रशासन ने इस तरफ कुछ खास ध्यान नहीं दिया। अब ये मामला छोटे से बड़े अफसरों से लेकर सरकार के संज्ञान में भी पहुंच चुका है, लेकिन बावजूद इसके अपात्र लोगों से सरकारी पैसे की रिकवरी नहीं हो सकी है। इस मामले में मुजफ्फरनगर के आरटीआई एक्टिविस्ट सुमित ने प्रशासनिक अफसरों को अवगत कराते हुए कार्यवाही की मांग की थी। सुमित ने इस मामले में मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी से लेकर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ प्रभात कुमार तक को अवगत कराया। हालांकि अब इस मामले में कृषि उत्पादन आयुक्त ने संज्ञान लेते हुए अपने अधीनस्थ अफसरों को अपात्रों के द्वारा लिए गए पैसे के मामले की जांच के आदेश दिए हैं। परंतु हुआ कुछ नहीं। हालत समझिए कि प्रधानमंत्री की खास योजना फॉर्म मशीनरी बैंक योजना के तहत लघु सीमांत किसानों को मशीनरी पर मिलने वाली सहायता राशि को डकारने वाले लोगों के खिलाफ, जिनमें कई तो उद्योगपति और राजनेता भी हैं की शिकायत साल 2018 से लगातार की जा रही है, लेकिन अभी तक इस मामले में रिकवरी पूरी नहीं हो सकी है।
ज़िला मुजफ्फरनगर में साल 2018 में फार्म मशीनरी बैंक योजना कृषि यंत्र लघु सीमांत किसानों को देने की के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने चलाई जिसके तहत लघु सीमांत किसानों को 10 लाख रुपए का अनुदान ट्रैक्टर व अन्य कृषि यंत्रों पर दिया गया था। लेकिन इस योजना के तहत पात्र किसानों की जगह कई अपात्र लोग लाभ उठा रहे हैं। जब इस मामले की शिकायत की गई, तो इसकी जांच के लिए मुजफ्फरनगर के तत्कालीन जिलाधिकारी कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए, इस जांच कमेटी में कई मजिस्ट्रेट भी थे। आरटीआई कार्यकर्ता ने कृषि उत्पादन आयुक्त महोदय को भी इस मामले की शिकायत के रूप में शपथ पत्र लिखकर दिया और उन्हें बताया कि कृषि विभाग ने लघु सीमांत किसानों को कृषि यंत्र फार्म मशीनरी बैंक योजना का लाभ न देकर भारतीय जनता पार्टी के कुछ बड़े नेताओं, कुछ पूंजीपतियों और कुछ किसान संगठनों के करोड़पति अपात्र लोगों को पहुंचाया गया है। इस मामले में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉक्टर प्रभात कुमार ने 31 अगस्त 2018 में जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर को जांच के लिए भेजकर सीडीओ शिवम से जांच करने के निर्देश दिए। जांच के बाद पाया गया कि कृषि विभाग द्वारा शासन की गाइडलाइन के अनुसार कृषि यंत्र नहीं दिए गए और शासन की गाइडलाइन के विरुद्ध जाकर कृषि यंत्र बांटे गए, जो कि लघु सीमांत किसानों को नहीं मिले। इस मामले में 12 अक्टूबर 2018 को सीडीओ ने जांच रिपोर्ट की 77 पन्नों की फाइल जिलाधिकारी को भेज दी, लेकिन रिपोर्ट को जिलाधिकारी ने शासन यानि सरकार के पास नहीं भेजा और बाद में कह दिया गया कि फाइल ही नहीं है। यानि जिलाधिकारी के कार्यालय से फाइल ही गायब हो गई। इस प्रकार से जिलाधिकारी कार्यालय के विभाग के कर्मचारियों ने एक गमन किया, जो कि एक अपराध की श्रेणी में आता है।
दरअसल लघु सीमांत किसानों को फार्म मशीनरी बैंक योजना के जरिए जो ट्रैक्टर और कृषि यंत्रों आदि के 10 लाख प्रति किसान के हिसाब से सरकारी सहायता मिलनी थी, वो अपात्रों ने ले ली और इस प्रकार से 2 करोड़ 30 लाख रुपए का घोटाला सरकार के इस किसान लाभ योजना के धन में से किया गया। अब इस घटना को साढ़े पांच साल के करीब का वक्त हो चुका है, लेकिन शासन की रिकवरी अपात्र व्यक्तियों से नहीं हो सकी है। जबकि लघु सीमांत किसानों को इस योजना के तहत कोई कृषि यंत्र या पैसा कृषि विभाग के द्वारा नहीं दिया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता सुमित कहते हैं कि सिर्फ इस योजना में ही नहीं, बल्कि ऐसी कई योजनाओं में हर साल लगातार उद्योगपति, राजनेता, किसान संगठनों से जुड़े करोड़पति और सत्ताधारी दल के पदाधिकारी बार-बार सरकार के धन का दुरुपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं। इस योजना के तहत भी बार-बार फर्जी तरीके से कृषि यंत्र बार-बार ले रहे हैं। कृषि उत्पादन आयुक्त का पत्र और जिलाधिकारी के पत्रों में जानकारी मिली है कि अभी कार्यवाही हो रही है। लेकिन सच ये है कि कार्यवाही के नाम पर टालमटोल की जा रही है। सुमित की मांग है कि जिलाधिकारी कार्यालय से फाइल गायब करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए और विभागीय कार्यवाही करने के उपरांत दो करोड़ 30 लाख रुपए के कृषि यंत्र, जो गलत तरीके से बांटे गए हैं, उनसे रिकवरी होनी चाहिए।
बहरहाल, इसमें कोई दोराय नहीं कि हिंदुस्तान में हर योजना में घोटाले और भ्रष्टाचार होते हैं और जो लोग भ्रष्टाचारी हैं, वो ऊपर तक भ्रष्टाचार की रकम पहुंचाते हैं, जिसके चलते भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। ऐसे में सरकारों की जिम्मेदारी बनती है कि वो हर शिकायत को सीधे तौर पर शिकायतकर्ताओं से आमंत्रित करें और उन पर अपनी तरफ से कमेटियां बनाकर जांच कराएं और जांच में जो लोग भी दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही हो। जैसा कि फार्म मशीनरी बैंक योजना के तहत देखा जा रहा है कि लघु सीमांत किसानों के लिए बनी योजना का लाभ पूंजीपतियों, नेताओं और अफसरों ने उठाया है। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार को ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी चाहिए वो जल्द से जल्द इस मामले के दोषियों को सजा दे और पात्र किसानों का हक उन्हें दिलाए।
के. पी. मलिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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